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सारंडा के जंगल में तेज धमाका: अब तक रहस्य बना हुआ है विस्फोट का स्रोत। सेल मैगजीन हाउस के पास 8 अप्रैल को हुई घटना से सहमे लोग, वन विभाग और सुरक्षा बल सतर्क

 

बिहार रोड के समीप जंगल में दहला दिन: दोपहर 12:30 बजे सुनाई दी बम जैसी आवाज

रिपोर्ट: शैलेश सिंह
किरीबुरु थाना क्षेत्र के अंतर्गत सेल की मैगजीन हाउस (बिहार रोड) के पास 8 अप्रैल को दोपहर लगभग साढ़े बारह बजे एक जोरदार धमाके की आवाज सुनाई दी। यह आवाज इतनी तीव्र थी कि उसे आस-पास के सीआईएसएफ जवानों, पुलिस, वन विभाग के अधिकारियों, सेल कर्मियों और आम ग्रामीणों तक ने महसूस किया। बताया जा रहा है कि यह आवाज किसी बम विस्फोट जैसी थी, लेकिन अब तक इस धमाके की कोई पुष्टि नहीं हो पाई है।

सुरक्षा बल और वन विभाग सकते में, कोई ठोस जानकारी नहीं

धमाके के तुरंत बाद सुरक्षा बल हरकत में आ गए। घटनास्थल से कुछ सौ मीटर की दूरी पर ही सुरक्षाबलों का कैंप और कई कार्यालय स्थित हैं, बावजूद इसके यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि यह धमाका कैसे, किसने और किस उद्देश्य से किया। स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जांच जारी है, लेकिन कोई ठोस जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है।

वन विभाग ने बंद की जंगल की गतिविधियां, ग्रामीणों में दहशत का माहौल

इस घटना के बाद वन विभाग ने एहतियात के तौर पर इस क्षेत्र में जंगल से जुड़ी अपनी गतिविधियों पर रोक लगा दी है। पत्ता तोड़ने और बकरी चराने जाने वाले ग्रामीणों भी जंगल में प्रवेश करना बंद कर दिया है। यह क्षेत्र पहले से ही नक्सल प्रभावित माना जाता है, जिस कारण लोगों में भय का माहौल और गहरा गया है।

नक्सली गतिविधि या अन्य साजिश? जांच के घेरे में कई संभावनाएं

घटना स्थल सारंडा के गहरे और दुर्गम जंगलों में आता है, जो लंबे समय से नक्सली गतिविधियों का गढ़ रहा है। ऐसे में यह आशंका जताई जा रही है कि कहीं यह विस्फोट नक्सलियों द्वारा किसी अभ्यास या चेतावनी के रूप में तो नहीं किया गया।

स्थानीय प्रशासन अलर्ट पर, ग्रामीणों से की जा रही अपील

प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों ने स्थानीय ग्रामीणों से किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत देने की अपील की है। गांव के लोगों को भी सतर्क रहने और बिना जरूरत जंगल की ओर न जाने का निर्देश दिया जा रहा है।

धमाके की गूंज से उठे कई सवाल, कब मिलेगा जवाब?

इस रहस्यमयी धमाके ने न केवल स्थानीय लोगों की चिंता बढ़ा दी है, बल्कि यह विभिन्न एजेंसियों पर भी कई सवाल खड़े करता है। अब देखना है कि जांच एजेंसियां इस अबूझ पहेली को कब तक सुलझा पाती हैं।

 

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