ठेका मजदूरों से जबरन वसूली, विस्थापितों की अनदेखी और बेरोजगारी पर बोले मंत्री—“अब बर्दाश्त नहीं”
रिपोर्ट : शैलेश सिंह |
झारखंड सरकार में राजस्व, पंजीकरण, भूमि सुधार और परिवहन मंत्री दीपक बिरुवा ने सेल प्रबंधन को कड़ा संदेश देते हुए चेतावनी दी है कि यदि ठेका मजदूरों का शोषण, विस्थापितों की उपेक्षा और बेरोजगारी जैसे गंभीर मुद्दों का समाधान एक माह के भीतर नहीं किया गया, तो बड़ा जन आंदोलन छेड़ा जाएगा। मंत्री बिरुवा ने मेघालया गेस्ट हाउस (सेल परिसर) में किरीबुरु, मेघाहातुबुरु, गुआ और चिड़िया खदान के सीजीएम और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की और समस्याओं की गहन समीक्षा की।

ठेका मजदूरों से बंधी-बंधाई वसूली : “अब नहीं सहेंगे शोषण”
बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए मंत्री बिरुवा ने भारी आक्रोश जताते हुए कहा कि किरीबुरु और मेघाहातुबुरु खदानों में हजारों ठेका मजदूरों से जबरन पैसा वसूला जा रहा है।
“नहीं देने पर मजदूरों को काम से निकाल दिया जाता है। यह सब सेल प्रबंधन की जानकारी में है और फिर भी कोई कार्रवाई नहीं होती—यह शर्मनाक है।”
उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह शोषण अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यदि एक माह के भीतर ठोस सुधार नहीं हुआ, तो 15 जुलाई को पुनः आकर आंदोलन की घोषणा यहीं से की जाएगी।
गुआ विस्थापन विवाद : होगा दोबारा सर्वे, कोई नहीं रहेगा वंचित
गुआ रेलवे साइडिंग को लेकर विस्थापन की जो समस्या सामने आ रही है, उस पर भी मंत्री ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि
“डीसी और एसडीओ को दोबारा सर्वे का निर्देश दिया जाएगा। केवल वही लोग विस्थापित होंगे जो वास्तव में उस जमीन के दायरे में आते हैं। जिनके नाम पहले छूट गए हैं, उन्हें भी सूची में जोड़कर आवास का लाभ दिलाया जाएगा।”
चिड़िया खदान के बेरोजगारों और मजदूरों की समस्याएं भी गंभीर
मंत्री ने खुलासा किया कि चिड़िया खदान के मजदूरों और प्रभावित गांवों के स्थानीय बेरोजगारों की समस्याएं बड़ी संख्या में सामने आई हैं। इसके लिए जुलाई माह में चिड़िया में ही प्रबंधन और जनप्रतिनिधियों की अलग से बैठक होगी, जिसमें सांसद जोबा माझी और विधायक जगत माझी की उपस्थिति भी सुनिश्चित की जाएगी।

सेल अस्पताल और स्कूलों की बदहाल व्यवस्था पर भी कार्रवाई के संकेत
मंत्री ने कहा कि सेल अस्पताल किरीबुरु में चिकित्सा सुविधाएं और स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था बेहद दयनीय स्थिति में हैं।
“सेल सिर्फ खनन कर मुनाफा कमा रहा है, लेकिन स्थानीय जनता की बुनियादी जरूरतों पर ध्यान नहीं दे रहा—यह अन्याय है।”
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि इन व्यवस्थाओं में जल्द सुधार नहीं हुआ, तो प्रबंधन को जन आंदोलन का सामना करना पड़ेगा।
टाटीबा की कारो नदी से जलापूर्ति योजना को लेकर बैठक का ऐलान
शहर की बस्तियों में जलापूर्ति के लिए कारो नदी से पाइपलाइन योजना की मांग पर मंत्री ने कहा कि
“जनप्रतिनिधियों और जिला परिषद अध्यक्ष लक्ष्मी सोरेन से प्रस्ताव लेकर उपायुक्त के माध्यम से बैठक की जाएगी और एक ठोस योजना बनाई जाएगी।”
मंत्री ने प्रबंधन को दी अंतिम चेतावनी : “समय बहुत कम है”
दीपक बिरुवा ने कहा कि यह अंतिम मौका है, प्रबंधन को अब जवाबदेह बनना होगा। केवल बैठकों और आश्वासनों से कुछ नहीं होगा।
“यदि एक माह में सुधार नहीं हुआ, तो 15 जुलाई को चिड़िया, गुआ, किरीबुरु और मेघाहातुबुरु खदानों में सड़कों पर उतरकर आंदोलन होगा।”
बैठक में कौन-कौन रहे मौजूद?
बैठक में सेल प्रबंधन की ओर से—
- किरीबुरु के सीजीएम कमलेश राय
- मेघाहातुबुरु के सीजीएम आर. पी. सेलबम
- गुआ और चिड़िया के सीजीएम कमल भास्कर
- अन्य उच्च अधिकारी
जनप्रतिनिधियों में—
- जिला परिषद अध्यक्ष लक्ष्मी सोरेन
- जिलाध्यक्ष सोनाराम देवगम
- जिला सचिव राहुल आदित्य
- इकबाल अहमद,
- मजदूर नेता रामा पांडेय, प्रेम गुप्ता
- मुखिया प्रफुल्लित गलोरिया तोपनो, लिपि मुंडा,
- उप मुखिया सुमन मुंडू,
- शमशाद आलम आदि शामिल थे।
निष्कर्ष : अब फैसले की घड़ी
सेल प्रबंधन के लिए यह बैठक चेतावनी की अंतिम घंटी थी। झारखंड सरकार का यह स्पष्ट संदेश है कि अगर अब भी ठोस समाधान नहीं निकला, तो आंदोलन होगा, जवाबदेही तय होगी और कार्रवाई होगी। अब देखना होगा कि एक माह के भीतर क्या वाकई कुछ बदलेगा या फिर 15 जुलाई को आदिवासी अंचल की सड़कों पर गूंजेगी मजदूरों की हुंकार।