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“सेल प्रबंधन को झारखंड सरकार की चेतावनी : पहले समाधान, फिर लीज”- मंत्री दीपक बिरुवा

 

मेघाहातुबुरु में मंत्री दीपक बिरुवा का सख्त संदेश – ‘स्थानीयों को नौकरी दो, विस्थापन बंद करो, वरना होगा बड़ा जनआंदोलन’


रिपोर्ट : शैलेश सिंह
मेघाहातुबुरु (पश्चिमी सिंहभूम)

झारखंड सरकार में राजस्व, पंजीकरण, भूमि सुधार एवं परिवहन मंत्री दीपक बिरुवा ने सेल प्रबंधन को सीधे शब्दों में चेताया – “झारखंड की जमीन पर लीज चाहिए तो झारखंड के लोगों का हक पहले देना होगा।” मेघाहातुबुरु दौरे पर पहुँचे मंत्री का भव्य स्वागत झामुमो कार्यकर्ताओं ने किया, लेकिन इस स्वागत के तुरंत बाद उन्होंने जो तेवर दिखाए, उससे सेल प्रबंधन के होश उड़ गए।

मजदूरों, मानकी-मुंडाओं और ग्रामीणों से सीधे संवाद

मेघाहातुबुरु स्थित सामुदायिक भवन में मंत्री बिरुवा ने श्रमिक संगठनों, ठेका मजदूरों, मानकी-मुंडाओं, ग्रामीणों और सेलकर्मियों से सीधा संवाद किया। जैसे ही लोगों ने अपनी समस्याएं रखीं – विस्थापन, रोजगार की कमी, शिक्षा, स्वास्थ्य और पेयजल जैसे मुद्दों की झड़ी लग गई।

बिरुवा ने तुरंत मंच से एलान किया –

“सेल अगर लीज नवीकरण चाहता है तो उसे पहले स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार देना होगा, विस्थापन नहीं सहा जाएगा। जो भी यहां खनन करेगा, उसे यहीं के लोगों को सम्मान देना होगा।”


सेल पर गंभीर आरोप : खनन करो, मुनाफा ले जाओ, पर झारखंड को क्या?

मंत्री ने तीखा प्रहार करते हुए कहा –

“सेल यहां से खनिज संपदा निकालकर दूसरे शहरों का विकास कर रही है और झारखंड को दे रही है प्रदूषण, बीमारी और विस्थापन। यह कब तक चलेगा?”

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को अगर झारखंड से हजारों करोड़ रुपये का राजस्व मिल रहा है तो राज्य को भी उसका हक मिलना चाहिए।

“एक हाथ से ताली नहीं बजती, दोनों हाथों से बजती है। अब एकतरफा दोहन नहीं चलेगा।”


बाहरी नियुक्तियों पर बैन की मांग : “बोकारो से लोग लाकर क्यों भर्ती?”

मंत्री ने स्पष्ट किया –

“सेल प्रबंधन बोकारो या बाहरी जिलों से लोगों को ला रही है और यहां की नौकरी उनसे भर रही है। ये बर्दाश्त नहीं होगा। नौकरी तो पहले स्थानीय और खदान से प्रभावित गांवों के युवाओं को मिलेगी।”

उन्होंने दो टूक कहा कि अगर मांगे नहीं मानी गईं तो एक बड़ा जनांदोलन खड़ा किया जाएगा।


गुआ रेलवे साइडिंग विस्थापन पर भड़के मंत्री

गुआ क्षेत्र में रेलवे साइडिंग के नाम पर लोगों को जबरन हटाने की कोशिश पर बिरुवा भड़क उठे –

“यह विस्थापन उचित नहीं है। पहले लोगों को बसाओ फिर हटाओ, ये कैसा अन्याय है?”

उन्होंने कहा कि गुआ, किरीबुरु और मेघाहातुबुरु के लोगों को जबरन उजाड़ा नहीं जाएगा। झारखंड सरकार गरीबों और मजदूरों की सरकार है और उनकी हर हाल में रक्षा की जाएगी।


सवाल उठाया: मजदूर संगठन एक क्यों नहीं?

मंत्री ने मजदूर संगठनों के आपसी बिखराव पर भी चिंता जताई –

“जब समस्या एक है तो संगठन अलग-अलग क्यों? संगठित होकर ही लड़ाई जीती जा सकती है। एक साथ आएं और सेल के खिलाफ एकजुट आंदोलन करें।”


बैठक में उठीं तीखी आवाजें : मजदूर नेता बोले – ‘सेल गरीबों का शोषण कर रही है’

बैठक में मौजूद मजदूर नेता रामा पांडेय ने कहा –

“सेल गरीबों और मजदूरों का शोषण कर रही है। यह हेमंत सोरेन की सरकार है, विस्थापन किसी कीमत पर नहीं होने देंगे।”

उन्होंने गुआ के संदर्भ में कहा कि यदि विस्थापन करना है तो पहले लोगों को पुनर्वास देना होगा।


ये रहे प्रमुख मांगें जो मंत्री के समक्ष रखी गईं:

सेल में सभी बहालियां किरीबुरु नियोजन कार्यालय के माध्यम से हों।

  1. ठेका व सप्लाई मजदूरों में स्थानीय व खदान प्रभावित गांवों को प्राथमिकता मिले।
  2. किरिबुरु अस्पताल में चिकित्सकों की कमी दूर की जाए, मुफ्त दवाएं मिलें।
  3. चतुर्थ श्रेणी में बड़ी संख्या में स्थानीयों की बहाली हो।
  4. सारंडा के 10 वनग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित किया जाए।
  5. बहदा गांव को सीएसआर की सूची में शामिल किया जाए।
  6. सेल टाउनशिप में बसे गैर-सेलकर्मियों को विस्थापित न किया जाए।

सभी वर्गों की उपस्थिति में बनी जन-एकजुटता

इस बैठक में जिला परिषद अध्यक्ष लक्ष्मी सोरेन, जिलाध्यक्ष सोनाराम देवगम, जिला सचिव राहुल आदित्य, नेता सुभाष बनर्जी, इकबाल अहमद, दीपक प्रधान, रामा पांडेय, विश्वनाथ बारा, अभिषेक सिंकु, विपिन पूर्ति, रीमु बहादूर, प्रेम गुप्ता, दुर्गा चरण तोपनो, कामरान रजा, मुखिया प्रफुल्लित गलोरिया तोपनो, लिपि मुंडा, उप मुखिया सुमन मुंडू, शमशाद आलम, मो. तबारक, जयराम गोप, पूर्व प्रमुख जीरेन सिंकु, अफताब आलम, इंतखाब आलम सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।


निष्कर्ष : अब आरपार की लड़ाई का एलान!

मंत्री दीपक बिरुवा ने अपने भाषण के अंत में चेताया –

“हम सकारात्मक सोच के साथ काम करेंगे, लेकिन जो झारखंड के हक को छीनने का प्रयास करेगा, उसे सबक सिखाएंगे। अब झारखंड झुकेगा नहीं!”

यह संदेश सिर्फ सेल को नहीं, बल्कि उन सभी कॉरपोरेट ताकतों को है जो झारखंड की खनिज संपदा का दोहन कर रही हैं लेकिन झारखंड को उसका न्यायसंगत हक देने से कतरा रही हैं। अब समय है जवाब मांगने का।

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