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🕯️ “गुरुजी का जीवन संघर्ष, सेवा और संकल्प की मिसाल रहा” — त्रिशानु राय

कांग्रेस प्रवक्ता ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन को दी श्रद्धांजलि, कहा — “यह केवल एक व्यक्ति नहीं, एक युग का अवसान है”

रिपोर्ट: शैलेश सिंह 

झारखंड आंदोलन के जननायक और पूर्व मुख्यमंत्री दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर पश्चिमी सिंहभूम जिला कांग्रेस प्रवक्ता त्रिशानु राय ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि यह केवल एक महान नेता का निधन नहीं, बल्कि एक विचारधारा, एक चेतना और एक युग का अंत है।

उन्होंने कहा,

“गुरुजी का जीवन संघर्ष, सेवा और संकल्प की मिसाल रहा है।”
“उनका नेतृत्व महाजनी शोषण, नशे और सामाजिक अन्याय के विरुद्ध एक निरंतर युद्ध रहा, जिसने झारखंड की माटी में चेतना की लौ जलाई — जंगलों, पहाड़ों, गांवों से लेकर विधानसभा और संसद तक।”


🔥 “दिशोम गुरु सिर्फ नाम नहीं, एक जीवंत विचारधारा थे”

त्रिशानु राय ने कहा कि शिबू सोरेन ने आदिवासी, दलित और वंचित समाज की पीड़ा को राजनीतिक चेतना में बदला। उन्होंने झारखंड को सिर्फ एक भौगोलिक पहचान नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक अस्मिता प्रदान की।

“वो एक नाम नहीं थे, बल्कि एक आंदोलन थे। उनका होना ही झारखंड के लिए ऊर्जा, आत्मबल और दिशा का प्रतीक था।”


🌱 “जल, जंगल और ज़मीन के लिए जंग का प्रतीक थे गुरुजी”

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि दिशोम गुरु का जीवन आदिवासी समाज के लिए जल, जंगल, ज़मीन और अधिकार की लड़ाई का प्रतीक रहा है।

“गुरुजी का हर संघर्ष, हर आंदोलन इस माटी से जुड़ा था। उन्होंने बार-बार साबित किया कि बिना झुके, बिना डरे कैसे जनसंघर्ष को नेतृत्व दिया जाता है।”


🗣️ “झारखंड की अस्मिता और स्वाभिमान को दिया मजबूत आधार”

त्रिशानु राय ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा,

“गुरुजी झारखंड के असली स्तंभ थे। उनके नेतृत्व ने इस राज्य को आवाज दी, आत्मसम्मान दिया। उनका त्याग और समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा।”

उन्होंने यह भी कहा कि शिबू सोरेन का संघर्ष इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा

“उनका जीवन आदिवासी अस्मिता, अधिकार और स्वाभिमान की प्रेरक गाथा है।”


🙇‍♂️ दिशोम गुरु को विनम्र श्रद्धांजलि

झारखंड की राजनीति और सामाजिक चेतना में शिबू सोरेन का योगदान अमिट और अतुलनीय है। उनके निधन से न केवल झारखंड, बल्कि पूरे देश में वंचित वर्गों और आदिवासी समुदायों के बीच शोक की लहर है।

कांग्रेस प्रवक्ता त्रिशानु राय ने अपने वक्तव्य के अंत में कहा

“गुरुजी नहीं रहे, पर उनका विचार हमेशा जीवित रहेगा। उनकी प्रेरणा से ही हम झारखंड को और न्यायपूर्ण, और सशक्त बना सकते हैं।”

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