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मुख्यमंत्री पशुधन योजना में भारी अनियमितता: लाभुकों को नहीं मिला बीमा लाभ, अधिकांश पशु मर चुके

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जिला परिषद उपाध्यक्ष मधुश्री महतो ने उपायुक्त व जिला पशुपालन पदाधिकारी से जांच की मांग की

कुचाई, कुकड़ू और अन्य प्रखंडों में सप्लायर की मनमानी

रिपोर्ट : शैलेश सिंह
मुख्यमंत्री पशुधन योजना के तहत सरायकेला-खरसावां जिले के विभिन्न प्रखंडों में वितरण किए जा रहे बकरी, बैल, गाय एवं सुअर जैसे पशुओं में बड़े पैमाने पर अनियमितता का आरोप लगा है। जिला परिषद की उपाध्यक्ष श्रीमती मधुश्री महतो ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए उपायुक्त और जिला पशुपालन पदाधिकारी को पत्र लिखकर जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कई उदाहरण व प्रमाण भी सौंपी है।

वितरण के बाद दो-तीन दिनों में ही दम तोड़ रहे हैं पशु

पत्र में कहा गया है कि योजना के तहत वितरित किए गए बकरा और सूकर जैसे छोटे पशु दो-तीन दिनों के भीतर ही मर जा रहे हैं। खासकर कुचाई प्रखंड में पशुओं की मृत्यु की संख्या चिंताजनक है। जनप्रतिनिधियों को वितरण की सूचना नहीं दी जाती और वितरण कार्य किसी सुदूरवर्ती क्षेत्र में किया जाता है, जिससे निगरानी नहीं हो पाती।

बीमा कराने का दावा, लेकिन कागजात नदारद

प्राप्त जानकारी के अनुसार, विभाग यह कहकर पल्ला झाड़ता रहा है कि सभी पशुओं का बीमा कराया गया है। किंतु, हकीकत यह है कि आज तक किसी भी लाभुक को बीमा राशि प्राप्त नहीं हुई है। कुचाई प्रखंड में 3 मई 2025 को किए गए वितरण में शामिल 11 लाभुकों की 21 बकरियां मर चुकी हैं, लेकिन उन्हें अब तक बीमा से संबंधित कोई कागजात तक नहीं दिए गए।

पुराना मामला भी अधूरा, बीमा लाभ से वंचित हैं लाभुक

मधुश्री महतो ने पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि विगत वित्तीय वर्ष में भी विभाग द्वारा लाभुकों को गाय, बैल, बकरी और सुअर का वितरण किया गया था, लेकिन न कुकड़ू और न ही अन्य किसी प्रखंड में लाभुकों को बीमा के कागजात मिले। पशुओं की मौत के बाद भी किसी लाभुक को बीमा लाभ नहीं मिला है।

कुचाई प्रखंड में वितरण की प्रक्रिया संदिग्ध

विशेष रूप से कुचाई प्रखंड में वितरण प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं। प्रखंड प्रमुख द्वारा शिकायत के बाद वितरण कार्य प्रखंड मुख्यालय से हटाकर दूरदराज क्षेत्रों में किया जा रहा है, जिससे पारदर्शिता में भारी कमी देखी जा रही है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों को इस प्रक्रिया से दूर रखा जा रहा है।

गरीब लाभुकों के साथ अन्याय

जिला परिषद उपाध्यक्ष का कहना है कि यह पूरा मामला गरीब लाभुकों के साथ गंभीर अन्याय है। उन्हें योजना का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है, बल्कि उल्टा वे अपने मृत पशुओं के कारण मानसिक और आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं। बीमा की सुविधा का लाभ न मिलना इस योजना की सबसे बड़ी विफलता है।

तत्काल जांच और कार्रवाई की मांग

अपने पत्र के माध्यम से श्रीमती महतो ने मांग की है कि मुख्यमंत्री पशुधन योजना के तहत जिले के सभी प्रखंडों में किए जा रहे वितरण की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए। साथ ही, कुचाई प्रखंड में विशेष रूप से हो रही धांधली को गंभीरता से लेकर संबंधित सप्लायर और विभागीय कर्मियों पर नियमानुसार कार्रवाई की जाए।

सभी लाभुकों को बीमा दस्तावेज उपलब्ध कराए जाएं

उपाध्यक्ष ने स्पष्ट किया है कि सभी लाभुकों को बीमा से संबंधित कागजात तत्काल उपलब्ध कराए जाएं ताकि भविष्य में पशु की मृत्यु की स्थिति में उन्हें आर्थिक सहायता मिल सके। उन्होंने मांग की है कि अब तक जिन पशुओं की मृत्यु हो चुकी है, उनके लिए बीमा राशि दिलाने की पहल की जाए।

कृत कार्रवाई से जनप्रतिनिधियों को अवगत कराने की मांग

पत्र के अंत में मधुश्री महतो ने कहा है कि इस पूरे मामले में की गई कार्रवाई की जानकारी उन्हें भी उपलब्ध कराई जाए ताकि वह स्वयं जनहित में इसकी निगरानी कर सकें और पीड़ित लाभुकों को न्याय दिलाया जा सके।

यह मामला न सिर्फ सरकारी योजनाओं की जमीनी हकीकत उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि किस प्रकार से योजनाओं का लाभ आमजन तक पहुंचने से पहले ही भ्रष्टाचार और लापरवाही की भेंट चढ़ रहा है। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस मामले में कितनी तत्परता और पारदर्शिता के साथ कार्रवाई करता है।

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