कोल्हान की ‘लाइफ लाइन’ बनी जानलेवा रास्ता
रिपोर्ट, शैलेश सिंह।
सरायकेला-चाईबासा रोड की हालत ऐसी है कि गड्ढे गिनने बैठो तो मंज़िल तक देर हो जाए। चौका–कांड्रा–सरायकेला–चाईबासा सड़क पर चलना अब रोज़ मौत को न्योता देना जैसा है।
🛑 “टोल टैक्स नहीं, मौत का टैक्स वसूला जा रहा है!”
तीन-तीन टोल नाके, फिर भी सड़क की ऐसी दुर्गति!
सरायकेला से चाईबासा तक 65 किमी की सड़क पर तीन टोल प्लाजा हैं। करोड़ों की वसूली के बावजूद सड़क पर गड्ढे, जलजमाव और जानलेवा खतरें। यह टोल नहीं, खुलेआम लूट है।
🛑 “सड़क गड्ढों से भरी, फिर भी टोल जारी — क्यों?”
‘धान रोपनी’ से किया सिस्टम को शर्मिंदा
सरायकेला नगर पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष मनोज कुमार चौधरी ने शनिवार को सड़क पर धान रोपकर विरोध दर्ज कराया। यह चेतावनी है — अब और बर्दाश्त नहीं।
🛑 “जहां चलनी थी गाड़ी, वहां हो रही है खेती!”
JRDC, प्रशासन और ठेकेदार सब नाकाम!
जनता भुगत रही है, लेकिन झारखंड रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (JRDC) और स्थानीय प्रशासन नींद में हैं। अखबारों में हेडलाइन बन चुकी सड़क फिर भी अफसरों के कान में जूं तक नहीं रेंगी।
🛑 “सरकार सो रही है, सड़क कराह रही है!”
मनोज चौधरी की खुली चेतावनी
“अब आर-पार की लड़ाई होगी। या तो सड़क बनेगी, या टोल बंद होगा। जब तक सड़क दुरुस्त नहीं, तब तक जनता टोल टैक्स न दे!” – मनोज चौधरी
🛑 “सड़क नहीं तो टोल नहीं — यही जनमत, यही आदेश!”
क्या टोल का मतलब जनता को ठगना है?
स्ट्रीट लाइट नहीं, शौचालय नहीं, एंबुलेंस नहीं — सुविधा के नाम पर शून्य। ऐसे में टोल वसूलना सिर्फ छलावा है।
🛑 “फटे सड़क पर भरोसा नहीं — और टोल टैक्स कोई मज़ाक नहीं!”
जनता से अपील — अब चुप मत रहो!
मनोज चौधरी ने लोगों से अपील की है कि जब तक सड़क की मरम्मत नहीं होती, कोई भी टोल टैक्स न दे। यह लड़ाई जन अधिकारों की है।
🛑 “जो सड़क नहीं बना सकते, वो टैक्स वसूलने का हक खो चुके हैं!”
निष्कर्ष: सड़क नहीं, शर्म है ये!
कोल्हान की ‘लाइफ लाइन’ आज जनता के लिए ‘डेथ लाइन’ बन चुकी है। अब अगर जनता सड़क पर उतरेगी, तो टोल कंपनी और प्रशासन की जवाबदेही तय होगी।
🛑 “अब टोल नहीं, आंदोलन होगा!”