सुदूर ग्रामीण अंचलों में शिक्षा को बढ़ावा देने की मुहिम, संस्कारित व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से बच्चों को राष्ट्र निर्माण में भागीदार बनाने का संकल्प
सरायकेला-सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में शिक्षा के महत्व को लेकर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से ‘बढ़ते कदम’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। गुरुकुल के निदेशक गजेन्द्र नाथ चौहान ने इस कार्यक्रम के माध्यम से ग्रामीण समाज को शिक्षा के प्रति सजग और संकल्पित करने का प्रयास किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी समाज के विकास की नींव शिक्षा होती है। बिना शिक्षा के मनुष्य का जीवन दिशाहीन और अर्थहीन हो जाता है। उन्होंने ग्रामीण अभिभावकों से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को बेहतर से बेहतर शिक्षा दिलाने का प्रयास करें, ताकि वे न सिर्फ अपने परिवार बल्कि समाज और राष्ट्र के लिए भी उपयोगी नागरिक बन सकें।
“शिक्षा ही जीवन का आधार है”
गजेन्द्र नाथ चौहान ने कहा कि शिक्षा से ही मनुष्य सही और गलत में फर्क कर पाता है। उन्होंने विशेष रूप से संस्कारित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर बल देते हुए कहा कि जब बच्चों को सही मार्गदर्शन मिलेगा, तो वे भविष्य में देश के विकास की दिशा तय करेंगे। उन्होंने यह भी जोड़ा कि शिक्षा के अभाव में न सिर्फ व्यक्ति पिछड़ता है, बल्कि पूरा समाज भी विकास की दौड़ में पीछे रह जाता है।
“अनुशासन, सेवा और राष्ट्रनिर्माण की भावना से हो शिक्षण”
कार्यक्रम के दौरान उन्होंने बच्चों को अनुशासन और समाज सेवा का महत्व भी समझाया। उन्होंने कहा, “समाज में रहकर हम अनुशासन और सेवा की भावना सीखते हैं। जीवन में सेवा ही सर्वोच्च अधिकार की ओर ले जाती है।” उन्होंने छात्रों को प्रेरित किया कि वे शिक्षा के साथ-साथ अच्छे कार्यों में भाग लें और अपने जीवन को सार्थक बनाएं।
‘बढ़ते कदम’ बन रहा है ग्रामीण शिक्षा का सेतु
कार्यक्रम के अंत में उन्होंने यह आश्वासन दिया कि गुरुकुल संस्थान की ओर से शिक्षा के इस मिशन को आगे भी जारी रखा जाएगा और ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से उन क्षेत्रों तक शिक्षा की रोशनी पहुँचाई जाएगी जहाँ अभी भी यह एक सपना बनी हुई है।