“शून्य दुर्घटना” लक्ष्य को लेकर आयोजित कार्यशाला में विशेषज्ञों ने दिए अहम सुझाव, खदान निरीक्षण के दौरान सुरक्षा मानकों की समीक्षा
सुरक्षा सर्वोपरि: किरीबुरु खदान में विशेष कार्यशाला का आयोजन
रिपोर्ट : शैलेश सिंह
14 मई को डायरेक्टर ऑफ माइन्स सेफ्टी (डीजीएमएस, चाईबासा रीजन) श्री आर. आर. मिश्रा द्वारा किरीबुरु खदान का दौरा किया गया। इस अवसर पर सुरक्षा जागरुकता को बढ़ावा देने हेतु एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसका विषय था — “Safe Transportation, Handling, Storage and Use of Explosives तथा Review of Safety Management Plan”।
प्रशासनिक व यूनियन प्रतिनिधियों की मौजूदगी
इस कार्यशाला में किरीबुरु के चीफ जनरल मैनेजर (सीजीएम) श्री कमलेश राय, महाप्रबंधक श्री राम सिंह, महाप्रबंधक श्री दीपेन लोहार, सहायक महाप्रबंधक श्री रथिन विश्वास, श्री सी. के. विश्वाल सहित अन्य अधिकारी, पीट सेफ्टी कमिटी के सदस्य तथा यूनियन प्रतिनिधि शामिल हुए।
कार्यशाला में साझा किए गए सुरक्षा के अनुभव और समाधान
कार्यशाला में श्री मिश्रा ने विस्फोटकों के सुरक्षित प्रयोग, परिवहन और भंडारण से संबंधित सावधानियों की विस्तृत जानकारी दी। साथ ही, सेफ्टी मैनेजमेंट प्लान की समीक्षा करते हुए खदान में लागू सुरक्षा उपायों की गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर दिया गया। उन्होंने उपस्थित कर्मचारियों और अधिकारियों को खदान में “Zero Accident, Zero Harm” का लक्ष्य अपनाने का संदेश दिया।
खदान का निरीक्षण: सुरक्षा उपायों को और सशक्त करने के निर्देश
कार्यशाला के उपरांत श्री मिश्रा द्वारा खदान का गहन निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने सुरक्षा से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत समीक्षा की और आवश्यक सुझाव दिए। उन्होंने निर्देश दिया कि खदान में इन सुझावों को शीघ्र लागू किया जाए, ताकि कार्यस्थल और अधिक सुरक्षित बन सके तथा किसी भी संभावित दुर्घटना की संभावना को शून्य किया जा सके।
कार्यक्रम का सफल संचालन
इस पूरे कार्यक्रम का संचालन खदान के सुरक्षा अधिकारी श्री पी. बी. साहू द्वारा कुशलता पूर्वक किया गया। उन्होंने सभी अधिकारियों, कर्मचारियों और यूनियन प्रतिनिधियों को सुरक्षा के प्रति सजग रहने और समय-समय पर प्रशिक्षण लेने की आवश्यकता पर बल दिया।
निष्कर्ष: सुरक्षा जागरुकता से ही संभव है शून्य दुर्घटना
डीजीएमएस निदेशक की यह पहल न केवल खदान कर्मियों के लिए प्रेरणास्पद रही, बल्कि सुरक्षा मानकों को लेकर नई दिशा भी प्रदान की। कार्यशाला और निरीक्षण के माध्यम से यह स्पष्ट संदेश गया कि सुरक्षा केवल एक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक सतत संस्कार है, जिसे हर कर्मचारी और अधिकारी को अपने कार्य जीवन में आत्मसात करना चाहिए।