विद्यार्थियों ने चरण धोकर किया पूजन, भक्ति व संस्कारों से सराबोर हुआ विद्यालय परिसर
सरायकेला- संस्कारोदय अकादमिक रेजिडेंशियल स्कूल, जुलुमटांड़ ने अपना 13वां स्थापना दिवस इस वर्ष एक विशेष रूप में मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में भव्यता, श्रद्धा और भावनात्मक उल्लास के साथ मनाया। इस अवसर पर भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों की पुनः स्थापना और पीढ़ियों में संस्कारों के संचार को केंद्र में रखते हुए विविध आयोजन संपन्न हुए।
दीप प्रज्वलन से हुआ कार्यक्रम का शुभारंभ
कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय के निदेशक सह प्रधानाचार्य डॉ. दिग्विजय भारत द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ की गई। मुख्य अतिथि के रूप में कबीर मंदिर परसुडिह के महंथ श्री जयप्रकाश साहेब विशेष रूप से पधारे। उन्होंने अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में माता-पिता के प्रति सम्मान को जीवन की सबसे बड़ी पूंजी बताया। उन्होंने कहा, “जो संतान माता-पिता का सम्मान करती है, वही जीवन में सच्चा सम्मान प्राप्त करती है।”
छात्रों ने किया मातृ-पितृ पूजन, भावनात्मक हुआ वातावरण
विद्यालय प्रांगण में एक अनुपम दृश्य उस समय बना जब छात्रों ने अपने माता-पिता के चरण धोकर, तिलक लगाकर, आरती कर पुष्प अर्पित किए और उनका आशीर्वाद लिया। यह संपूर्ण दृश्य भक्ति, भाव और कृतज्ञता से सराबोर था, जिसने वहां उपस्थित हर दर्शक को भावुक कर दिया।
मेधावी छात्रों को किया गया सम्मानित
कार्यक्रम के दूसरे चरण में वार्षिक परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को मंच पर बुलाकर सम्मानित किया गया:
School Toppers of the Year:
प्रथम स्थान: यश कुमार (कक्षा 5)
द्वितीय स्थान: कंचन कुमारी (कक्षा 5)
तृतीय स्थान: सृजल बिंद (कक्षा 5)
Best Attendance of the Year:
प्रथम स्थान: समीर कुमार (कक्षा 3)
द्वितीय स्थान: सृजल बिंद (कक्षा 3)
तृतीय स्थान: स्वीटी कुमारी (कक्षा 5)
सांस्कृतिक कार्यक्रम में झलकी बच्चों की प्रतिभा
इसके पश्चात छात्रों द्वारा प्रस्तुत नृत्य, गीत और नाट्य कार्यक्रमों ने माहौल को उल्लासमय बना दिया। बच्चों की प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोह लिया और उन्हें भारतीय संस्कृति की विविधता का सजीव अनुभव कराया।
शिक्षकगण और गणमान्य लोगों की गरिमामयी उपस्थिति
इस अवसर पर विद्यालय के समर्पित शिक्षकगण – अमित कुमार, मोनिका कुमारी, सुनील सरदार, कौशल कुमार, तुलिका घोष, सुनीता कुंडू, रूबी देवी, मौसम कुमारी, सुचिता कुमारी, संगीता देवी, जयंती महतो, रविंदर कुमारी समेत अनेक गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति ने आयोजन की गरिमा को और बढ़ाया।
संस्कारों के पुनर्जागरण की ओर एक सार्थक पहल
संस्कारोदय विद्यालय का यह अभिनव प्रयास न केवल विद्यार्थियों के भावनात्मक विकास में सहायक है, बल्कि समाज में मूल्यों और संस्कारों की पुनर्स्थापना का भी एक प्रेरणादायी उदाहरण प्रस्तुत करता है। विद्यालय परिवार का यह आयोजन निश्चित रूप से आने वाली पीढ़ियों में संस्कारों की जड़ें और मजबूत करेगा।