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गंगदा पंचायत में आठ वर्षों से बूंद-बूंद को तरसते ग्रामीण, आखिर फूटा सब्र का बांध – NH-33 को किया अनिश्चितकालीन जाम

15 करोड़ की पेयजल योजना में भारी घोटाले की आशंका, ग्रामीणों ने CBI जांच की उठाई मांग

रिपोर्ट: शैलेश सिंह, पश्चिमी सिंहभूम

झारखंड के घने वन क्षेत्र में बसे गंगदा पंचायत के ग्रामीण आखिरकार आठ साल के सब्र के बाद सड़क पर उतर आए। सोमवार, 17 जून की सुबह करीब 6 बजे से आक्रोशित ग्रामीणों ने बड़ाजामदा-किरीबुरु-मनोहरपुर मुख्य सड़क (NH-33) को सलाई चौक के पास अनिश्चितकाल के लिए जाम कर दिया, जिससे दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं और आमजन सहित यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

गांव के बुजुर्ग हों या महिलाएं, युवा हों या बच्चे—सभी हाथों में पानी के खाली बर्तन और तख्तियां लेकर सड़क पर डटे हुए हैं। उनकी एक ही मांग है – गांव में शुद्ध पेयजल आपूर्ति और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई।

आठ साल बाद भी अधूरी योजना, सिर्फ चार गांवों को मिला आंशिक पानी

गंगदा पंचायत के 14 गांवों के लिए वर्ष 2017-18 में मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजना और आसन जलापूर्ति योजना के तहत पाइपलाइन से नल कनेक्शन देने की घोषणा हुई थी। उद्देश्य था – हर घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचाना। लेकिन आज आठ साल बाद भी केवल चार गांवों के कुछ घरों में ही आंशिक रूप से पानी मिल पा रहा है, जबकि शेष 10 गांवों के लोग आज भी सूखे नल और धूल फांकते पाइपों के भरोसे हैं।

राजू सांडिल, गंगदा पंचायत के मुखिया और सारंडा विकास समिति के अध्यक्ष, ने बताया कि इस योजना का कार्यान्वयन शुरू हुआ लेकिन न पाइपलाइन बिछी, न जल टंकी बनी और न ही सोलर मिनी टावरों की स्थापना हुई। ग्रामीण आज भी चपाकल, डीप बोरिंग या किसी भी वैकल्पिक व्यवस्था से वंचित हैं।

गर्मी में त्राहिमाम, महिलाओं को कई किलोमीटर दूर से लाना पड़ता है पानी

हर साल गर्मी के दिनों में हालात नारकीय हो जाते हैं। कई गांवों में लोगों को 3-4 किलोमीटर पैदल चलकर जंगलों के झरनों और तालाबों से पीने योग्य पानी लाना पड़ता है, जिनका स्वास्थ्य पर गंभीर असर होता है। बच्चों की पढ़ाई, बुजुर्गों की सेहत और महिलाओं का जीवन संकट में है।

इंजीनियर ने दिया था वादा, नहीं पूरा हुआ एक भी चरण

14 मार्च 2022 को इसी जगह हुए प्रदर्शन के दौरान मनोहरपुर-चक्रधरपुर डिवीजन के कार्यपालक अभियंता ने ग्रामीणों को दो चरणों में कार्य पूरा करने का वादा किया था। पर तीन साल गुजरने के बाद भी दोनों चरण अधूरे हैं।

राजू सांडिल ने कहा कि अभियंता द्वारा दिया गया व्हाट्सएप नंबर (6521825908) भी महज औपचारिकता निकला—फोन नहीं उठता, संदेशों का जवाब नहीं आता। प्रशासनिक जवाबदेही पूरी तरह गायब है।

15 करोड़ की योजना में घोटाले का आरोप, फाइलों में ही पूरा हुआ काम?

ग्रामीणों का कहना है कि दोदारी पेयजल आपूर्ति योजना की अनुमानित लागत करीब 15 करोड़ रुपये थी, और विभागीय अधिकारियों व संवेदकों की मिलीभगत से पूरी राशि की निकासी कर ली गई, जबकि योजना धरातल पर आज भी अधूरी है।

पाइपलाइन बिछाने, जलमीनार खड़ा करने और पानी सप्लाई की फाइलों में हेरा-फेरी कर के भुगतान कर दिए गए, जबकि हकीकत में कुछ भी नहीं हुआ। यह ग्रामीणों के जीवन के साथ सीधा खिलवाड़ है, और अब इसका हिसाब मांगने का समय आ गया है।

ग्रामीणों की एकजुटता: सिर्फ पानी नहीं, अब न्याय चाहिए

गंगदा पंचायत के सभी 14 गांवों के लोग जाति-धर्म-राजनीति से ऊपर उठकर एक स्वर में मांग कर रहे हैं –

  • CBI या हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच कराई जाए
  • भ्रष्ट अधिकारियों, अभियंताओं और ठेकेदारों को तत्काल निलंबित कर जेल भेजा जाए
  • गांवों में तत्काल वैकल्पिक पेयजल की व्यवस्था की जाए

सारंडा विकास समिति की ओर से राज्य के मुख्यमंत्री, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री और मुख्य सचिव को पत्र भेजकर यह चेतावनी दी गई है कि जब तक जांच की घोषणा और जलापूर्ति बहाल नहीं होती, NH-33 का जाम नहीं हटेगा।

प्रशासन की चुप्पी और पुलिस की अपील बेअसर

जाम के कुछ घंटे बीत जाने के बाद भी प्रशासनिक स्तर पर कोई ठोस पहल नहीं हुई है। स्थानीय पुलिस ने ग्रामीणों को मनाने की कोशिश की, पर ग्रामीणों का गुस्सा और अविश्वास इतना गहरा है कि कोई अपील असर नहीं कर रही।

इस आंदोलन ने एक बार फिर यह साबित किया है कि झारखंड के आदिवासी गांवों की बुनियादी समस्याएं आज भी शासन की प्राथमिकता नहीं हैं। जब जनता अपनी बुनियादी ज़रूरतों के लिए भी सड़कों पर उतरने को मजबूर हो, तो यह किसी लोकतंत्र की नहीं, व्यवस्था की विफलता की निशानी है।

निष्कर्ष: गंगदा पंचायत की यह लड़ाई केवल पानी की नहीं, सम्मान, अधिकार और जवाबदेही की भी है। अगर सरकार ने अब भी नहीं सुना, तो यह आंदोलन राज्यव्यापी जनआंदोलन का रूप ले सकता है। झारखंड के दूरस्थ क्षेत्रों की ऐसी उपेक्षा अब और नहीं सहन की जाएगी—यह संदेश सलाई चौक से निकलकर राजधानी तक गूंज रहा है।

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