रेलवे साइडिंग विस्तार परियोजना के तहत अतिक्रमण हटाने के नोटिस के खिलाफ ग्रामीणों ने एकजुटता का लिया संकल्प, पुनः सर्वे और विस्थापन नियमों के पालन की मांग
गुवा संवाददाता , 28 मई:
सेल (स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड) के बोकारो इस्पात संयंत्र के अधीन गुवा आयरन खान (संपदा विभाग) की ओर से हाल ही में एक आधिकारिक अधिसूचना जारी की गई है, जिसमें रेलवे साइडिंग विस्तार परियोजना के तहत गुवा क्षेत्र में बसे कई बस्तियों को अतिक्रमण करार देते हुए 10 दिनों के भीतर स्थल खाली करने का निर्देश दिया गया है। इस नोटिस ने इलाके के निवासियों—खासकर नानक नगर और ढीपा साईं—में भारी चिंता और असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है।
ढीपा साईं में हुई आपात बैठक, जताई चिंता
आज 28 मई को ढीपा साईं में नानक नगर और ढीपा साईं के सैकड़ों ग्रामीणों ने एक आपातकालीन सामूहिक बैठक की। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि विस्थापन की प्रक्रिया को लेकर स्थानीय निवासियों की बात सुनी जानी चाहिए और इसके लिए सेल गुवा प्रबंधन व बोकारो इस्पात संयंत्र से दो प्रमुख मांगें की जाएंगी:
विस्थापन के नियमों का सख्ती से पालन किया जाए।
फिर से सर्वेक्षण कर वास्तविक स्थिति की निष्पक्ष जांच की जाए।
बैठक में उपस्थित लोगों ने सामूहिक रूप से निर्णय लिया कि जब तक इस समस्या का स्थायी और न्यायोचित समाधान नहीं हो जाता, तब तक सभी लोग एकजुटता और संगठनबद्ध रहेंगे।
किन बस्तियों को जारी हुआ है नोटिस?
गुवा प्रबंधन द्वारा जारी नोटिस में सेल गुवा की लीज क्षेत्र में “अवैध” रूप से रह रहे निम्नलिखित क्षेत्रों के निवासियों को चिन्हित किया गया है:
नानक नगर
ढीपा साईं
स्टेशन कॉलोनी
पुट साइडिंग क्षेत्र
डीबी क्षेत्र
डिबीसी सब स्टेशन
जाटा हाटिंग
पंचायत भवन क्षेत्र
इन सभी क्षेत्रों के निवासियों को 10 दिनों के भीतर अतिक्रमण हटाने और स्थल खाली करने का निर्देश दिया गया है। प्रबंधन का कहना है कि यह कदम रेलवे साइडिंग विस्तार परियोजना की बाधाओं को दूर करने के लिए उठाया गया है।
क्या है रेलवे साइडिंग विस्तार परियोजना?
गुवा क्षेत्र में सेल का उद्देश्य लौह अयस्क की ढुलाई को तेज़ और व्यवस्थित करना है, जिसके लिए रेलवे साइडिंग का विस्तार आवश्यक बताया जा रहा है। यह परियोजना सेल की दीर्घकालिक योजना का हिस्सा है, लेकिन इसके लिए स्थानीय समुदाय को बिना विकल्प के हटाया जाना अब विवाद का कारण बन गया है।
लोगों की अपील: विकास चाहिए, लेकिन साथ न्याय भी
बैठक में उपस्थित ग्रामीणों ने यह स्पष्ट किया कि वे विकास के विरोधी नहीं हैं, लेकिन उनके मौलिक अधिकारों की अनदेखी कर विकास थोपा नहीं जाना चाहिए। यदि विस्थापन अपरिहार्य है, तो पुनर्वास की समुचित योजना, मुआवजा, और वैकल्पिक आवास पहले सुनिश्चित किया जाए।
अंत में…
गुवा क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने को लेकर जो स्थिति बनी है, वह सिर्फ जमीन का सवाल नहीं, बल्कि न्याय, मानवाधिकार और विकास के संतुलन की भी परीक्षा है। प्रशासन और संयंत्र प्रबंधन को चाहिए कि वह जनभावनाओं का सम्मान करते हुए एक संवेदनशील और न्यायसंगत समाधान की दिशा में कदम बढ़ाए। आने वाले कुछ दिन इस मुद्दे पर निर्णायक हो सकते हैं।