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रुंगटा स्टील में 75% स्थानीय नियुक्ति को लेकर पदयात्रा: झारखंड पुनरुत्थान अभियान का उग्र विरोध प्रदर्शन

लिखित सूची नहीं देने पर हूल दिवस पर राजनगर में सिदो-कान्हू की प्रतिमा तक किया गया पैदल मार्च

सरायकेला/चाईबासा।
रुंगटा स्टील प्लांट प्रबंधन द्वारा 75 प्रतिशत स्थानीय लोगों की नियुक्ति की लिखित सूची सार्वजनिक नहीं किए जाने के विरोध में सोमवार को झारखंड पुनरुत्थान अभियान ने उग्र रुख अपनाया। अभियान के बैनर तले गेट नंबर-4 से राजनगर स्थित सिदो-कान्हू की प्रतिमा तक जोरदार पदयात्रा कर स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार देने की मांग को दोहराया गया।

इस पदयात्रा का नेतृत्व अभियान के जिला अध्यक्ष सुरेश महतो एवं उपाध्यक्ष अजय मुर्मू ने किया। हूल दिवस के अवसर पर आयोजित इस जन प्रदर्शन में बड़ी संख्या में स्थानीय आदिवासी युवाओं ने हिस्सा लिया और रोजगार के अधिकार के लिए संघर्ष तेज करने का ऐलान किया।


प्रबंधन की चुप्पी से नाराज़गी, संघर्ष की चेतावनी

विदित हो कि पूर्व में झारखंड पुनरुत्थान अभियान के केंद्रीय महासचिव एवं पूर्व बैंक कर्मी अमृत माझी द्वारा प्लांट प्रबंधन को एक लिखित मांग पत्र भेजा गया था, जिसमें स्थानीय निवासियों की 75% नियुक्ति की सूची सार्वजनिक करने की मांग की गई थी। साथ ही यह चेतावनी भी दी गई थी कि यदि 30 जून से पूर्व यह सूची नहीं दी गई, तो हूल दिवस (30 जून) के दिन प्रदर्शन और पदयात्रा का आयोजन किया जाएगा।

प्रबंधन की ओर से कोई जवाब नहीं मिलने पर आंदोलन की घोषणा के अनुरूप यह पदयात्रा आयोजित की गई, जिसे अभियान ने अपनी “वचनबद्धता की परिणति” करार दिया।


सिदो-कान्हू की क्रांति से प्रेरित आंदोलन

पदयात्रा में शामिल झारखंड पुनरुत्थान अभियान के केंद्रीय अध्यक्ष सन्नी सिंकु ने कहा कि

“हूल दिवस केवल श्रद्धांजलि अर्पित करने का दिन नहीं है, बल्कि संथाल क्रांति की भावना को जीवंत कर, जल-जंगल-जमीन और अधिकार की रक्षा करने का अवसर है।”

उन्होंने कहा कि जर्मन दार्शनिक कार्ल मार्क्स ने हूल क्रांति को भारत के आदिवासियों की पहली संगठित क्रांति बताया था, और उसी प्रेरणा से आज का यह संघर्ष भी सिदो-कान्हू की परंपरा में एक नया अध्याय है।


कई जिलों से पहुंचे आंदोलनकारी नेता

इस पदयात्रा में झारखंड पुनरुत्थान अभियान के कई वरिष्ठ नेता व कार्यकर्ता उपस्थित थे, जिनमें प्रमुख रूप से:

  • अमृत माझी – केंद्रीय महासचिव
  • नारायण सिंह पुरती – पश्चिम सिंहभूम जिला अध्यक्ष
  • बलराम मुर्मू – पूर्वी सिंहभूम जिला अध्यक्ष
  • विकास केराई – पश्चिम सिंहभूम जिला उपाध्यक्ष
  • शैली शैलेंद्र सिंकु – जिला सचिव
  • विनीत लागुरी – जगन्नाथपुर प्रखंड अध्यक्ष
  • सुरा पूरती – सदर चाईबासा प्रखंड अध्यक्ष
  • विशाल गुड़िया – मनोहरपुर प्रखंड अध्यक्ष
  • अल्बिन एक्का, अरिल सिंकु, मंजीत सिंह कुंटिया – विधि संकाय छात्र
  • आशा पूरती, नेहा हेंब्रम – महिला नेत्रियाँ
  • बलभद्र सवैया, केदारनाथ कालुंडिया – खूंटकट्टी रैयत रक्षा समिति
  • रामराय मुर्मू, गोपीनाथ मुर्मू, कड़िया हेंब्रम सहित अनेक ग्रामीण कार्यकर्ता शामिल थे।

मांगें पूरी नहीं हुईं तो होगा उग्र आंदोलन

अभियान के नेताओं ने स्पष्ट किया कि यदि आने वाले दिनों में प्लांट प्रबंधन स्थानीयों की नियुक्ति सूची सार्वजनिक नहीं करता और रोजगार की गारंटी नहीं देता, तो आंदोलन और अधिक उग्र रूप लेगा। उन्होंने राज्य सरकार से भी अपील की कि उद्योगों में झारखंडी युवाओं को प्राथमिकता दिलाने के लिए कानून को सख्ती से लागू किया जाए।


निष्कर्ष: हूल दिवस बना अधिकारों के संघर्ष का प्रतीक

यह पदयात्रा केवल रोजगार की मांग नहीं, बल्कि संविधान, न्याय और सामाजिक समरसता की लड़ाई बन गई है। सिदो-कान्हू की प्रेरणा से झारखंड पुनरुत्थान अभियान ने जो जनचेतना का बिगुल फूंका है, वह आने वाले समय में औद्योगिक नीति और स्थानीय अधिकारों की बहस को और तेज करने वाला साबित हो सकता है।

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