विशेष संवाददाता, सरायकेला।
राजा महाराजाओं की परंपरा, आस्था और संस्कृति के प्रतीक सरायकेला रथयात्रा मेला की तैयारियां इस बार और भी भव्य रूप लेने जा रही हैं। रथयात्रा महोत्सव को लेकर श्री जगन्नाथ मेला समिति की बैठक रविवार को संपन्न हुई, जिसमें एक बार फिर सर्वसम्मति से मनोज कुमार चौधरी को लगातार 18वीं बार समिति का अध्यक्ष चुना गया। उनका यह चयन न केवल एक रिकॉर्ड है, बल्कि उनके नेतृत्व में मेले के सफल आयोजन पर जनता के भरोसे की मुहर भी है।
धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक विरासत का संगम है रथ मेला
मनोज चौधरी ने बैठक में कहा कि रथयात्रा मेला केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि यह हमारी प्राचीन धार्मिक परंपरा और सांस्कृतिक विरासत का जीवंत उदाहरण है। इसे सहेजना और संरक्षित करना हम सभी का सामूहिक दायित्व है। उन्होंने कहा कि यह मेला क्षेत्र की पहचान है और इसे सौहार्दपूर्ण वातावरण में संपन्न कराने के लिए प्रशासन, स्वयंसेवकों और श्रद्धालुओं का सहयोग बेहद जरूरी है।
चार दिन बढ़ा मेला, अब 10 जुलाई तक चलेगा उत्सव
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इस बार रथयात्रा मेला चार दिन अधिक रहेगा। प्रभु श्रीजगन्नाथ की रथयात्रा 27 जून को प्रारंभ होगी, रथ बड़दांड में रात्रि विश्राम करेगा, और 28 जून को गुंडिचा मंदिर (मौसी का घर) पहुंचेगा। उसी दिन से मेला की शुरुआत होगी, जो अब 10 जुलाई तक चलेगा।
हर वर्ग के लिए खास इंतज़ाम, बच्चों से लेकर महिलाओं तक सबके लिए कुछ न कुछ
रथ मेला में इस बार हर उम्र के लोगों को ध्यान में रखते हुए अनेक आकर्षण जोड़े गए हैं—
- बच्चों के लिए: मिकी माउस, ब्रेक डांस, नौका झूला, बिजली झूला सहित अन्य कई खेल और मनोरंजन के झूले लगाए जाएंगे।
- महिलाओं के लिए: भव्य मीना बाजार, जिसमें श्रृंगार, वस्त्र, घरेलू सामग्री और पूजा-सामग्री की दर्जनों दुकानें होंगी।
- खानपान: विभिन्न व्यंजनों और पारंपरिक खाद्य पदार्थों की दुकानों का आयोजन होगा।
- पवित्रता का ध्यान: कोर्ट मोड़ से थाना चौक तक मांस और अंडा की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।
देवसभा और भव्य झांकियां बनेंगी मुख्य आकर्षण
मेले के प्रमुख केंद्रों में से एक होगा “देवसभा”, जहां विशालकाय गरुड़ वाहन पर लक्ष्मी-नारायण की मूर्ति स्थापित की जाएगी। इनके साथ ही विभिन्न देवी-देवताओं की लीलाओं को दर्शाने वाली आकर्षक झांकियां सजाई जाएंगी, जिनका निर्माण कार्य इन दिनों जोरों पर है। मूर्तिकार दिन-रात प्रतिमा निर्माण में जुटे हैं, वहीं गुंडिचा मंदिर का रंग-रोगन कार्य भी पूर्ण हो चुका है।
अनोखी परंपरा: विभिन्न वेशों में दर्शन देकर भक्तों को भावविभोर करते हैं प्रभु
गुंडिचा मंदिर में होने वाली रथयात्रा की एक खास विशेषता यह है कि यहां प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को विभिन्न वेशों में सजाकर दर्शन के लिए प्रस्तुत किया जाता है। यह विश्व में एक अनोखी परंपरा है, जो श्रद्धालुओं को भावविभोर कर देती है। इस परंपरा का निर्देशन वर्तमान में सुशांत महापात्र कर रहे हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार
सांस्कृतिक सचिव रूपेश साहू ने बताया कि श्रद्धालुओं के मनोरंजन और आध्यात्मिक अनुभूति के लिए कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारी की जा रही है। ये कार्यक्रम गुंडिचा मंदिर प्रांगण में आयोजित किए जाएंगे।
मेला समिति में शामिल प्रमुख पदाधिकारी और सदस्य
बैठक में मेला समिति का पुनर्गठन भी किया गया, जिसमें मनोज कुमार चौधरी को लगातार 18वीं बार अध्यक्ष चुना गया। अन्य प्रमुख पदाधिकारी इस प्रकार हैं:
- उपाध्यक्ष: गोविंद साहू, भोला मोहंती
- सचिव: छोटेलाल साहू
- सांस्कृतिक सचिव: रूपेश साहू, संदीप कवि
बैठक में भोला मोहंती, रूपेश साहू, राकेश महांती, पंडित सानो आचार्य, ज्योति लाल साहू, अमिताभ मुखर्जी समेत दर्जनों सदस्य उपस्थित रहे।
आह्वान: प्रशासन, स्वयंसेवक व श्रद्धालु करें सहयोग
मनोज चौधरी ने सभी से अपील की है कि मेला को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए प्रशासन, वॉलिंटियर और आम नागरिकों का सहयोग अत्यंत आवश्यक है। मेला केवल आयोजन नहीं, एक परंपरा है, जिसे सबको मिलकर संरक्षित करना होगा।
यह रथयात्रा मेला न केवल सरायकेला की पहचान है, बल्कि यह क्षेत्र की सांस्कृतिक चेतना और आध्यात्मिक ऊर्जा का जीवंत प्रतीक भी है। ऐसे आयोजनों से न केवल परंपरा जीवित रहती है, बल्कि नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का माध्यम भी बनती है।