मुफ्त राशन योजना के बाद मजदूरों की लापरवाही बढ़ी, काम अधूरा छोड़ने की प्रवृत्ति आम
रिपोर्ट: शैलेश सिंह
आरा, बिहार: केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना और राज्य सरकारों की जन वितरण प्रणाली के तहत मुफ्त राशन मिलने के बाद बिहार के आरा जिले के ग्रामीण इलाकों में दिहाड़ी मजदूरों और राजमिस्त्रियों की मनमानी बढ़ गई है। मजदूर आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन काम की गुणवत्ता और अनुशासन की भारी कमी के चलते लोग परेशान हैं।
काम के समय में लापरवाही, फिर भी पूरी मजदूरी
सामान्यतः हर श्रमिक 8 घंटे के काम के बदले अपनी निर्धारित मजदूरी लेता है, जिसमें एक घंटे का विश्राम भी शामिल होता है। लेकिन आरा जिले में ज्यादातर मजदूर और मिस्त्री मुश्किल से 4 घंटे ही काम करते हैं और फिर भी पूरी मजदूरी वसूलते हैं।
अगर ये मजदूर उसी गांव के हैं, जहां काम चल रहा है, तब भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं होती, लेकिन अगर वे किसी आसपास के गांव से आते हैं, तो समस्या और गंभीर हो जाती है। दोपहर में खाना खाने जाने के बाद 2-3 घंटे तक लौटते ही नहीं हैं।
काम के ठेके में देरी, गैर-जिम्मेदाराना रवैया
अगर कोई व्यक्ति मजदूरों या मिस्त्रियों को ठेके पर रखता है, तो स्थिति और खराब हो जाती है। ठेका लेने के बाद ये किसी तय समय पर काम शुरू करने या खत्म करने का कोई अनुशासन नहीं रखते।
आमतौर पर सुबह 9-10 बजे पहुंचते हैं, 12 बजे तक चले जाते हैं, फिर दोपहर 3 बजे आकर कुछ देर काम कर वापस चले जाते हैं।
अगर दो दिन लगातार आते हैं, तो उसके बाद दो-तीन दिन गायब हो जाते हैं।
5 दिन का काम 12-15 दिनों में पूरा करते हैं।
इस तरह मजदूरों की इस कार्यशैली से मकान निर्माण, मरम्मत और अन्य कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।
बिहार में मजदूरी दर झारखंड और अन्य राज्यों से ज्यादा
बिहार के मजदूरों की मजदूरी दर झारखंड और अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है।
बिहार के श्रमिक का प्रकार व मजदूरी दर:-
साधारण मजदूर- बिना भोजन मजदूरी दर 400 रुपये, भोजन देने पर मजदूरी दर 350 रूपये प्रतिदिन।
राज मिस्त्री- ₹700 प्रतिदिन एवां ₹650 प्रतिदिन।
इसके बावजूद मजदूरों का काम के प्रति गैर-जिम्मेदाराना रवैया और मनमानी लोगों को भारी पड़ रही है।
एडवांस लेने के बाद गायब हो जाते हैं मजदूर
एक और गंभीर समस्या यह है कि कई मजदूर एडवांस पैसे लेने के बाद गायब हो जाते हैं। वे आपके पैसे लेकर दूसरे स्थान पर मजदूरी शुरू कर देते हैं। जब आप उन्हें फोन करते हैं, तो वे कॉल रिसीव नहीं करते, बहाने बनाते हैं, या फिर कोई झूठी कहानी सुनाकर टाल देते हैं।
जो लोग नए मकान बना रहे हैं या मरम्मत करवा रहे हैं, उन्हें ऐसे मजदूरों की धोखाधड़ी के कारण बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
काम के दौरान अनुशासनहीनता और मनमानी
बिहार के आरा जिले के मजदूरों और मिस्त्रियों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वे काम को लेकर अनुशासनहीन और मनमानी करने वाले हैं।
सुबह देर से आना और जल्दी चले जाना
बार-बार काम छोड़कर इधर-उधर समय बर्बाद करना
ठेके पर काम लेने के बाद भी निर्धारित समय में पूरा न करना
एडवांस लेने के बाद काम छोड़ देना
काम के दौरान नशा करना या अन्य अनुचित गतिविधियों में शामिल होना
बिहार में अच्छे मजदूर मिलना मुश्किल, पर असंभव नहीं
हालांकि, यह कहना भी गलत होगा कि सभी मजदूर लापरवाह और गैर-जिम्मेदार हैं। बिहार में अभी भी कुछ मेहनती, ईमानदार, अनुशासित और कर्तव्यनिष्ठ मजदूर हैं, लेकिन उनकी संख्या बहुत कम है। जो लोग वास्तव में अच्छे मजदूरों की तलाश में हैं, उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ती है। अच्छे मजदूरों की मांग इतनी ज्यादा है कि वे हमेशा व्यस्त रहते हैं और आसानी से उपलब्ध नहीं होते।
क्या करें ताकि मजदूरों से ठगी और लापरवाही से बचा जा सके?
अगर आप बिहार के आरा या आसपास के किसी अन्य इलाके में मजदूर या मिस्त्री से काम करवाने की योजना बना रहे हैं, तो कुछ सावधानियां बरतना जरूरी है:
मजदूरों का बैकग्राउंड चेक करें – पहले जान-पहचान वालों से उनके काम के बारे में पूछें।
एडवांस भुगतान से बचें – जब तक पूरा काम न हो जाए, संपूर्ण भुगतान न करें।
लिखित समझौता करें – ठेके पर काम करवा रहे हैं तो एक लिखित अनुबंध जरूर बनवाएं।
दैनिक भुगतान के बजाय साप्ताहिक भुगतान करें – इससे मजदूरों के गायब होने की संभावना कम हो जाती है।
काम पर सख्ती से निगरानी रखें – काम के दौरान बार-बार चेक करते रहें ताकि वे समय बर्बाद न करें।
व्यक्तिगत अनुभव: मजदूरों की लापरवाही से झेली परेशानियां
हमारा खुद का अनुभव भी कुछ ऐसा ही रहा। बिहार में मजदूरों के साथ काम करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। उन्हें समय पर बुलाना, काम पूरा करवाना और उनकी लापरवाही से निपटना बहुत मुश्किल रहा। काम को अपूर्ण छोड़ ऐसे मजदूरों को हाथ जोड़ हटाना पडा़। …”जे के पाँव में फटी बेवाई, सो ही जाने पीर पराई”… इस कहावत का मतलब अब समझ में आया।
निष्कर्ष
बिहार के आरा जिले में दिहाड़ी मजदूरों और मिस्त्रियों की मनमानी से लोग बहुत परेशान हैं। कम समय काम करना, ज्यादा पैसे मांगना, अनुशासनहीनता और एडवांस लेने के बाद गायब हो जाना जैसी समस्याएं आम हो गई हैं।
हालांकि, अच्छे और मेहनती मजदूरों की भी कमी नहीं है, लेकिन उन्हें ढूंढना मुश्किल हो गया है। अगर आप कोई निर्माण कार्य या मरम्मत का काम करवाना चाहते हैं, तो सावधानी से मजदूरों का चयन करें, वरना आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।