बोकना में ग्राम सभा के मंच से उठी मजदूरों की आवाज, टाटा स्टील प्रबंधन पर लगाए गंभीर आरोप
गुवा संवाददाता।
पश्चिमी सिंहभूम के बोकना गांव में आयोजित एक विशेष ग्राम सभा में टाटा स्टील माइंस ‘विजया टू’ खदान में कार्यरत मजदूरों की समस्याओं को लेकर तीखा विरोध दर्ज किया गया। इस सभा की अध्यक्षता गांव के मुंडा विक्रम चाम्पिया ने की। उन्होंने टाटा स्टील प्रबंधन को स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि यदि मजदूरों की समस्याओं का जल्द समाधान नहीं किया गया, तो जोरदार आंदोलन शुरू किया जाएगा जिसकी जिम्मेदारी पूरी तरह से कंपनी प्रबंधन की होगी।
कैंटीन सुविधा व उचित मजदूरी से वंचित हैं मजदूर
ग्राम सभा में उपस्थित मजदूरों ने आरोप लगाया कि विजया टू खदान प्रबंधन की ओर से कैंटीन में भोजन और नाश्ता जैसी बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं। इसके साथ ही, मजदूरी भी तय मानकों के अनुरूप नहीं दी जा रही है, जिससे मजदूरों के समक्ष आर्थिक संकट गहराता जा रहा है।
यूनियन गठन पर उठे सवाल, मुंडा की अनुमति के बिना उठाया गया कदम
सभा में एक और बड़ा मुद्दा उठाया गया — नए यूनियन के गठन को लेकर। मुंडा विक्रम चाम्पिया ने कहा कि गांव के पारंपरिक प्रशासनिक ढांचे और स्थानीय सामाजिक स्वीकृति को नजरअंदाज करते हुए कंपनी ने एक नया मजदूर यूनियन खड़ा कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह यूनियन मजदूरों के हित में कभी कोई बात नहीं करता, बल्कि प्रबंधन के पक्ष में काम करता है।
उन्होंने यह भी कहा कि यह यूनियन गांव के मुंडा की अनुमति के बिना बनाया गया है, जो परंपरा और प्रक्रिया दोनों के खिलाफ है। “जब माइंस खुलवाने के लिए मुंडा की अनुमति जरूरी मानी जाती है, तो यूनियन गठन जैसे महत्वपूर्ण निर्णय में गांव के प्रतिनिधि को दरकिनार करना गलत और अवैध है,” उन्होंने कहा।
ग्रामीणों को धोखा दे रहा यूनियन, धोती-साड़ी बांटकर खरीद रहा समर्थन
ग्राम सभा में आरोप लगाया गया कि नया यूनियन विभिन्न गांवों में धोती और साड़ी बांटकर ग्रामीणों का समर्थन खरीदने की कोशिश कर रहा है। यह कदम मजदूरों की एकता को तोड़ने और गांवों में भ्रम फैलाने की साजिश का हिस्सा बताया गया।
रोजगार के अभाव में बढ़ रहा पलायन, टाटा स्टील पर उठे सवाल
मुंडा विक्रम चाम्पिया ने क्षेत्र में बेरोजगारी की भयावह स्थिति पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि खदान क्षेत्र में इतनी बड़ी कंपनी होने के बावजूद स्थानीय युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है। “स्थानीय लोगों को काम न देकर कंपनी बाहर से मजदूर बुला रही है। इससे न केवल ग्रामीणों में आक्रोश है बल्कि पलायन की समस्या भी विकराल रूप ले रही है,” उन्होंने कहा।
खदान प्रबंधन को दी चेतावनी, स्थानीय हितों से न करें खिलवाड़
मुंडा ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि खदान क्षेत्र में मजदूरों के अधिकारों की उपेक्षा और स्थानीय परंपराओं की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। “यदि प्रबंधन ने मजदूरों की समस्याओं का समाधान नहीं किया, और यूनियन का दखल हटाया नहीं गया, तो हम बड़े आंदोलन की ओर बढ़ेंगे,” उन्होंने चेताया।
उन्होंने कहा कि आंदोलन का नेतृत्व ग्रामीण खुद करेंगे और इसमें स्थानीय मजदूर, बेरोजगार युवा तथा पंचायत प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। उन्होंने टाटा स्टील प्रबंधन से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की और कहा कि बातचीत के दरवाजे अभी खुले हैं, पर यदि जल्द समाधान नहीं निकला, तो संघर्ष का रास्ता चुना जाएगा।
ग्राम सभा का निचोड़: मजदूरों की एकजुटता ही हथियार
ग्राम सभा का समापन इस संकल्प के साथ हुआ कि सभी मजदूर और ग्रामीण एकजुट रहेंगे और अपने हक के लिए संघर्ष करेंगे। बोकना गांव और आसपास के क्षेत्रों में यह स्पष्ट संदेश गया कि अब बिना स्थानीय स्वीकृति और पारंपरिक प्रक्रियाओं के कोई भी कंपनी फैसला नहीं ले सकती।
मुंडा विक्रम चाम्पिया की चेतावनी के साथ यह ग्राम सभा समाप्त हुई, लेकिन क्षेत्र में आंदोलन की आहट गूंजने लगी है। अब देखना यह है कि टाटा स्टील प्रबंधन इस चेतावनी को कितना गंभीरता से लेता है।