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लगातार बारिश ने ली गरीबों की छत: सारंडा के दुबिल गांव में एक और कच्चा मकान ढहा

सरकारी सहायता की बाट जोह रहा है सुरजमुनी चाम्पिया का परिवार, 12 दिन पहले गिरे मकान को भी नहीं मिली मदद

रिपोर्ट : शैलेश सिंह ।

सारंडा के सुदूरवर्ती छोटानागरा पंचायत अंतर्गत दुबिल गांव के हेंदेदिरी टोला में लगातार हो रही मूसलधार बारिश ने एक और गरीब परिवार की छत छीन ली है। मंगलवार की तड़के करीब 4 बजे सुरजमुनी चाम्पिया, पति जुमल चाम्पिया का कच्चा मकान बारिश के कारण पूरी तरह से धराशायी हो गया।

घर गिरने से अलमीरा, बक्सा, मोबाइल, जरूरी कागजात और खाद्यान्न सामग्री पूरी तरह से नष्ट हो गई। पीड़ित परिवार अब न घर में रह सकता है और न खाना खा सकता है। चारों ओर गीली मिट्टी और टूटी दीवारों के बीच परिवार अब खुले आसमान तले जिंदगी गुजारने को मजबूर है।

प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से लगाई गुहार

सुरजमुनी चाम्पिया और उसके परिजनों ने जिला प्रशासन, अंचलाधिकारी एवं पंचायत प्रतिनिधियों से गुहार लगाई है कि वह अत्यंत गरीब हैं और उन्हें तत्काल सहायता एवं मुआवजा दिया जाए ताकि वे इस मानसूनी विपदा में छत और भोजन की व्यवस्था कर सकें।

पहले भी गिर चुका है मकान, अब तक नहीं मिली कोई सहायता

इस घटना से पहले 26 जून को इसी गांव के सोमबारी किम्बो, पति बामिया किम्बो का मकान भी वर्षा के चलते पूरी तरह से ढह गया था। पीड़िता ने पंचायत की मुखिया मुन्नी देवी के माध्यम से अंचलाधिकारी को आवेदन देकर मुआवजा और सहायता की मांग की थी। लेकिन घटना के 12 दिन बीत जाने के बावजूद आज तक पीड़ित को कोई सरकारी सहायता नहीं मिली

ग्रामीणों में गहरा आक्रोश

सरकारी निष्क्रियता से ग्रामीणों में गहरी नाराजगी है। लगातार दो घटनाओं के बावजूद प्रशासन की चुप्पी गरीबों के प्रति असंवेदनशीलता को दर्शाती है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय पर सहायता नहीं दी गई तो वर्षा के इस मौसम में और भी कई परिवार इसी तरह तबाही का शिकार हो सकते हैं।

“गरीबों के पास एक ही कमरा होता है” – मुखिया मुन्नी देवगम

पंचायत की मुखिया मुन्नी देवगम ने कहा कि,

गांव के अधिकतर गरीबों के पास एक या दो कमरों का ही कच्चा मकान होता है, जिसमें वे बच्चों समेत पूरा परिवार समेटे जीवन जीते हैं। यदि उनका घर गिर जाता है तो उनके पास सिर छिपाने की कोई जगह नहीं बचती। ऐसी स्थिति में सरकार और प्रशासन को त्वरित राहत देनी चाहिए।

सवालों के घेरे में प्रशासन

लगातार हो रही वर्षा के चलते सारंडा के कई गांवों में कच्चे मकान खतरे में हैं, लेकिन जिला प्रशासन द्वारा पूर्व सूचना या आपदा प्रबंधन की कोई ठोस तैयारी नहीं दिख रही है। ग्रामीणों की मांग है कि सरकार क्षेत्र का सर्वे कर आवासहीन या कमजोर मकान वाले परिवारों को प्राथमिकता पर सहायता प्रदान करे


यदि अब भी प्रशासन नहीं जागा तो वर्षा और आपदा के बीच गरीबों की यह पीड़ा आने वाले दिनों में और भयावह हो सकती है।

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