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सेल की सीएसआर पहल: सारंडा के दूरस्थ गांवों में स्कूली बच्चों को मिला खेल सामग्री और ट्रैकसूट

 

मेघाहातुबुरु खदान प्रबंधन की सामाजिक जिम्मेदारी की मिसाल, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा और खेल के प्रति जागरूकता बढ़ाने की अनूठी पहल

रिपोर्ट : शैलेश सिंह
नक्सल प्रभावित सारंडा के सुदूरवर्ती गांवों कुमडीह, बराईबुरु और टाटीबा के स्कूली बच्चों के चेहरों पर उस समय खुशी की लहर दौड़ गई जब सेल की मेघाहातुबुरु खदान प्रबंधन की ओर से उन्हें खेल सामग्री और ट्रैकसूट प्रदान किए गए। यह कार्यक्रम खदान के मुख्य महाप्रबंधक (सीजीएम) श्री आर. पी. सेलबम के नेतृत्व में कंपनी की कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) योजना के तहत आयोजित किया गया।

खेल और शिक्षा को मिला बढ़ावा

इस अवसर पर स्कूली बच्चों के बीच फुटबॉल, बैडमिंटन, कैरम बोर्ड, वॉलीबॉल, क्रिकेट किट जैसे खेल सामग्री के साथ-साथ ट्रैकसूट भी वितरित किए गए। इसका उद्देश्य बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ खेल की ओर भी प्रोत्साहित करना था ताकि वे मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकें।

सीजीएम आर. पी. सेलबम ने अपने संबोधन में कहा, “हमारा प्रयास है कि हम इन दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ें। शिक्षा और खेल दोनों बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक हैं।”

स्थानीय समुदाय ने जताया आभार

कार्यक्रम में उपस्थित स्थानीय ग्रामीणों, मुंडाओं और अभिभावकों ने सेल के इस प्रयास की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की पहल से बच्चों को प्रेरणा मिलती है और गांवों में सकारात्मक माहौल बनता है।

टाटीबा के मुंडा ने कहा, “पहली बार गांव के बच्चों को इस स्तर पर खेल सामग्री मिली है। इससे बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे नई दिशा में सोच सकेंगे।”

प्रशासन और प्रबंधन की सक्रिय भागीदारी

कार्यक्रम में सहायक महाप्रबंधक श्री मृत्युंजय कुमार, सामाजिक समन्वयक सरगेया अंगारिया समेत कई अन्य अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी रही। स्कूलों के शिक्षक-शिक्षिकाएं और गांवों के गणमान्य लोग भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

शिक्षक ने कहा, “बच्चों को जब ट्रैकसूट और खेल सामग्री मिली तो उनकी आंखों में चमक थी। यह सिर्फ एक उपहार नहीं बल्कि उनके उज्ज्वल भविष्य की नींव है।”

नक्सल प्रभाव वाले क्षेत्र में उम्मीद की किरण

कुमडीह, बराईबुरु और टाटीबा जैसे गांव वर्षों से नक्सल प्रभाव की छाया में रहे हैं, जिससे यहां विकास की गति धीमी रही है। ऐसे में सेल की यह पहल सिर्फ एक CSR कार्यक्रम नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की दिशा में उठाया गया एक सशक्त कदम है।

अवसरों की ओर बढ़ते कदम

इस तरह की गतिविधियों से न केवल बच्चों को खेल और शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा, बल्कि यह उन्हें अनुशासन, टीम वर्क और प्रतिस्पर्धा की भावना भी सिखाएगा। यह कार्यक्रम भविष्य में कई और गांवों के लिए प्रेरणा बनेगा।

समापन

सेल द्वारा चलाए जा रहे इस प्रकार के सीएसआर कार्यक्रम यह दर्शाते हैं कि कॉर्पोरेट जगत सिर्फ औद्योगिक उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज की बेहतरी में भी उसकी भूमिका अहम है। सारंडा जैसे संवेदनशील क्षेत्र में इस तरह की पहलें शिक्षा, खेल और सामाजिक विकास की नई रोशनी लेकर आ रही हैं।

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