Search

नक्सलियों की कायरता का शिकार बना बेजुबान! सारंडा के जंगल में आईईडी विस्फोट से घायल हाथी की जान बचाने में जुटी वन विभाग की टीम

नक्सल हिंसा का नया शिकार बना प्रकृति का प्रहरी, घने जंगलों में दर्द से तड़पते मिले घायल हाथी की तस्वीर ने झकझोरा सिस्टम को

रिपोर्ट : शैलेश सिंह
सारंडा जंगल के भीतर नक्सलियों द्वारा लगाए गए आईईडी विस्फोटक का दर्दनाक शिकार इस बार कोई इंसान नहीं, बल्कि एक बेजुबान वन्यजीव—एक मूक हाथी बन गया। इस विस्फोट में हाथी का एक पैर बुरी तरह जख्मी हो गया है और उसके शरीर में संक्रमण तेजी से फैल चुका है। यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि यह साबित करती है कि नक्सलियों की हिंसा अब प्रकृति और वन्य जीवों पर भी कहर बनकर टूट रही है।

घने जंगल में दर्द से तड़पता मिला घायल हाथी

घटना सारंडा वन प्रमंडल के समठा वन क्षेत्र अंतर्गत तिरिलपोशी के घने जंगलों की है, जहां पुलिस को नुकसान पहुंचाने की नीयत से नक्सलियों द्वारा लगाए गए आईईडी की चपेट में आने से एक हाथी गंभीर रूप से घायल हो गया। सूचना मिलते ही आरसीसीएफ जमशेदपुर स्मिता पंकज और डीएफओ सारंडा अविरुप सिन्हा के नेतृत्व में झारखंड और ओडिशा के वन विभाग तथा वनतरा संस्था की संयुक्त टीम ने घंटों चले सर्च अभियान के बाद घायल हाथी को ट्रेस किया।

अभियान की सुबह 3 बजे हुई शुरुआत

वन विभाग की टीम को पहले से हाथी की लोकेशन की सूचना मिल चुकी थी, लेकिन 4 जुलाई को वन्य चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम वनतरा से पहुंचने के बाद 5 जुलाई की सुबह 3 बजे से अभियान को पूरी सतर्कता के साथ शुरू किया गया। हाथी को बेहोश करने के लिए इंजेक्शन दिया गया ताकि इलाज की प्रक्रिया जंगल में ही शुरू की जा सके।

हाथी का जख्मी पैर

जंगल में चल रहा जीवन बचाने का संघर्ष

घायल हाथी को जंगल में ही उपचार देना अत्यंत कठिन कार्य है, लेकिन वन विभाग की टीम उसे बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। जख्म गहरा है, पैर बुरी तरह फटा हुआ है और पूरे शरीर में इंफेक्शन फैल चुका है। वनतरा के चिकित्सकों और वन अधिकारियों की टीम मौके पर लगातार डटी हुई है।

नक्सल हिंसा की हदें पार — बेजुबानों को भी नहीं बख्शा

यह घटना यह स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि नक्सलवाद अब केवल सुरक्षा बलों और आम नागरिकों के लिए खतरा नहीं रह गया, बल्कि अब वन्य जीवन और पर्यावरण भी इसकी चपेट में आने लगे हैं। जंगल के राजा को इस प्रकार तड़पता देखना न सिर्फ एक मार्मिक दृश्य है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है कि क्या नक्सल हिंसा अब हर जीवन के लिए खतरा नहीं बन चुकी है?

स्मिता पंकज मिडिया से बात कती

स्मिता पंकज : “हाथी की जान बचाना हमारी प्राथमिकता”

घटनास्थल से आरसीसीएफ स्मिता पंकज ने मीडिया को बताया कि—

“हाथी की स्थिति गंभीर है, उसका एक पैर गहरे जख्म से ग्रस्त है और शरीर में संक्रमण फैल चुका है। फिलहाल हम प्राथमिक रूप से उसकी जान बचाने पर ध्यान दे रहे हैं। विस्फोट का कारण और परिस्थितियों की विस्तृत जांच की जाएगी।”

वन विभाग की चुनौती : उपचार, ट्रांसपोर्ट और निगरानी

जंगल में ही ऑपरेशन जैसी स्थिति में वन विभाग को उपचार करना बेहद चुनौतीपूर्ण है। घायल हाथी को सुरक्षित स्थान तक ले जाना फिलहाल संभव नहीं है। इसलिए स्थल पर ही टेंट, दवा, पानी और अन्य संसाधनों के साथ इलाज चल रहा है। विशेषज्ञों की निगरानी में हाथी की हालत में सुधार लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।


यह सिर्फ हाथी नहीं, हमारी चेतना पर हमला है!

यह घटना एक बड़ा संकेत है कि नक्सल हिंसा की आग अब उन मूलभूत संरचनाओं को भी जला रही है जिन पर हमारी प्राकृतिक और सामाजिक व्यवस्था टिकी है। हाथी, जो जंगल का प्रहरी है, पर्यावरण का प्रतीक है, वह यदि नक्सली बारूद का शिकार बन रहा है, तो यह हमारे संविधान, सभ्यता और सोच—सब पर हमला है।

केंद्र और राज्य सरकार से कड़े कदम की मांग

इस अमानवीय घटना के बाद पर्यावरणविदों, वन्यजीव प्रेमियों और आम जनता में आक्रोश है। सरकार से मांग की जा रही है कि—

  • नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में वन्यजीव सुरक्षा हेतु विशेष योजना बने।
  • आईईडी सर्च और निष्क्रियता के लिए आधुनिक तकनीक तैनात हो।
  • हाथी की सुरक्षा को लेकर ‘जंगल सफारी निगरानी टीम’ गठित हो।

निष्कर्ष :
सारंडा के जंगल में एक बेजुबान की यह दर्दनाक कहानी न सिर्फ वन विभाग की चुनौती है, बल्कि यह हर नागरिक की अंतरात्मा को झकझोरने वाली पुकार है। आज यह हाथी घायल है, कल किसी मासूम बच्चे या ग्रामीण की जान जाएगी। नक्सलियों की इस अराजक हिंसा के विरुद्ध अब प्रकृति भी घायल होकर न्याय मांग रही है!

Related

IWMP योजना के तहत ग्रामीणों को मशीन संचालन का प्रशिक्षण भी दिया गया सतत आजीविका और महिला सशक्तिकरण को मिलेगा बढ़ावा रिपोर्ट: शैलेश सिंह। दिनांक

रात 12 बजे से 2 बजे तक खुद पहुंचकर की छापामारी, सिरूम चौक में पकड़े गये ओवरलोड हाईवा की निष्पक्ष जांच की मांग प्रेस कॉन्फ्रेंस

पिरो प्रखंड के नारायणपुर (पचमा) पंचायत में युवा चेहरा उभर कर सामने, अगर सीट रही अनारक्षित तो विजेश सिंह लड़ेंगे चुनाव हर हाथ में काम,

समय रहते इलाज मिलने से बच्चे की जान बची, परिजनों में राहत गुवा संवाददाता। गुवा थाना क्षेत्र के दिरीबुरु पंचायत अंतर्गत ठाकुरा गांव में गुरुवार

Recent News

Scroll to Top