12 करोड़ की लागत से बन रही सड़क पर दरारें, पुल बनते ही टूटने लगे; ठेकेदार पर गंभीर आरोप
रिपोर्ट: संदीप गुप्ता/शैलेश सिंह
गुवा के जनरल ऑफिस से नुईया गांव तक निर्माणाधीन सड़क की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए हैं। लगभग 12 करोड़ रुपये की लागत से बन रही इस सड़क में पुलों के निर्माण के साथ ही दरारें पड़ने लगी हैं, जिससे सड़क की गुणवत्ता को लेकर क्षेत्र में रोष व्याप्त है।
स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों का आरोप है कि इस सड़क निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल हो रहा है, जिससे अभी निर्माण कार्य पूरा भी नहीं हुआ है और सड़क एवं पुलों में दरारें पड़नी शुरू हो गई हैं।
रांची की कंपनी कर रही निर्माण, सरकार ने दिए 12 करोड़
यह सड़क निर्माण कार्य झारखंड सरकार द्वारा स्वीकृत है, जिसकी जिम्मेदारी रांची की ए.के. इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड को दी गई है। कंपनी गुवा में करीब दो किलोमीटर सड़क बना रही है, जिसकी कुल लागत लगभग 12 करोड़ रुपये बताई जा रही है। इस परियोजना को लेकर क्षेत्र में शुरू से ही कई सवाल उठते रहे हैं, लेकिन अब जब निर्माण कार्य के दौरान ही दरारें और टूट-फूट सामने आई हैं, तो इसकी गुणवत्ता पर संदेह और गहरा गया है।
पुल में पड़ी दरारें, निर्माणाधीन सड़क पर टूट-फूट
स्थानीय ग्रामीणों और राहगीरों का कहना है कि सड़क पर कई स्थानों पर पुल का निर्माण पूरा भी नहीं हुआ है और उसमें पहले से ही दरारें देखी जा रही हैं। कुछ पुलों के किनारे से सीमेंट उखड़ने लगे हैं, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि निर्माण कार्य किस स्तर का किया जा रहा है। अगर समय रहते इसे रोका न गया तो आने वाले दिनों में यह सड़क एक बड़ा हादसा निमंत्रण दे सकती है।
झामुमो कार्यकर्ता ने लगाया घटिया निर्माण का आरोप
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के सक्रिय कार्यकर्ता वृंदावन गोप ने सड़क निर्माण में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए कहा है कि जिस तरह से सड़क और पुलों में दरारें आ रही हैं, उससे स्पष्ट है कि ठेकेदार द्वारा घटिया सामग्री का प्रयोग किया जा रहा है। उन्होंने सरकार और प्रशासन से मांग की है कि निर्माण स्थल की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
स्थानीय लोग भी कर रहे विरोध, जांच की मांग तेज
स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने इस मामले को लेकर विरोध जताया है और कहा है कि यह जनता की मेहनत की गाढ़ी कमाई का दुरुपयोग है। सड़क निर्माण की गुणवत्ता से समझौता करना जनता के साथ धोखा है। ग्रामीणों ने निर्माण एजेंसी और विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत की भी आशंका जताई है। उन्होंने इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
प्रशासन मौन, ठेकेदार पर नहीं हो रही कोई कार्रवाई
सबसे चिंताजनक बात यह है कि बार-बार शिकायतों के बावजूद अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। निर्माण स्थल पर निरीक्षण तो हुआ है, लेकिन उसके बाद क्या कार्रवाई हुई, इसकी जानकारी किसी को नहीं है। इससे स्थानीय लोगों में नाराजगी बढ़ती जा रही है और वे अब आंदोलन की चेतावनी देने लगे हैं।
जनहित की परियोजनाओं में लापरवाही क्यों?
झारखंड जैसे राज्य में, जहां सड़कों की हालत पहले से ही खराब है, वहां यदि नई सड़कें बनने से पहले ही टूटने लगें तो यह गंभीर चिंता का विषय है। इससे न केवल सरकारी धन की बर्बादी होती है, बल्कि जनता के जान-माल का भी खतरा बढ़ जाता है। जरूरत है कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले और संबंधित अधिकारियों और ठेकेदारों पर जवाबदेही तय करे।
निष्कर्ष
गुवा-नुईया सड़क निर्माण में सामने आई अनियमितताओं ने एक बार फिर सरकारी ठेकों की निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है। यह जरूरी है कि इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच हो, दोषियों पर कार्रवाई की जाए और निर्माण कार्य में गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए, ताकि जनता को सुरक्षित और टिकाऊ सड़क मिल सके।