शैलेश सिंह:- सारंडा स्थित किरीबुरु-हिल्टौप मुख्य मार्ग के दोनों किनारों पर बीते तीन दिनों से हाथियों का एक समूह डेरा डाले हुए है। इस 6-7 सदस्यीय झुंड में एक हाथी का बच्चा भी शामिल है। हाथियों ने जिस इलाके में शरण ली है, वह झारखंड और ओडिशा की सीमा पर स्थित है।
15 फरवरी की शाम करीब 4:30 बजे हिल्टौप से किरीबुरु लौट रहे लखन चाम्पिया की इन हाथियों से मुख्य मार्ग के पुराने मैगजीन क्षेत्र में आमना-सामना हो गया। उन्होंने सतर्कता बरतते हुए कुछ दूरी से अपने मोबाइल फोन में हाथियों की तस्वीर कैद कर ली।
गौरतलब है कि कुछ महीनों के अंतराल में हाथियों के झुंड या फिर अकेले हाथी नियमित रूप से इस क्षेत्र में पहुंचते हैं और कई दिनों तक आसपास के इलाकों में घूमते रहते हैं। जब हाथी अकेले आते हैं, तो वे किरीबुरु और हिल्टौप के शहरी क्षेत्रों के अलावा सारंडा के गांवों में प्रवेश कर उत्पात मचाते हैं। इस दौरान वे घरों में तोड़फोड़ करने के साथ-साथ जानमाल को भी भारी नुकसान पहुंचाते हैं।
किरीबुरु और हिल्टौप शहरी क्षेत्रों में हाथियों की बढ़ती गतिविधियों से सेल प्रबंधन, कर्मचारी, आम जनता और वन विभाग लगातार चिंतित हैं। बताया जाता है कि सारंडा में हाथियों के कॉरिडोर को अवैध कटाई और अतिक्रमण से बाधित कर दिया गया है, जिससे हाथियों के स्वाभाव में आक्रामकता बढ़ गई है और वे शहरी इलाकों में घुसने को मजबूर हो रहे हैं।
वन विभाग और प्रशासन को इस समस्या के समाधान के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि इंसानों और हाथियों के बीच टकराव को कम किया जा सके।