दक्षिण पूर्व रेलवे जोनल परामर्शदात्री समिति में पहली बार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व, सरायकेला में खुशी की लहर
रिपोर्ट: शैलेश सिंह
सरायकेला नगर पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष और प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता मनोज चौधरी को भारत सरकार के रेल मंत्रालय के अधीन दक्षिण पूर्व रेलवे (ZRUCC) कोलकाता का सदस्य मनोनीत किया गया है।
यह नियुक्ति “विशेष रुचि” श्रेणी के तहत हुई है, जो क्षेत्र के लिए पहली बार है।
यह सम्मान उनके जनसेवा, सामाजिक योगदान और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका का प्रमाण माना जा रहा है।
पूर्व में भी निभाई अहम भूमिकाएं
मनोज चौधरी हाल ही में नगर पंचायत सरायकेला के उपाध्यक्ष के रूप में पांच वर्षों का कार्यकाल और DRUCC (रेलवे परामर्शदात्री समिति) चक्रधरपुर मंडल के सदस्य के रूप में दो वर्षों का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं।
इन भूमिकाओं में उन्होंने यात्री सुविधाओं के विस्तार और जनहित नीतियों के क्रियान्वयन में अहम योगदान दिया।
विभिन्न संस्थाओं में सक्रिय नेतृत्व
मनोज चौधरी श्री कालूराम सेवा ट्रस्ट, चेंबर ऑफ कॉमर्स, मारवाड़ी धर्मशाला जैसी कई सामाजिक, धार्मिक और व्यापारिक संस्थाओं में नेतृत्वकारी पदों पर हैं।
बाल्यकाल से ही सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों में सक्रिय रहकर उन्होंने समाज में नेतृत्व को नई दिशा दी है।
ZRUCC की भूमिका और मनोज चौधरी की प्राथमिकताएं
ZRUCC भारतीय रेलवे के संचालन, नीतियों, सुधारों और यात्री कल्याण से जुड़ी सिफारिशों में अहम भूमिका निभाती है।
मनोज चौधरी ने स्पष्ट किया है कि—
- सरायकेला जिला मुख्यालय को रेलवे नेटवर्क से जोड़ना
- चक्रधरपुर, रांची, आद्रा और खड़गपुर मंडलों में यात्री सुविधाओं का विस्तार
- सबसे अधिक राजस्व देने वाले चक्रधरपुर मंडल में ट्रेनों की संख्या बढ़ाना
- हावड़ा-बड़बिल जनशताब्दी एक्सप्रेस को बड़बिल-हावड़ा फेरा बदलकर चलाना
इन मुद्दों को वे प्राथमिकता से उठाएंगे।
शुभकामनाओं की बधाई और जिम्मेदारी का संकल्प
ZRUCC सदस्य बनाए जाने पर क्षेत्रभर से बधाई संदेश मिल रहे हैं।
मनोज चौधरी ने कहा—
“आज की बैठक में चक्रधरपुर मंडल के रेलवे परामर्शदात्री सदस्यों ने मुझे जोनल स्तर पर यह जिम्मेदारी सौंपी है। मैं ईमानदारी और समर्पण के साथ इसका निर्वहन करूंगा और क्षेत्र की आवाज बुलंद करूंगा।”
क्षेत्रीय विकास में नई उम्मीद
मनोज चौधरी की नियुक्ति से सरायकेला और आसपास के जिलों में रेलवे सुविधाओं के विस्तार को लेकर नई उम्मीद जगी है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि उनका अनुभव, जनसंपर्क और सक्रियता रेलवे बोर्ड के फैसलों में क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ाएगी।