धान बुआई का समय खत्म होने को है, लैंपस केंद्रों पर नहीं मिल रहा पर्याप्त बीज, आजसू प्रतिनिधिमंडल मिलेगा उपायुक्त से
सरायकेला/खरसावां।
जिले के किसानों के लिए धान की बुआई का समय नजदीक है, लेकिन लैंपस केंद्रों पर धान बीज की भारी किल्लत से किसान बेहाल हैं। इस गंभीर समस्या को लेकर आजसू पार्टी सरायकेला-खरसावां जिला के कार्यकारी अध्यक्ष श्री राम रतन महतो ने शनिवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए सरकार की कृषि नीति और कार्यप्रणाली पर तीखा हमला बोला।
उन्होंने कहा कि –
“धान बुआई का सीजन अब समाप्ति की ओर है, लेकिन अभी तक अधिकांश किसानों को बीज नहीं मिला है। हर पंचायत में लैंपस खोलने का दावा किया जाता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि अधिकांश प्रखंडों में एक-दो लैंपस ही काम कर रहे हैं और वहां भी बीज की आपूर्ति नाकाफी है।”
सरकार की उदासीनता से किसान चिंता में डूबे: राम रतन महतो
राम रतन महतो ने कहा कि धान बीज की अनुपलब्धता के कारण किसान असमंजस में हैं कि वे खेतों में बुआई कैसे करें। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि झारखंड की वर्तमान सरकार किसानों के प्रति संवेदनशील नहीं है और हर बार की तरह इस बार भी समय पर कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है।
“किसानों को मौसम आधारित उन्नत बीज उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन यहां किसानों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है,” उन्होंने कहा।
असमान वितरण और अनियमित आपूर्ति बनी समस्या की जड़
प्रेस बयान में यह भी उल्लेख किया गया कि जिला भर में लैंपस की संख्या तो है, लेकिन उनका संचालन और बीज वितरण काफी असमान और अव्यवस्थित है। एक पंचायत में लैंपस पर बीज मिल रहा है, तो दूसरी पंचायत के किसान खाली हाथ लौट रहे हैं।
“थोड़ा बहुत बीज कुछ किसानों को मिला है, लेकिन अधिकतर किसान अभी भी बीज के इंतजार में हैं,” महतो ने स्पष्ट किया।
आजसू पार्टी बनाएगी किसानों की आवाज: प्रतिनिधिमंडल देगा डीसी को ज्ञापन
आजसू पार्टी ने यह ऐलान किया है कि वह किसानों के हक के लिए हर मंच पर आवाज उठाएगी। पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल बहुत जल्द सरायकेला-खरसावां जिला उपायुक्त से मिलकर धान बीज की उपलब्धता सुनिश्चित कराने की मांग करेगा।
“हम सरकार की विफलता का हिसाब मांगेंगे। अगर समय रहते बीज उपलब्ध नहीं कराया गया तो यह किसानों के साथ अन्याय होगा, और आजसू पार्टी इसे बर्दाश्त नहीं करेगी,” राम रतन महतो ने कहा।
समय की नजाकत को नहीं समझ रही सरकार: फसल संकट की आशंका
धान की बुआई का समय अब अंतिम चरण में है और यदि आने वाले कुछ दिनों में बीज उपलब्ध नहीं कराया गया, तो जिले भर के खेत खाली रह जाएंगे या किसान मजबूरी में कम उत्पादन वाले विकल्प अपनाएंगे, जिससे आगामी फसल सत्र में खाद्यान्न उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
निष्कर्ष: किसान की चिंता बनी राजनीतिक मुद्दा, सरकार की चुप्पी पर सवाल
धान बीज की किल्लत ने न सिर्फ किसानों को संकट में डाला है, बल्कि यह मुद्दा अब राजनीतिक तूल भी पकड़ने लगा है। आजसू पार्टी की पहल से यह स्पष्ट संकेत है कि यदि सरकार ने त्वरित निर्णय नहीं लिया, तो आने वाले दिनों में यह मामला जिला से लेकर विधानसभा तक पहुंच सकता है।