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सारंडा में पानी के लिए हाहाकार — डेढ़ महीने से बंद सप्लाई, ठेकेदार बेपरवाह, ग्रामीण सड़कों पर उतरने को तैयार

सेल और टाटा स्टील के करोड़ों के बीच प्यासे मर रहे लोग, DMFT फंड का कोई हिसाब नहीं

रिपोर्ट — शैलेश सिंह

छोटानागरा (सारंडा), पश्चिमी सिंहभूम:
सारंडा के छोटानागरा पंचायत में पिछले डेढ़ महीने से शुद्ध पेयजल सप्लाई पूरी तरह ठप है। बाईहातु गांव स्थित जालमीनार से पानी नहीं मिलने के कारण पंचायत के सभी 10 गांव और उनके टोले प्यास से तड़प रहे हैं। हालात इतने खराब हैं कि लोग अब दूषित, लाल और मटमैला नदी का पानी पीने को मजबूर हैं। बरसात के मौसम में यह पानी मलेरिया और जलजनित बीमारियों का सीधा न्योता है, फिर भी सरकार और ठेकेदार दोनों चुप्पी साधे बैठे हैं।


इंटेक कुएं में जाम — ठेकेदार सोया हुआ

पंचायत की मुखिया मुन्नी देवगम और मुंडा कानूराम देवगम ने बताया कि जोजोगुटू गांव स्थित कोइना नदी पर बने इंटेक कुएं में पानी के साथ बालू और मिट्टी भर जाने से मोटर-पंप पूरी तरह जाम हो गया है। इससे पानी बाईहातु स्थित फिल्टर प्लांट तक नहीं पहुंच पा रहा है।
गांव वालों का आरोप है कि बार-बार शिकायत करने के बावजूद ठेकेदार मरम्मत के लिए हाथ तक नहीं हिला रहा।


अधूरे जालमीनार सालों से कबाड़ बने

छोटानागरा, बढ़ुइया, जोजोपी, धर्मगुटू, राकाडबरा जैसे गांवों में वर्षों पहले लगाए गए सोलर जालमीनार आधे-अधूरे काम के बाद खराब पड़े हैं। बीडीओ ने निरीक्षण तो किया, लेकिन “जल्द ठीक करने” का वादा महीनों बाद भी हवा में है।


मलेरिया का कोर जोन, फिर भी साफ पानी नसीब नहीं

सारंडा का यह इलाका बरसात में मलेरिया विस्फोट का स्थायी शिकार है, जहां हर साल कई ग्रामीण और बच्चे मौत के मुंह में चले जाते हैं। फिर भी सरकार ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने में नाकाम है।
इस समय लोग वही दूषित नदी का पानी पी रहे हैं, जिसमें कीचड़, मरी हुई झींगुर-मछलियां और लाल रंग की मिट्टी घुली रहती है।


सेल-टाटा स्टील से करोड़ों, पर जनता प्यास से मर रही

गांव वाले कहते हैं कि हमारा पंचायत सेल और टाटा स्टील की खदानों से घिरा है। ये कंपनियां हर साल डीएमएफटी (DMFT) फंड में सैकड़ों करोड़ रुपये जमा करती हैं, जिसका मकसद खनन प्रभावित क्षेत्रों का विकास है। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि गांव वाले एक गिलास साफ पानी तक के लिए तरस रहे हैं।


ग्रामीणों का अल्टीमेटम — सड़क जाम होगा

गांव की महिलाएं और युवा अब आंदोलन के मूड में हैं। उनका कहना है कि अगर जल्द ही पानी सप्लाई बहाल नहीं हुई, तो सड़क पर उतरकर चक्का जाम करेंगे और खदानों का आवागमन रोक देंगे।


प्रशासन पर सीधा सवाल

  • ठेकेदार पर कार्रवाई क्यों नहीं?
  • डीएमएफटी फंड कहां जा रहा है?
  • वर्षों से खराब पड़े जालमीनार क्यों नहीं सुधरे?
  • मलेरिया प्रभावित क्षेत्र में दूषित पानी क्यों पिलाया जा रहा है?

यह पानी की किल्लत नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और ठेकेदार की लूट का सीधा उदाहरण है। सवाल यह है कि खनन से अरबों कमा रही कंपनियां और करोड़ों का फंड बांटने वाले अफसर — क्या तभी जागेंगे, जब इस पंचायत में प्यास से पहली मौत होगी?

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