सेल मेघाहातुबुरु प्रबंधन की लापरवाही पर झारखंड मजदूर संघर्ष संघ का विरोध, रात्रि भत्ता विवाद को लेकर यूनियन ने उठाई ठेका मजदूरों के हक की मांग
रिपोर्ट : शैलेश सिंह
16 मई की देर शाम जनशताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन से लौटे मेघाहातुबुरु के सेलकर्मियों और उनके परिजनों को लेने सेल की बस बड़ाजामदा रेलवे स्टेशन नहीं पहुंची। इससे नाराज झारखंड मजदूर संघर्ष संघ के सदस्य, महासचिव अफताब आलम के नेतृत्व में, शनिवार को उप महाप्रबंधक (कल्याण) माझी से मिले और घटना को लेकर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई।
प्रबंधन की उदासीनता से यात्रियों को भुगतनी पड़ी परेशानी
झारखंड मजदूर संघर्ष संघ के सदस्यों ने बताया कि सेल मेघाहातुबुरु द्वारा प्रतिदिन सेलकर्मियों, उनके परिजनों और आम यात्रियों को मेघाहातुबुरु से बड़ाजामदा स्टेशन तक आने-जाने के लिए बस सेवा मुहैया कराई जाती रही है। खासकर जनशताब्दी ट्रेन के परिचालन के अनुसार समयानुकूल बस की व्यवस्था की जाती है, क्योंकि यह ट्रेन अक्सर देरी से चलती है।
लेकिन 16 मई को जब जनशताब्दी एक्सप्रेस स्टेशन पर देर शाम पहुंची, उस समय यात्रियों को लेने के लिए सेल की ओर से कोई बस नहीं भेजी गई। इसके चलते यात्रियों, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे, को स्टेशन पर घंटों इंतजार करना पड़ा।
रात्रि भत्ता नहीं देने का तर्क बना बहाना
जब इस बारे में जानकारी ली गई, तो बताया गया कि बस चालक को रात्रि भत्ता नहीं दिया जाता, इसीलिए बस नहीं भेजी गई। इस तर्क पर यूनियन और अधिक आक्रोशित हो गई। यूनियन के पदाधिकारी इंतखाब आलम ने कहा कि रात्रि भत्ता देने का प्रावधान रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक के लिए है, और यदि प्रबंधन सूर्यास्त के बाद से ही भत्ता देना चाहता है तो यह सुविधा केवल चालकों को नहीं बल्कि सभी ठेका मजदूरों को मिलनी चाहिए।
सिर्फ चालकों के लिए भत्ता क्यों? – यूनियन ने उठाया सवाल
इंतखाब आलम ने कहा, “हमारी यूनियन यह मांग करती है कि यदि रात्रि भत्ता नीति को बदला जाना है तो इसका लाभ केवल वाहन चालकों तक सीमित न रहे, बल्कि अन्य श्रमिकों और ठेका मजदूरों को भी मिले। यूनियन इस मांग के साथ मजबूती से खड़ी है।” उन्होंने आरोप लगाया कि बस सेवा नहीं भेजकर प्रबंधन ने न सिर्फ यात्रियों को असुविधा दी बल्कि अपनी जिम्मेदारी से भी पल्ला झाड़ लिया।
प्रबंधन ने नहीं दिया था बस रोकने का कोई आदेश: कल्याण माझी
इस मुद्दे पर उप महाप्रबंधक (कल्याण) कल्याण माझी ने कहा कि यात्रियों को लेने बस नहीं भेजने का कोई आधिकारिक आदेश प्रबंधन की ओर से जारी नहीं किया गया था। उन्होंने भरोसा दिलाया कि इस मामले की जांच की जाएगी और भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही दोबारा न हो, इसके लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।
संघ की ओर से सौंपा गया ज्ञापन, जांच और सुधार की मांग
वार्ता के दौरान यूनियन नेताओं ने कल्याण माझी को एक ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि इस मामले की गहन जांच की जाए और दोषियों पर कार्रवाई हो। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि सेलकर्मियों व उनके परिवारजनों को भविष्य में ऐसी असुविधा न हो। उन्होंने बस संचालन के समय और नीति में पारदर्शिता लाने की भी मांग की।
बैठक में कई यूनियन पदाधिकारी रहे मौजूद
इस वार्ता में अफताब आलम, इंतखाब आलम, दयानन्द कुमार, जगजीत सिंह गिल, अमरनाथ यादव, कामता प्रसाद, नसीब, शैलेश बारी और रोहित गोराई जैसे यूनियन के प्रमुख पदाधिकारी मौजूद थे। सभी ने एक स्वर में यह मांग की कि सेल प्रबंधन अपने कर्मियों के हितों की अनदेखी करना बंद करे और नियमित रूप से समुचित सुविधाएं सुनिश्चित करे।
निष्कर्ष: कर्मचारियों की आवाज़ को नजरअंदाज न करे प्रबंधन
यह मामला केवल एक दिन की बस सेवा में हुई चूक का नहीं, बल्कि श्रमिकों की अनदेखी की एक बड़ी समस्या की ओर संकेत करता है। यदि प्रबंधन द्वारा कार्यस्थल पर उचित संवाद, स्पष्ट दिशा-निर्देश और सभी श्रमिकों के लिए समान सुविधा सुनिश्चित न की गई तो आगे चलकर यह असंतोष व्यापक आंदोलन का रूप ले सकता है।