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यूनियन कार्यालयों में दिशोम गुरु शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि

गुवा में मजदूर संगठनों ने मौन रखकर किया श्रद्धा-सुमन अर्पित, उनके संघर्षों को बताया झारखंड की प्रेरणा

गुवा संवाददाता।
झारखंड आंदोलन के पुरोधा, आदिवासी अस्मिता के प्रतीक और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री दिशोम गुरु स्वर्गीय शिबू सोरेन को मंगलवार को गुवा में विभिन्न यूनियन कार्यालयों में श्रद्धांजलि दी गई। उनके निधन की खबर से मजदूर संगठनों में शोक की लहर दौड़ गई और कार्यस्थलों पर सन्नाटा छा गया।

झारखंड मजदूर यूनियन कार्यालय में मौन श्रद्धांजलि

गुवा स्थित झारखंड मजदूर यूनियन कार्यालय में यूनियन के महामंत्री हेमराज सोनार की अगुवाई में एक श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। सभी सदस्यों ने दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। इस अवसर पर यूनियन के वरिष्ठ सदस्य कपिलेश्वर डोंगो ने दिशोम गुरु के जीवन संघर्षों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, “गुरुजी ने आदिवासी समाज को पहचान दिलाने और उनके संवैधानिक अधिकारों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उनका योगदान झारखंड राज्य के गठन में ऐतिहासिक रहा है।”

महामंत्री हेमराज सोनार ने कहा, “शिबू सोरेन न सिर्फ एक नेता थे, बल्कि आदिवासी स्वाभिमान की आवाज थे। उनका संघर्ष हर झारखंडी के लिए प्रेरणास्रोत है और रहेगा।”

रेलवे मार्केट यूनियन कार्यालय में भी दी गई श्रद्धांजलि

इसी क्रम में गुवा रेलवे मार्केट स्थित झारखंड मजदूर संघर्ष संघ यूनियन कार्यालय में भी श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। संघ के महामंत्री अंतर्यामी महाकुड़, सेल कर्मी और ठेका मजदूरों की उपस्थिति में दिशोम गुरु के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया। सभा में उपस्थित लोगों ने दो मिनट का मौन रखकर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।

अंतर्यामी महाकुड़ ने कहा कि, “शिबू सोरेन का संघर्ष हम सभी मजदूरों के लिए एक मार्गदर्शक है। उन्होंने हमेशा शोषितों, आदिवासियों और श्रमिकों की आवाज बुलंद की। हमें उनके दिखाए रास्ते पर चलना होगा।”

संघर्षों से भरा जीवन, आंदोलन की मिसाल

सभा के दौरान दोनों यूनियनों के सदस्यों ने शिबू सोरेन के राजनीतिक जीवन, झारखंड आंदोलन में उनकी भूमिका, आदिवासी संस्कृति के संरक्षण और जल-जंगल-जमीन की लड़ाई में उनके योगदान को याद किया। वक्ताओं ने कहा कि झारखंड राज्य का निर्माण उनकी दूरदृष्टि और आंदोलन की देन है, जिसे इतिहास कभी भूल नहीं सकता।

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