जंगल से आई विस्फोट की आवाज, दीघा गांव में पसरा सन्नाटा
रिपोर्ट: शैलेश सिंह
9 अप्रैल की शाम जैसे ही दीघा गांव के आसमान में तीन तेज धमाकों की गूंज उठी, पूरा गांव सन्न रह गया। जराईकेला थाना अंतर्गत घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में स्थित इस गांव के ग्रामीणों ने बताया कि बम जैसी तीव्र आवाज जंगल की ओर से आई। इस घटना के बाद गांव में स्थित एकलव्य मॉडल स्कूल के बच्चे, शिक्षक और आइडीसी सेंटर के कर्मचारी भय के साए में आ गए।
गांववालों के मुताबिक, आज सूर्यास्त के समय कुछ कुछ देर के अंतराल पर तीन जोरदार आवाजें सुनाई दीं, जिससे यह आशंका जताई जा रही है कि यह बम विस्फोट ही था। हालांकि, ग्रामीण इस विस्फोट के कारण या स्थान की सटीक जानकारी नहीं दे पा रहे हैं, लेकिन जंगल की दिशा से आवाज आने की पुष्टि कई लोगों ने की है।
नक्सलियों के आईईडी जाल में उलझा जंगल, पुलिस कर रही सर्च ऑपरेशन
यह इलाका नक्सलियों की गतिविधियों के लिए कुख्यात रहा है। सुरक्षाबलों की रिपोर्ट के अनुसार, जंगल, पहाड़ी क्षेत्रों और पगडंडियों में नक्सलियों ने बड़ी संख्या में आईईडी (इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) बिछा रखे हैं, ताकि पुलिस को नुकसान पहुंचाया जा सके।
हालिया महीनों में पुलिस और अर्धसैनिक बलों द्वारा चलाए जा रहे लगातार सर्च ऑपरेशनों में कई आईईडी को निष्क्रिय किया गया है। इसके अलावा, सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के दर्जनों बंकर, स्ट्रेंच (घात लगाने हेतु बनाई गई खाइयां), हथियार छिपाने के डम्प आदि को भी नष्ट किया है।
पुलिस अधीक्षक ने की पुष्टि, दो आईईडी बरामद, बड़ी साजिश टली
इधर, पश्चिमी सिंहभूम के पुलिस अधीक्षक आशुतोष शेखर ने एक बयान में जानकारी दी कि जाराईकेला थाना क्षेत्र के वनग्राम बड़गांव के पास जंगल में दो आईईडी बरामद किए गए हैं। दोनों विस्फोटक 5-5 किलो वजनी थे और सुरक्षा बलों की सतर्कता के कारण इन्हें समय रहते निष्क्रिय कर दिया गया।
हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि ये वही विस्फोटक थे जिनकी आवाज दीघा गांव के ग्रामीणों ने सुनी या फिर कहीं और भी धमाके हुए हैं। क्योंकि दीघा गांव के लोग तीन धमाकों की बात कर रहे हैं, जबकि पुलिस द्वारा बरामद किए गए आईईडी की संख्या दो है। इससे अंदेशा जताया जा रहा है कि जंगल में और भी विस्फोट हो सकते हैं, या फिर कोई दूसरा घटनाक्रम भी हुआ हो सकता है।
सारंडा में नक्सली दहशत कायम, ग्रामीणों की चिंता बढ़ी
घटना के बाद दीघा गांव और आसपास के ग्रामीणों में डर का माहौल है। स्कूल के बच्चों और स्थानीय कर्मियों में दहशत साफ झलक रही है। ग्रामीणों का कहना है कि जंगल के भीतर क्या हो रहा है, इसकी उन्हें जानकारी नहीं है लेकिन बार-बार ऐसे धमाके होना चिंता का विषय है।
सुरक्षा बलों की ओर से लगातार सर्च ऑपरेशन जारी है, लेकिन नक्सलियों द्वारा लगाए गए विस्फोटक जंगल में छिपे खतरे की तरह हैं। जब तक इन्हें पूरी तरह से साफ नहीं किया जाता, तब तक इस क्षेत्र में सामान्य जीवन बहाल होना मुश्किल लगता है।
नक्सलवाद की जड़ें अभी भी गहरी, पुलिस की चुनौती बरकरार
यह घटना इस बात का संकेत है कि नक्सलियों की पकड़ अभी भी सारंडा जैसे जंगलों में बनी हुई है। प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती जंगलों में बिछाए गए आईईडी जाल को साफ करना और ग्रामीणों को सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराना है।
पुलिस और सुरक्षा बलों की ओर से निरंतर ऑपरेशन चल रहे हैं, लेकिन हर धमाका यह याद दिलाता है कि जमीनी स्तर पर अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।