एनआरइपी अभियंताओं के वेतन पर रोक, निर्माण कार्य शीघ्र पूरा करने का निर्देश, उपायुक्त ने जताई नाराजगी।
सरायकेला, संवाददाता
सरायकेला-खरसावां जिला के उपायुक्त रवि शंकर शुक्ला ने कुचाई प्रखंड के कोर्रा और जावबेड़ा गांवों में स्कूल भवन निर्माण में हो रही देरी पर कड़ी नाराजगी जताई है। बुधवार को जिला स्तरीय समन्वय समिति की समीक्षा बैठक में उन्होंने कार्यकारी एजेंसी एनआरइपी के अभियंताओं की जवाबदेही तय करते हुए उनके वेतन निकासी पर रोक लगाने का आदेश दिया।
भवन निर्माण शुरू ही नहीं, निंव तक भरने के कगार पर
रिव्यू के दौरान यह खुलासा हुआ कि नव प्राथमिक विद्यालय जावबेड़ा में सिर्फ निंव की खुदाई कर उसे अधूरा छोड़ दिया गया है, जो अब भरने के कगार पर है। वहीं, मध्य विद्यालय कोर्रा में अब तक कोई निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है। यह स्थिति निर्माण एजेंसी की लापरवाही को दर्शाती है।
अधिकारियों की जिम्मेदारी तय
इस पर उपायुक्त ने नाराजगी जताते हुए एनआरइपी के कार्यपालक अभियंता, सहायक अभियंता और कनिष्ठ अभियंताओं के वेतन निकासी पर रोक लगा दी है। उन्होंने सख्त निर्देश दिया कि जब तक भवन निर्माण पूर्ण नहीं हो जाता, किसी भी अभियंता को वेतन नहीं दिया जाएगा।
निर्माण कार्य जल्द पूरा करने का निर्देश
डीसी शुक्ला ने निर्देश दिया कि कोर्रा और जावबेड़ा दोनों स्कूल भवनों का निर्माण अविलंब शुरू किया जाए और समयबद्ध ढंग से कार्य पूरा किया जाए। साथ ही, कुचाई के मध्य विद्यालय काडेरांगों में भी निर्माण कार्य शीघ्र पूरा करने का निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिया गया।
झोपड़ी में चल रही पढ़ाई, बच्चे हो रहे हैं परेशान
गौरतलब है कि कोर्रा और जावबेड़ा दोनों गांवों के स्कूल अब तक झोपड़ीनुमा कच्चे मकान में संचालित हो रहे हैं। ग्रामीणों द्वारा बांस, खपड़ा और तिरपाल से बनाए गए इन अस्थायी ढांचों में बच्चों को पढ़ाई में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। न गर्मी से बचाव है, न बरसात से सुरक्षा।
सीमावर्ती और सुविधाविहीन क्षेत्र में बसे हैं गांव
कोर्रा और जावबेड़ा गांव रोलाहातु पंचायत की सीमा पर बसे हैं। ये खूंटी जिला के अड़की प्रखंड की सीमा से सटे हुए हैं और पहाड़ियों से घिरे हुए हैं। क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं का भारी अभाव है, जो स्कूल भवन निर्माण में देरी को और अधिक चिंताजनक बनाता है।
जनता दरबार के बाद मिली थी स्वीकृति
पिछले साल 29 सितंबर को उपायुक्त रवि शंकर शुक्ला और स्थानीय विधायक दशरथ गागराई ने कोर्रा में जनता दरबार लगाया था। ग्रामीणों की मांग पर कोर्रा व जावबेड़ा में स्कूल भवन निर्माण की योजना को मंजूरी दी गई थी। लेकिन छह महीने से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हो सका।
कम शिक्षकों में चल रहा है स्कूल
मध्य विद्यालय कोर्रा में कक्षा 1 से 8 तक की पढ़ाई होती है, जहां 43 छात्रों के लिए केवल एक नियमित शिक्षक और एक पारा शिक्षक कार्यरत हैं। वहीं नव प्राथमिक विद्यालय जावबेड़ा में कक्षा 1 से 5 तक की पढ़ाई होती है, जहां 27 बच्चों को केवल एक पारा शिक्षक ही पढ़ा रहे हैं।
बच्चों का भविष्य अधर में, जवाबदेही जरूरी
इन गांवों के बच्चों का भविष्य भवन निर्माण में हो रही देरी के कारण संकट में है। उपायुक्त का सख्त रुख एक सकारात्मक पहल है, लेकिन इसके क्रियान्वयन की निगरानी भी उतनी ही जरूरी है, ताकि सरकारी योजनाएं कागजों में सिमट कर न रह जाएं और जमीनी हकीकत बदले।