1947 की त्रासदी को याद कर विद्यार्थियों ने दिया शांति और सद्भाव का संदेश
रिपोर्ट: शैलेश सिंह
केन्द्रीय विद्यालय मेघाहातुबुरू में विभाजन विभीषिका दिवस श्रद्धापूर्वक मनाया गया। विशेष प्रार्थना सभा में विद्यार्थियों ने 1947 के विभाजन से जुड़ी पीड़ा, विस्थापन और मानवीय त्रासदी को याद किया। उन्होंने इस ऐतिहासिक घटना से मिलने वाले सबक को आत्मसात करने और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने का संकल्प लिया।
विभाजन का ऐतिहासिक संदर्भ
15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता के साथ ही देश का बंटवारा भारत और पाकिस्तान के रूप में हुआ। इस विभाजन ने करोड़ों लोगों को अपनी जन्मभूमि छोड़ने पर मजबूर कर दिया। लगभग 1.5 करोड़ लोग विस्थापित हुए और अनुमानित 10 लाख से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई। धार्मिक हिंसा, दंगों और पलायन ने भारतीय उपमहाद्वीप को गहरे जख्म दिए।
कार्यक्रम की प्रमुख झलकियाँ
विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में शिक्षा मंत्रालय द्वारा विकसित “विभाजन की विभीषिका” विशेष मॉड्यूल प्रस्तुत किया गया, जिसमें तस्वीरों, दस्तावेजों और ऐतिहासिक साक्ष्यों के माध्यम से विभाजन की कहानी बताई गई। विद्यार्थियों ने चित्रकला, वाचन और समूह चर्चा के माध्यम से अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। इन गतिविधियों ने छात्रों में एकता, शांति और सद्भाव के महत्व के प्रति जागरूकता बढ़ाई।
मानवीय संवेदनाओं पर जोर
प्रार्थना सभा में यह संदेश दिया गया कि विभाजन जैसी त्रासदी हमें नफरत और भेदभाव के खतरों से आगाह करती है। विद्यार्थियों ने प्रतिज्ञा ली कि वे देश में भाईचारे, समानता और परस्पर सम्मान को बढ़ावा देंगे।
प्राचार्य का संदेश
विद्यालय के प्राचार्य डॉ. आशीष कुमार ने कहा, “इतिहास के दुखद अध्याय हमें सिखाते हैं कि विभाजन और हिंसा केवल विनाश लाते हैं। हमें हर परिस्थिति में भाईचारे, करुणा और राष्ट्रीय एकता को बनाए रखना चाहिए।” उन्होंने विद्यार्थियों को आपसी मतभेदों को भुलाकर देश की प्रगति में सकारात्मक योगदान देने का आह्वान किया।