एक दशक से पश्चिमी सिंहभूम में सक्रिय अपराध कर्मी, मजदूर यूनियन के नेता और झामुमो में हाल ही में शामिल रामा पांडेय के खिलाफ प्रशासन का बड़ा फैसला
रिपोर्ट : शैलेश सिंह
राज्य की सुरक्षा, लोक व्यवस्था और आवश्यक सेवाओं को बनाए रखने हेतु झारखंड अपराध नियंत्रण अधिनियम 2002 के तहत पश्चिमी सिंहभूम जिला प्रशासन ने कुख्यात अपराध कर्मी रामाशंकर पांडेय उर्फ रामा पांडेय को जिला बदर कर दिया है।

जिला दंडाधिकारी-सह-उपायुक्त श्री चंदन कुमार के न्यायालय में सीसीए वाद संख्या- 5/2024-25 की सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया गया, जो तत्काल प्रभाव से लागू माना जाएगा।
24 घंटे में जिले से बाहर जाने का आदेश
आदेश के अनुसार, रामा पांडेय को आदेश पारित होने के 24 घंटे के भीतर जिले की सीमा छोड़नी होगी, और अगले छह महीने तक जिले में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।
हालांकि, न्यायालय में यदि किसी वाद की पेशी में उनकी आवश्यकता हो, तो वह सिर्फ उस दिन सामान्य कार्यालय अवधि के दौरान स्थानीय थाना को सूचना देकर जिले में प्रवेश कर सकते हैं।
शस्त्र अनुज्ञप्ति पर सख्ती
जिला प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि अभियुक्त के पास कोई अनुज्ञप्त शस्त्र है, तो उसे अविलंब स्थानीय थाना में जमा कराना होगा। छह महीने की अवधि में किसी भी परिस्थिति में शस्त्र धारित नहीं किया जा सकता, अन्यथा यह झारखंड अपराध नियंत्रण अधिनियम की धारा 25 और भारतीय दंड संहिता की अन्य सुसंगत धाराओं के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा।
एक दशक से था जिले का दुर्दांत अपराधी
पुलिस अधीक्षक, पश्चिमी सिंहभूम, चाईबासा द्वारा भेजे गए सिफारिशी प्रस्ताव के आलोक में यह निष्कासन आदेश जारी किया गया। जिला प्रशासन द्वारा प्रस्तुत तथ्यों के अनुसार, रामा पांडेय पिछले 10 वर्षों से अधिक समय से जिले के सदर थाना, मुफस्सिल थाना, गुवा थाना, मनोहरपुर थाना और चक्रधरपुर थाना क्षेत्र में अपराध की गतिविधियों में संलिप्त रहा है।
उसके खिलाफ दर्ज आरोपों में शामिल हैं:
- वामपंथी उग्रवादियों से सांठगांठ कर नक्सली घटनाओं को अंजाम देना,
- सरकारी योजनाओं और निर्माण कार्यों से जुड़े अधिकारियों, कर्मचारियों और वाहन मालिकों से रंगदारी वसूलना,
- रंगदारी नहीं देने पर कार्य में बाधा पहुंचाने और धमकाने की प्रवृत्ति,
- अवैध अग्निशस्त्र रखना,
- मारपीट और हत्या जैसे गंभीर अपराध।
आपराधिक इतिहास और पुलिस रिकॉर्ड
प्रशासन के अनुसार, रामा पांडेय के विरुद्ध विभिन्न थानों में 6 गंभीर आपराधिक कांड दर्ज हैं। इसके अलावा, उसके विरुद्ध 10 सनहा भी दर्ज हैं, जिनमें ठेकेदारों और व्यापारियों को धमकाने और जबरन वसूली करने जैसी गतिविधियों का उल्लेख है।
इन सभी मामलों से यह स्पष्ट होता है कि अभियुक्त जिले में आंतरिक सुरक्षा और लोक व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा बना हुआ था।
यूनियन नेता से लेकर राजनीति तक का सफर
रामा पांडेय सिर्फ अपराधी नहीं, बल्कि झारखंड मजदूर संघर्ष संघ का केन्द्रीय अध्यक्ष भी रहा है। उसकी यूनियन सेल की गतिविधियां सेल की किरीबुरु, मेघाहातुबुरु, गुवा और चिड़िया खदान क्षेत्रों में सक्रिय रही हैं।
मजदूर यूनियन के नाम पर वह लंबे समय से ठेकेदारों और कर्मचारियों पर दबाव बनाने, कार्य बंद कराने और संगठन की आड़ में रंगदारी वसूली करता रहा है।
हाल ही में वह पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा का साथ छोड़कर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) में शामिल हुआ था और सक्रिय राजनीति में प्रवेश कर चुका था।
इस राजनीतिक पृष्ठभूमि के बावजूद जिला प्रशासन ने उसके अपराधिक इतिहास और वर्तमान गतिविधियों को आधार बनाकर निष्कासन का कठोर निर्णय लिया है।
आम जनता और व्यावसायिक वर्ग में राहत
जिले में रामा पांडेय की गतिविधियों से व्यावसायिक वर्ग, सरकारी संस्थान और आम जनता लंबे समय से परेशान रहे हैं। जिला बदर की इस कार्रवाई को आम जनता ने अपराध के विरुद्ध निर्णायक कदम बताया है।
स्थानीय व्यवसायी संघ के एक पदाधिकारी ने कहा, “यह कार्रवाई बहुत पहले हो जानी चाहिए थी। उसका नेटवर्क खदान क्षेत्रों में इतना मजबूत था कि ईमानदार व्यापार करना मुश्किल था। प्रशासन को बधाई कि उसने कानून का पालन करते हुए ठोस निर्णय लिया।”
निष्कर्ष: ‘राजनीतिक संरक्षण’ नहीं चलेगा, ‘अपराध’ पर ही होगी कार्रवाई
जिला प्रशासन की इस कार्रवाई ने स्पष्ट संदेश दे दिया है कि राजनीतिक जुड़ाव, यूनियन नेतृत्व या किसी भी प्रकार की साख अपराध को ढकने का ढाल नहीं बन सकती।
अपराधी चाहे जितना प्रभावशाली क्यों न हो, यदि वह लोक व्यवस्था और सुरक्षा के लिए खतरा बनता है, तो प्रशासन सख्त कार्रवाई करने से नहीं हिचकेगा।
रामा पांडेय की निष्कासन की यह कार्रवाई झारखंड में अपराधियों के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति की मिसाल बन सकती है।