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गुवा में रथ भंगिनी परंपरा सम्पन्न: माता लक्ष्मी ने क्रोध में भगवान जगन्नाथ का रथ किया क्षतिग्रस्त

हेरा पंचमी महोत्सव में उमड़ा श्रद्धा और भक्ति का जनसैलाब, भजन-कीर्तन और भोग वितरण से गूंजा विवेक नगर

गुवा संवाददाता।
मंगलवार को गुवा के विवेक नगर स्थित मौसीबाड़ी परिसर में हेरा पंचमी उत्सव पारंपरिक भक्ति और श्रद्धा भाव से मनाया गया। रथ यात्रा के पांचवें दिन आयोजित रथ भंगिनी परंपरा के तहत माता लक्ष्मी को भव्य पालकी में विराजमान कर नगर भ्रमण कराया गया, जिसके उपरांत वे मौसीबाड़ी पहुंचीं और पुरातन धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान जगन्नाथ के रथ को प्रतीकात्मक रूप से क्षति पहुंचाई गई।


भगवान को वापस न लौटने पर माता लक्ष्मी ने जताया क्रोध

पौराणिक मान्यता के अनुसार, रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ मौसी के घर (गुंडीचा मंदिर) जाते हैं और माता लक्ष्मी को वचन देते हैं कि वे पांचवें दिन श्रीमंदिर (मुख्य मंदिर) लौट आएंगे। लेकिन जब वादा पूरा नहीं होता, तो माता लक्ष्मी आक्रोशित होकर मौसीबाड़ी पहुंचती हैं और भगवान जगन्नाथ के रथ को क्रोधवश क्षति पहुंचा देती हैं।

गुवा के जगन्नाथ मंदिर परिसर से प्रारंभ हुई शोभायात्रा में माता लक्ष्मी की पालकी को श्रद्धालु भक्तों ने पूरे नगर में भक्ति भाव से भ्रमण कराया। विवेक नगर पहुंचने पर मंदिर के पुजारी ने विधिवत मंत्रोच्चार के साथ रथ भंगिनी अनुष्ठान को संपन्न कराया।


सिंहार आरती और भजन-कीर्तन से गूंजा वातावरण

इस मौके पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की विशेष सिंहार आरती की गई। स्थानीय भजन मंडली द्वारा “श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी” जैसे भजनों की प्रस्तुति ने समूचे वातावरण को भक्तिमय बना दिया। श्रद्धालु देर रात तक भजन-कीर्तन में झूमते नजर आए।


राम मंदिर में आनंद बाजार और भोग वितरण

कार्यक्रम के समापन पर गुवा स्थित राम मंदिर परिसर में आनंद बाजार का आयोजन किया गया, जहां श्रद्धालुओं के बीच महाप्रसाद और भोग का वितरण किया गया। स्थानीय समितियों और ग्रामीणों ने सामूहिक सहभागिता से कार्यक्रम को सफल बनाया।


धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का जीवंत उदाहरण

गुवा में रथ यात्रा के क्रम में आयोजित हेरा पंचमी और रथ भंगिनी कार्यक्रम यह दर्शाता है कि आदिवासी बहुल क्षेत्रों में भी वैदिक और पुरातन परंपराएं पूरे श्रद्धा और समर्पण के साथ जीवित हैं। यह आयोजन क्षेत्रीय एकता, धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बनकर उभरा।

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