लापरवाही, वित्तीय अनियमितता और अनुपस्थिति के आरोप में जांच प्रक्रिया तेज, उपायुक्त ने दिए कड़े निर्देश
रिपोर्ट : शैलेश सिंह ।
पश्चिमी सिंहभूम जिला प्रशासन ने सरकारी दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही और अनुशासनहीनता को गंभीरता से लेते हुए चार अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई प्रारंभ कर दी है। जिला दंडाधिकारी-सह-उपायुक्त श्री चंदन कुमार के स्पष्ट निर्देश पर यह कार्रवाई की जा रही है।
विद्यालय संचालन में लापरवाही पर दो प्रभारी प्रधानाध्यापक के खिलाफ कार्रवाई
सोनुआ प्रखंड अंतर्गत दो शिक्षकों के खिलाफ कर्तव्यपालन में लापरवाही, अनुशासनहीनता और वित्तीय अनियमितता के आरोप में अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की गई है।
- त्रिदिप कुमार साहू, प्रभारी प्रधानाध्यापक, मध्य विद्यालय, बालजोरी, सोनुआ और
- प्रमिला कुजूर, प्रभारी प्रधानाध्यापिका, बुनियादी विद्यालय, आसनतलिया, सोनुआ के खिलाफ विद्यालय संचालन में उदासीनता, अनियमित व्यवहार और वित्तीय गड़बड़ी के आरोपों की जांच शुरू कर दी गई है।
प्रधान लिपिक पर कार्यालय को गुमराह करने का आरोप
खुंटपानी प्रखंड के प्रधान लिपिक हलीम अख्तर पर कर्तव्य हीनता और कार्यालयीय प्रक्रियाओं में गड़बड़ी करने का आरोप है। उनके विरुद्ध आरोप पत्र गठित करते हुए विभागीय कार्रवाई प्रारंभ कर दी गई है। आरोप है कि उन्होंने जानबूझकर कार्यालय को भ्रमित किया और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में बाधा पहुंचाई।
अनुसेवी पर लगातार अनुपस्थिति का आरोप
जिला भू-अर्जन शाखा में कार्यरत अनुसेवी सागर हंसदा पर बिना पूर्व सूचना के लगातार कार्यालय से अनुपस्थित रहने का गंभीर आरोप है। उपायुक्त के निर्देश पर उनके विरुद्ध विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का आदेश जारी किया गया है।
जिला प्रशासन का सख्त संदेश
उपायुक्त श्री चंदन कुमार ने स्पष्ट किया है कि सरकारी सेवा में लापरवाही, अनुशासनहीनता और कर्तव्यहीनता किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। समय पर विद्यालय संचालन, कार्यालय उपस्थिति और वित्तीय शुचिता अनिवार्य है। प्रशासन द्वारा की जा रही यह कार्रवाई अन्य सरकारी कर्मियों के लिए चेतावनी भी मानी जा रही है कि अपने दायित्वों के निर्वहन में कोई कोताही न बरती जाए।
निष्कर्ष:
पश्चिमी सिंहभूम जिला प्रशासन की यह कार्रवाई सरकारी तंत्र में जवाबदेही और अनुशासन को बनाए रखने की दिशा में एक गंभीर प्रयास है। इससे न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता को बल मिलेगा बल्कि जनसेवाओं की गुणवत्ता में भी सुधार की उम्मीद की जा सकती है।