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खरसावां में एकदिवसीय कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित: पारंपरिक खेती को पुनर्जीवित करने की पहल

आदिवासी हो समाज महासभा और अपना अधिकार संगठन के संयुक्त प्रयास से 40 किसानों को मिला वैज्ञानिक प्रशिक्षण, बदलते जलवायु पर विशेष चर्चा

विशेष संवाददाता, सरायकेला 
आदिवासी हो समाज महासभा कार्यालय, खरसावां में रविवार को एकदिवसीय कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम अपना अधिकार संगठन एवं आदिवासी हो समाज महासभा के संयुक्त नेतृत्व में संपन्न हुआ, जिसमें खरसावां एवं कुचाई प्रखंड के कुल 40 किसानों ने भाग लिया। प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य किसानों को बहु-फसली खेती, जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कृषि तकनीक एवं पशुपालन से पुनः जोड़ने की दिशा में मार्गदर्शन देना था।

कार्यक्रम के दौरान किसानों को बताया गया कि वे अपने खेतों में एक से अधिक प्रकार की फसलें कैसे उगा सकते हैं और किस तरह से पारंपरिक खेती को आधुनिक वैज्ञानिक पद्धतियों के साथ मिलाकर बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। साथ ही, बदलते मौसम और जलवायु संकट के कारण खेती-बाड़ी और पशुपालन से टूटते संबंधों पर चिंता जताते हुए इस दूरी को पाटने के उपाय भी सुझाए गए।

पूर्व सीबीआई एसपी हावेल हेंब्रम और वैज्ञानिक प्रदीप हेंब्रम का मार्गदर्शन

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में रांची के पूर्व सीबीआई एसपी श्री हावेल हेंब्रम विशेष रूप से उपस्थित रहे, जिन्होंने अपने अनुभवों के आधार पर ग्रामीणों को प्रोत्साहित किया। साथ ही, Hemrom Organic Export Organisation से जुड़े वैज्ञानिक और मुख्य प्रशिक्षक प्रदीप हेंब्रम ने किसानों को प्राकृतिक जैविक खेती, मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने, जल-संरक्षण तकनीकों और स्थानीय बीजों के महत्व पर आधारित व्यावहारिक ज्ञान प्रदान किया।

सरकारी योजनाओं की दी गई जानकारी

प्रशिक्षण सत्र में किसानों को केंद्र और राज्य सरकार की ओर से चलाई जा रही विभिन्न कृषि योजनाओं की जानकारी भी दी गई। इनमें पीएम-किसान सम्मान निधि, जैविक खेती प्रोत्साहन योजना, बीज वितरण योजना, कृषि यंत्र अनुदान योजना आदि प्रमुख थीं। किसानों को योजनाओं का लाभ लेने की प्रक्रिया और आवेदन के बारे में विस्तार से बताया गया।

अभियान को जन-जन तक पहुंचाने में जुटे कार्यकर्ता

इस प्रशिक्षण अभियान को गांव-गांव तक पहुंचाने और किसानों में जागरूकता फैलाने की दिशा में कई सामाजिक कार्यकर्ता सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। इनमें मनोज कुमार सोय, रामलाल हेंब्रम, नागेन सोय, मानसिंह बांकीरा, गुरुचरण सरदार, लखविंदर सरदार, उपेन्द्र सरदार, CSA टोपनो, डबुआ सोय, सूरज सोय, आशा तीयु, चांदमुनी बोदरा, काजल सिंह सरदार, ज्योसना सरदार, बाशंती सरदार, तुराम बोयपाई, और लाल सिंह (सदस्य) प्रमुख हैं।

पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का समावेश

कार्यक्रम में इस बात पर बल दिया गया कि आदिवासी समाज का पारंपरिक कृषि ज्ञान और आधुनिक वैज्ञानिक विधियों का समन्वय ही टिकाऊ और लाभकारी कृषि का रास्ता है। ग्रामीणों को यह भी बताया गया कि आत्मनिर्भर बनने के लिए खेती और पशुपालन का पुनरुद्धार अत्यंत आवश्यक है।

भविष्य में और प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने की योजना

संगठन की ओर से यह जानकारी दी गई कि आगे चलकर अन्य क्षेत्रों में भी इस प्रकार के कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, ताकि अधिक से अधिक किसान लाभान्वित हो सकें। इस पहल का उद्देश्य सिर्फ उत्पादन बढ़ाना नहीं, बल्कि आदिवासी समाज की आजीविका, संस्कृति और आत्मसम्मान की रक्षा करना भी है।


यह प्रशिक्षण कार्यक्रम खरसावां क्षेत्र में कृषि और स्वावलंबन को लेकर एक सकारात्मक पहल के रूप में देखा जा रहा है। ग्रामीणों में जागरूकता बढ़ाकर पारंपरिक खेती को फिर से मजबूती देने की दिशा में यह एक प्रभावी कदम साबित हो सकता है।

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