Search

सारंडा बनेगा झारखंड का ‘इको टूरिज्म हब’: वनवासियों को मिलेगा रोजगार, जंगलों को मिलेगी राहत

 

झारखण्ड सरकार ने डीएफओ अविरुप सिन्हा की अगुवाई में शुरू किया सारंडा का कायाकल्प, घाघरथी झरना, मंगलाहाट पहाड़ी व किरीबुरु में बनेंगे ट्री हाउस, विला, कैफेटेरिया और सस्पेंशन ब्रिज

 

🌿 पर्यटन के नए नक्शे पर उभरता सारंडा

रिपोर्ट : शैलेश सिंह ।

झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में फैले घने सारंडा जंगल, जो अब तक हाथी आतंक, माओवाद और अवैध लकड़ी कटाई के लिए चर्चित रहे हैं, अब एक नई पहचान की ओर बढ़ रहे हैं। इन जंगलों को यदि बचाना है और यहां के आदिवासी समुदायों को एक स्थायी जीवन देना है, तो इसका एकमात्र समाधान है – इको टूरिज्म का समावेशी विकास। और इसी सोच को धरातल पर उतारने का बीड़ा उठाया है झारखण्ड सरकार ने।

अब सरकार की प्राथमिकता में शामिल सारंडा को इको टूरिज्म हब के रूप में विकसित करने का काम युद्धस्तर पर शुरू हो चुका है। इस विकास के केंद्र में सिर्फ पर्यटन नहीं, बल्कि वनवासियों की आजीविका, जंगलों की सुरक्षा और पर्यावरणीय संतुलन भी शामिल है।

💧 घाघरथी झरना: अब इको टूरिज्म स्पॉट

सारंडा के इको टूरिज्म की सबसे पहली पहचान बनेगा घाघरथी झरना, जो अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और ऊंची पहाड़ियों के बीच बहते निर्झर के कारण अब देशभर के पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है।

पर्यटकों के लिए क्या होगा खास:

6 खूबसूरत कॉटेज

50-100 व्यक्तियों की क्षमता वाला कैफेटेरिया

10 आकर्षक ट्री ट्रंक हाउस

एक रोमांचक सस्पेंशन ब्रिज

एक पारंपरिक लकड़ी का ब्रिज

प्राकृतिक इको ट्रेल

गजीबो, पार्किंग एरिया, एंट्रेंस गेट, शौचालय सुविधा आदि

इस झरने के ऊपरी हिस्से तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों और सस्पेंशन ब्रिज का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। आधे से अधिक काम पूर्ण हो जाने के बाद यहां पहले से ही हर दिन भारी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं। आने वाले समय में यह स्थान झारखंड पर्यटन का केंद्रबिंदु बन सकता है।

🏡 मंगलाहाट पहाड़ी पर बनेगा बड़ा इको-विला

किरीबुरु के मंगलाहाट के पास पहाड़ी पर, नया थाना भवन के बगल में एक अत्याधुनिक और पूर्ण सुविधाओं से युक्त इको-विला का निर्माण होगा, जिसे प्रकृति के सान्निध्य में एक आदर्श अवकाश स्थल के रूप में तैयार किया जा रहा है।

इसमें क्या होगा:

12 आलीशान कॉटेज

एक विस्तृत कैफेटेरिया

नेचर इंटरप्रेटेशन सेंटर – जहाँ पर्यटक जंगल के जीवन, जैव विविधता और संरक्षण के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे

मल्टीपर्पस हॉल

ओपन एयर थिएटर

जिम, रेस्टोरेंट, शौचालय, लॉन और खेल के मैदान

यह विला न सिर्फ पर्यटकों को ठहरने की सुविधाएं देगा बल्कि उन्हें एक ‘जंगल जीवन अनुभव’ भी प्रदान करेगा।

🏞️ किरीबुरु वन विभाग परिसर के पीछे नया टूरिज्म हब

वन विभाग कार्यालय के पीछे स्थित पहाड़ी पर भी एक छोटा लेकिन आकर्षक इको टूरिज्म कॉम्प्लेक्स बनाया जा रहा है, जिसमें शामिल होंगे:

10 कॉटेज

एक सुंदर कैफेटेरिया

और अन्य बुनियादी सुविधाएं

यह स्थान किरीबुरु शहर के पास होने के कारण ट्रैवलिंग पर्यटकों के लिए सुविधाजनक और किफायती विकल्प होगा।

🔄 सारंडा में बदलाव की लहर: जंगल पर निर्भरता होगी कम

इन परियोजनाओं के पूरे होने के बाद सारंडा में पर्यटकों के लिए रहने, खाने और मनोरंजन की सुविधाएं मुहैया हो जाएंगी। इसका सबसे बड़ा लाभ होगा स्थानीय आदिवासी समुदायों को, जो अब पर्यटन आधारित रोजगार में शामिल हो सकेंगे।

संभावित रोजगार के अवसर:

गाइड, ड्राइवर, सुरक्षा गार्ड, वेटर, हाउसकीपिंग
स्थानीय हस्तशिल्प और उत्पादों की बिक्री
कैफेटेरिया और रेस्टोरेंट संचालन
झरना ट्रेल गाइडिंग और ट्रैकिंग कोर्सेस
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों (नृत्य, गीत) का आयोजन

इसका सीधा असर जंगलों की सुरक्षा पर पड़ेगा क्योंकि जब वनवासी वैकल्पिक रोजगार से जुड़ेंगे तो लकड़ी की अवैध कटाई, जंगल की आग और वन अपराधों पर स्वतः अंकुश लगेगा।

🌳 पर्यावरण संरक्षण को मिलेगा बढ़ावा

इको टूरिज्म परियोजनाएं न सिर्फ पर्यटन बल्कि पर्यावरणीय शिक्षा और संरक्षण के लिहाज से भी महत्वपूर्ण हैं। नेचर इंटरप्रेटेशन सेंटर के माध्यम से पर्यटकों और स्थानीय लोगों को बायोडायवर्सिटी, वनों के महत्व और जल स्रोतों की रक्षा के बारे में जानकारी दी जाएगी।

डीएफओ (आइएफएस) श्री अविरुप सिन्हा की माने तो –

“हमारा उद्देश्य पर्यटन से आमदनी अर्जित करना नहीं, बल्कि जंगल और जन दोनों को बचाना है। इको टूरिज्म एक ऐसा माध्यम है जिससे दोनों के हित में समानांतर काम हो सकता है।”

🧗 पर्यटकों के लिए रोमांच का नया ठिकाना

सारंडा का यह इको टूरिज्म विकास सिर्फ शांतिपूर्ण अवकाश के लिए नहीं बल्कि एडवेंचर ट्रैकिंग, जंगल सफारी, बर्ड वॉचिंग और स्थानीय सांस्कृतिक अनुभवों के लिए भी महत्वपूर्ण है। खासकर घाघरथी जैसे झरनों में ट्रैकिंग और वाटर फॉल ट्रेल्स युवाओं को आकर्षित करेंगे।

🛑 अवैध कटाई पर लगेगा पूर्ण विराम

वर्तमान में जंगलों से अवैध लकड़ी कटाई, जंगली जानवरों का शिकार और कोयला बनाने की गतिविधियां लगातार पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रही हैं। लेकिन जब स्थानीय लोगों को पर्यटन से सीधा और स्थायी रोजगार मिलेगा, तो जंगल से दोहन की प्रवृत्ति में भारी गिरावट आएगी।

🌐 डिजिटल टूरिज्म और प्रमोशन की भी होगी तैयारी

इन स्थलों को डिजिटल माध्यमों में लाने, ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा, गूगल मैप इंटीग्रेशन और सोशल मीडिया प्रमोशन के ज़रिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करने की योजना भी तैयार की जा रही है।

📢 डीएफओ का संदेश: “पर्यटन विकास, संरक्षण के साथ”

डीएफओ अविरुप सिन्हा का स्पष्ट संदेश है –

सारंडा डीएफओ अविरुप सिन्हा

“सारंडा की सुंदरता विश्व स्तरीय है। इसे अगर संवारा जाए तो यह देश का एक बेहतरीन इको टूरिज्म हब बन सकता है। लेकिन यह तभी सफल होगा जब स्थानीय समुदाय इसकी आत्मा बने और संरक्षण को अपना कर्तव्य समझें।”

🔚 निष्कर्ष: एक नया सारंडा, जहां जंगल भी मुस्कुराएंगे और लोग भी

इको टूरिज्म का यह प्रयास न केवल एक पर्यावरणीय पहल है, बल्कि यह सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में सारंडा के लिए एक नई शुरुआत है। इससे न सिर्फ आदिवासियों की स्थिति में सुधार होगा, बल्कि पूरे झारखंड को एक नई पर्यटन पहचान भी मिलेगी।

Related

  खनन गतिविधियों को मिलेगा नया जीवन, लौह अयस्क उत्पादन में होगी निरंतरता, सारंडा क्षेत्र की आर्थिक धड़कन बनी रहेंगी दोनों खदानें   रिपोर्ट :

खनिज दोहन पर लगेगा अंकुश, जैव विविधता को मिलेगा संरक्षण, आदिवासी संस्कृति और आजीविका को नया आधार रिपोर्ट : शैलेश सिंह एशिया का सबसे बड़ा

  झारखंड सरकार के विकास प्रयासों को ठेकेदार-प्रशासन की मिलीभगत ने किया ध्वस्त, कुमडीह-कुदलीबाद-कोलाईबुरु सड़क और मारंगपोंगा-पुल भ्रष्टाचार के जिंदा सबूत सारंडा से शैलेश सिंह

  ठेका श्रमिकों को रात्रि पाली भत्ता, आवास सुविधा, चिकित्सा सुधार सहित कई मांगों पर बनी सहमति, CGM कमलेश राय ने दिए तत्काल निर्देश रिपोर्ट

Recent News

Scroll to Top