चाईबासा पुलिस और CRPF 60 बटालियन का संयुक्त ऑपरेशन, सुरक्षाबलों को मिली बड़ी सफलता
रिपोर्ट: शैलेश सिंह | चाईबासा, पश्चिमी सिंहभूम
पश्चिमी सिंहभूम जिले के सारंडा और आसपास के जंगली-पहाड़ी क्षेत्रों में माओवादियों द्वारा बड़ी हिंसक साजिश रचने की गुप्त सूचना के आधार पर, चाईबासा पुलिस और सीआरपीएफ की 60वीं बटालियन ने एक संयुक्त अभियान चलाकर नक्सलियों के मंसूबों को नाकाम कर दिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा (माओवादी) के शीर्ष नेता मिशिर बेसरा, अनमोल, मोछु, अनल, असीम मंडल, अजय महतो, सागेन अंगरिया, अश्विन, पिंटु लोहरा, चंदन लोहरा, अमित हांसदा, जयकांत, रापा मुंडा व अन्य अपने दस्ते के साथ सारंडा/कोल्हान क्षेत्र में विध्वंसक गतिविधियों की योजना बना रहे थे। इसी को देखते हुए सुरक्षाबलों ने 17 जून 2025 से ऑपरेशन की शुरुआत की।
नक्सलियों की बड़ी साजिश नाकाम, 14 IED और 52 किलो विस्फोटक जब्त
अभियान के दौरान 17 जून 2025 को टोकलो थाना अंतर्गत ग्राम चितपील जंगली/पहाड़ी क्षेत्र में नक्सलियों द्वारा छुपाकर रखे गए कुल 14 IED (संभावित अमोनियम नाइट्रेट विस्फोटक से युक्त) तथा एक 52 किलोग्राम वजनी पीले रंग की सफेद पाउडर भरी थैली बरामद की गई। यह विस्फोटक सामग्रियां सुरक्षाबलों को निशाना बनाने, सड़क निर्माण कार्य में विघ्न डालने तथा पुलिस की पेट्रोलिंग पार्टी पर हमले के उद्देश्य से रखी गई थीं।
विस्फोटकों को किया गया निष्क्रिय, एफआईआर दर्ज
सुरक्षाबलों ने तत्काल बम निरोधक दस्ते की मदद से बरामद IED और विस्फोटकों को सुरक्षित स्थान पर निष्क्रिय किया। इस संबंध में संबंधित धाराओं के तहत थाना टोकलो में कांड संख्या 15/25, धारा 191(2)/191(3)/190/132/612 भा.दं.वि. एवं 17 CLA Act के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।
ऑपरेशन में शामिल रही ये टीमें
इस विशेष संयुक्त ऑपरेशन में दो प्रमुख इकाइयाँ सक्रिय रहीं:
- चाईबासा पुलिस
- सीआरपीएफ 60 बटालियन
पुलिस अधीक्षक, पश्चिमी सिंहभूम, चाईबासा के नेतृत्व में यह अभियान जंगली-पहाड़ी इलाकों में निरंतर जारी है। अधिकारियों के अनुसार यह अभियान नक्सल विरोधी रणनीति के तहत आगे भी जारी रहेगा।
निष्कर्ष: माओवादियों पर करारा प्रहार
झारखंड में एक बार फिर सुरक्षाबलों ने भाकपा माओवादी संगठन की बड़ी साजिश को विफल कर यह साबित कर दिया है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में उनकी पकड़ लगातार मजबूत हो रही है। यह सफलता आने वाले समय में माओवादियों के मनोबल पर बड़ा असर डालेगी और क्षेत्र में शांति स्थापना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।