माओवादियों की बड़ी योजना का पर्दाफाश
रिपोर्ट: शैलेश सिंह
स्वतंत्रता दिवस पर बड़े हमले की तैयारी कर रहे प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के शीर्ष नेताओं की साजिश को झारखंड पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों ने समय रहते ध्वस्त कर दिया।
सूत्रों से मिली पुख्ता जानकारी के अनुसार, मिसिर बेसरा, अनमोल, मोछु, अनल, असीम मंडल, अजय महतो, सागेन अंगरिया, अश्विन जैसे बड़े नक्सली सरगना अपने दस्ता सदस्यों के साथ कोल्हान और सारंडा क्षेत्र में सक्रिय थे।
इनके साथ दस्ता के खतरनाक कमांडर — रवि सरदार, जयकांत, अरुण, संदीप, शिवा, रिसीभ, अपटन, सनत, अमित मुंडा, भुनेश्वर उर्फ सालुका कायम सोमवारी भी शामिल थे।
सूत्र बताते हैं कि यह समूह पुलिस और सुरक्षा बलों पर घात लगाकर हमला करने और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियां अंजाम देने की फिराक में था।
12 अगस्त की रात आया इंटेलिजेंस अलर्ट
12 अगस्त 2025 की रात पुलिस को खुफिया सूचना मिली कि माओवादी दस्ता स्वतंत्रता दिवस से पहले कोल्हान क्षेत्र में किसी बड़ी हिंसक वारदात को अंजाम देने की तैयारी कर रहा है।
इस सूचना के सत्यापन और त्वरित कार्रवाई के लिए चाईबासा जिला पुलिस और कोबरा 209 बटालियन की संयुक्त टीम का गठन किया गया।
अभियान की योजना गुप्त रखी गई और टीम ने रात में ही रणनीतिक पोजीशन ले ली।
सुबह 6 बजे जंगल में मुठभेड़
13 अगस्त 2025 को सुबह लगभग 6 बजे, गोईलकेरा थाना क्षेत्र के दुगुनिया, पोसैता और तुम्बागाड़ा के बीच फैले पहाड़ी और घने जंगल में सुरक्षा बलों ने माओवादी दस्ते को घेर लिया।
सुरक्षाबलों को देखते ही नक्सलियों ने अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दीं। जवाब में बलों ने भी मोर्चा संभालते हुए फायरिंग की।
करीब आधे घंटे तक दोनों ओर से गोलाबारी होती रही।
सुरक्षा बलों की रणनीतिक बढ़त और सटीक फायरिंग से घबराकर माओवादी दस्ता इलाके की भौगोलिक जटिलता — ऊंचे पहाड़ और घना जंगल — का फायदा उठाकर भाग निकला।
एरिया कमांडर अरुण का खात्मा
सर्च अभियान में सुरक्षा बलों को एक पुरुष नक्सली का शव मिला। पहचान करने पर पता चला कि यह अरुण उर्फ वरुण उर्फ निलेश मदकम, थाना कोन्टा, जिला सुकमा (छत्तीसगढ़) का रहने वाला और प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) का एरिया कमांडर था।
अरुण लंबे समय से झारखंड-छत्तीसगढ़ सीमा पर माओवादी गतिविधियों का संचालन कर रहा था।
यह पुलिस और सीआरपीएफ के लिए ‘मोस्ट वांटेड’ सूची में शामिल था और उस पर कई संगीन मामलों में वारंट जारी थे।
जब्त हथियार और सामान
मुठभेड़ स्थल से सुरक्षा बलों ने भारी मात्रा में सामग्री बरामद की:
- एसएलआर रायफल
- बड़ी संख्या में कारतूस
- दैनिक उपयोग की वस्तुएं
- नक्सली दस्तावेज और प्रचार सामग्री
अरुण का खूनी आपराधिक इतिहास
अरुण का आपराधिक रिकॉर्ड बेहद लंबा और खतरनाक था। वह पुलिस और आम नागरिकों पर हमले, हत्या, अपहरण, फिरौती और विस्फोटक हमलों में शामिल रहा है।
प्रमुख मामले इस प्रकार हैं:
- गोईलकेरा थाना कांड संख्या-05/19 — पुलिस पर हमला, यूएपीए, आर्म्स एक्ट
- गोईलकेरा थाना कांड संख्या-06/20 — अपहरण और हत्या
- सोनुवा थाना कांड संख्या-35/20 — पुलिस मुठभेड़, यूएपीए
- टोंटो थाना कांड संख्या-01/23 — पुलिसकर्मियों पर हमला, विस्फोटक अधिनियम
- टोंटो थाना कांड संख्या-26/23 — गोलीबारी, धमकी
- टोंटो थाना कांड संख्या-30/23 — हत्या का प्रयास, विस्फोटक अधिनियम
संयुक्त बलों की भूमिका सराहनीय
इस ऑपरेशन में चाईबासा जिला पुलिस और कोबरा 209 बटालियन की टीम ने उत्कृष्ट तालमेल दिखाया।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के SOP और दिशा-निर्देशों के तहत मुठभेड़ के बाद विधिसम्मत कार्रवाई की जा रही है।
स्थानीय सुरक्षा पर बड़ा असर
इस अभियान ने न सिर्फ माओवादियों की स्वतंत्रता दिवस पर हिंसा फैलाने की साजिश को विफल किया, बल्कि स्थानीय गांवों में भय का माहौल भी कम किया है।
ग्रामीणों का कहना है कि इस कार्रवाई से उन्हें राहत मिली है और अब वे सुरक्षा बलों पर और अधिक भरोसा कर पा रहे हैं।
अभियान जारी रहेगा
पुलिस ने स्पष्ट किया है कि यह सिर्फ शुरुआत है।
“हम नक्सलियों को उनके अंजाम तक पहुंचाए बिना चैन से नहीं बैठेंगे,” एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा।
इलाके में सर्च ऑपरेशन और नक्सल विरोधी अभियान लगातार जारी है।
झारखंड पुलिस का संदेश
झारखंड पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि वे नक्सली गतिविधियों की जानकारी तुरंत पुलिस को दें।
सूचना देने वाले का नाम और पहचान पूरी तरह गुप्त रखी जाएगी।