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बिहार में इलेक्ट्रोपैथी बोर्ड गठन की मांग तेज, स्वास्थ्य मंत्री को सौंपा गया ज्ञापन

 

राजस्थान मॉडल को आधार बनाकर इलेक्ट्रो होमियोपैथी को मान्यता देने की अपील, जनस्वास्थ्य के लिए बताया गया प्रभावी और सुरक्षित विकल्प

रिपोर्ट : शैलेश सिंह
राजस्थान की तर्ज पर बिहार में भी इलेक्ट्रोपैथी/इलेक्ट्रो होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति बोर्ड के गठन की मांग अब जोर पकड़ रही है। इस संबंध में “आस्था फाउंडेशन” और “इलेक्ट्रो होमियोपैथिक परिवार, बिहार” की ओर से बिहार सरकार के माननीय स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय को काराकाट विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक राजेश्वर राज के माध्यम से एक ज्ञापन सौंपा गया है, जिसमें इस हर्बल एवं प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति को राज्य में वैधानिक स्वरूप देने की अपील की गई है।

पाँचवी प्रमुख चिकित्सा पद्धति के रूप में उभरती इलेक्ट्रोपैथी

ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि इलेक्ट्रोपैथी या इलेक्ट्रो होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति विश्व की पाँचवीं वैज्ञानिक चिकित्सा प्रणाली मानी जाती है। यह प्रणाली वनस्पतियों से प्राप्त विशुद्ध स्पेजरिक-एसेंस के आधार पर निर्मित औषधियों के माध्यम से मानव शरीर और जीव-जन्तुओं का उपचार करती है, वो भी बिना किसी दुष्प्रभाव के।

प्राकृतिक और हानिरहित विकल्प की जरूरत

“आस्था फाउंडेशन ” के प्रतिनिधियों का कहना है कि इलेक्ट्रोपैथी न केवल किफायती है, बल्कि यह पूरी तरह से हर्बल व हानि रहित उपचार पद्धति भी है। बिहार जैसे राज्य में, जहां आज भी एक बड़ी आबादी उचित स्वास्थ्य सेवा से वंचित है, वहां यह प्रणाली एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।

राजस्थान मॉडल बना प्रेरणा स्रोत

ज्ञापन में इस बात का उल्लेख किया गया है कि राजस्थान सरकार ने पहले ही इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा पद्धति को मान्यता देते हुए उसके लिए एक स्वतंत्र बोर्ड का गठन कर दिया है। उसी मॉडल को बिहार में लागू करने की अपील करते हुए कहा गया है कि इससे न केवल इस चिकित्सा पद्धति को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि राज्य के ग्रामीण एवं वंचित इलाकों में स्वास्थ्य सेवा की पहुँच और भी बेहतर हो सकेगी।

सरकारी मान्यता से मिलेगा प्रोत्साहन

प्रतिनिधियों का कहना है कि बोर्ड गठन से न केवल चिकित्सकों को औपचारिक पहचान मिलेगी, बल्कि प्रशिक्षण, रिसर्च, नियमन एवं औषधि निर्माण के क्षेत्र में भी व्यापक सुधार और विस्तार हो सकेगा। इससे हजारों इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सकों को सामाजिक और पेशेवर सम्मान मिलेगा, जो आज भी एक औपचारिक ढांचे के अभाव में संघर्षरत हैं।

मांग को बताया गया ऐतिहासिक अवसर

ज्ञापन के अंत में “आस्था फाउंडेशन ” ने श्री मंगल पांडेय से इस दिशा में एक ऐतिहासिक एवं सुनहरा कदम उठाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यदि बिहार सरकार इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा बोर्ड का गठन करती है, तो यह राज्य के लिए एक नई स्वास्थ्य क्रांति की शुरुआत होगी।

जनस्वास्थ्य की दिशा में निर्णायक कदम की प्रतीक्षा

अब देखना यह है कि स्वास्थ्य मंत्री इस जनहितपूर्ण मांग पर किस तरह की प्रतिक्रिया देते हैं। यदि यह मांग स्वीकार होती है, तो आने वाले समय में बिहार देश के उन अग्रणी राज्यों में शामिल हो सकता है, जहां पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा के साथ-साथ हर्बल एवं प्राकृतिक पद्धतियों को भी समान अवसर और मान्यता मिलती है।

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