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भारी वर्षा और घने कोहरे से किरीबुरु-सारंडा क्षेत्र प्रभावित: मंगला हाट सूना, ग्रामीण उत्पादों की बिक्री ठप

जनजीवन पर असर, किसानों को मिली राहत; बाजार में सन्नाटा, ग्राहक नदारद

रिपोर्ट: शैलेश सिंह | किरीबुरु/मेघाहातुबुरु

पश्चिमी सिंहभूम जिले के किरीबुरु-मेघाहातुबुरु एवं सारंडा क्षेत्र में मंगलवार की सुबह से जारी मूसलधार बारिश और घने कोहरे ने जहां एक ओर जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है, वहीं दूसरी ओर यह वर्षा इलाके के किसानों, वन उत्पाद संग्रहकर्ताओं और वनस्पति जगत के लिए संजीवनी साबित हो रही है।

सुबह से ही रुक-रुक कर हो रही बारिश और चारों ओर छाया घना कोहरा सड़क परिवहन, बाजार और आम दिनचर्या पर असर डाल रहा है। खासकर किरीबुरु में हर मंगलवार को लगने वाला साप्ताहिक मंगला हाट-बाजार इस बार पूरी तरह प्रभावित रहा।

ग्रामीण आए, ग्राहक नहीं

मंगलवार को हाट में सारंडा के सुदूरवर्ती गांवों से कुछ ग्रामीण पारंपरिक वनोपज जैसे आम, जामुन, कटहल, साग और औषधीय जड़ें लेकर पहुँचे थे, लेकिन बारिश और कोहरे के कारण ग्राहक लगभग न के बराबर रहे। कई ग्रामीणों ने कहा कि वे सुबह 4 बजे ही जंगल-पहाड़ से पैदल चलकर बाजार पहुंचे, लेकिन खाली हाथ लौटना पडे़गा।

एक महिला विक्रेता ने बताया, “जामुन और आम लेकर आए हैं, लेकिन कोई खरीदने वाला नहीं है। पूरा बाजार सूना पड़ा है। इतनी बारिश में हमने जो लाया, वह सड़ भी सकता है।”

दुकानें भी कम, व्यवसायियों में मायूसी

मौसम की मार का असर केवल ग्रामीण उत्पादकों पर ही नहीं, बल्कि स्थानीय दुकानदारों और व्यवसायियों पर भी पड़ा। आम दिनों की तुलना में कपड़ा, किराना, सब्जी, मछली, चाय-नाश्ता आदि की दुकानें काफी कम संख्या में खुली थीं। जिनकी दुकानें लगी भी थीं, उनके सामने ग्राहक नदारद रहे।

स्थानीय व्यवसायी ने कहा, “हर हफ्ते लगभग 1000 से ज्यादा लोग इस हाट में आते हैं, लेकिन आज मुश्किल से 300 भी नहीं पहुंचे होंगे। बारिश और कोहरे ने सबकुछ रोक दिया है।”

राहत भी है इस बारिश में

जहां एक ओर इस बारिश ने स्थानीय बाजार व जनजीवन को प्रभावित किया, वहीं यह वर्षा क्षेत्र के किसानों और वन क्षेत्र के लिए जीवनदायी बनकर आई है। पिछले कुछ हफ्तों से लगातार गर्मी और उमस से लोग बेहाल थे। बारिश ने न केवल तापमान में गिरावट लाई है, बल्कि खेती-बाड़ी और वनस्पति को भी संजीवनी दी है।

सारंडा के एक किसान ने बताया, “यह बारिश हमारे लिए बहुत जरूरी थी। धान की बुवाई के लिए जमीन में नमी आ गई है। साथ ही जंगल में सूखे पत्तों पर पानी गिरने से आग का खतरा भी टल गया।”

स्कूल और यातायात प्रभावित

भारी बारिश और कोहरे के कारण क्षेत्र के स्कूल-कॉलेजों में छात्रों की उपस्थिति बहुत कम रही। वही दूसरी ओर किरीबुरु, मेघाहातुबुरु और मनोहरपुर की ओर जाने वाली सड़कों पर वाहन धीमी गति से चले। सोमवार की शाम से हीं दृश्यता बहुत कम रही, जिससे सड़क हादसों की आशंका को देखते हुए लोग घरों में ही रहे।

स्थानीय नागरिक ने कहा, “इतना घना कोहरा वर्षों बाद देखा। सड़क पर कुछ मीटर आगे भी देख पाना मुश्किल था। बाइक और चारपहिया वाहन रेंगते नजर आए।”

निष्कर्षतः, एक तरफ जहां यह वर्षा जनजीवन को असहज बना रही है, वहीं दूसरी ओर प्रकृति के संतुलन और खेती-किसानी के लिए यह एक सुखद संकेत है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में मौसम सामान्य होगा और बाजारों की रौनक फिर लौटेगी। ग्रामीणों को भी उनके परिश्रम का उचित मूल्य मिल सकेगा।

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