रिपोर्ट : शैलेश सिंह
सेल की गुआ लौह अयस्क खदान में रविवार शाम एक दर्दनाक हादसे में अनुभवी सेलकर्मी चरण पूर्ति की घटनास्थल पर हीं मौत हो गई। खदान परिसर में ड्यूटी के दौरान हौलपैक (डम्फर) वाहन का टायर में हवा भर रहा था तभी टायर ब्लास्ट कर गया, जिससे उनकी मौके पर हीं मृत्यु हो गई। जबकि दो श्रमिक सोनु पुथाल और गोरांगो पुथाल घायल हो गया।
सूत्रों के अनुसार, घटना के वक्त चरण पूर्ति कार्यस्थल पर सुरक्षा के मानकों के अनुरूप कार्य कर रहे थे या नहीं, इस पर सवाल खड़े हो गए हैं। हादसे के तुरंत बाद उन्हें गुआ अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
मजदूरों में शोक, प्रबंधन पर रोष
घटना की जानकारी मिलते ही खदान परिसर और कॉलोनी क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। साथी मजदूरों और स्थानीय निवासियों ने प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। यह चिंता का विषय है कि एक ही सप्ताह के भीतर गुआ खदान में यह दूसरी मौत है। कुछ दिन पूर्व एक नाबालिग ठेका मजदूर की निर्माणाधीन भवन से गिरकर मौत हुई थी, जिसके बाद श्रमिक संगठनों ने भारी विरोध-प्रदर्शन किया था। उस घटना में मृतक के परिजनों को ₹30 लाख मुआवजा और एक व्यक्ति को सप्लाई मजदूर की नौकरी दी गई थी।
सुरक्षा मानकों की खुली पोल
चरण पूर्ति की मौत ने गुआ खदान में सुरक्षा मानकों को लेकर चल रही व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है। हौलपैक वाहन का टायर में हवा भरने या बदलने जैसे कार्य में अत्यधिक सावधानी की आवश्यकता होती है, और ऐसे कार्य में यदि कोई कर्मी टायर फटने से मौत का शिकार हो जाये, तो यह किसी बहुत बड़ी प्रणालीगत चूक की ओर इशारा करता है।

बार-बार हो रही घटनाएं या एक लचर व्यवस्था?
सेल जैसी बड़ी सार्वजनिक उपक्रम कंपनी में एक सप्ताह के भीतर दो मजदूरों की मौत से यह स्पष्ट हो गया है कि खदान की सुरक्षा व्यवस्था में गंभीर खामियाँ हैं। नाबालिग मजदूर की मौत हो या अब अनुभवी सेलकर्मी की, दोनों ही घटनाओं की पृष्ठभूमि में “सुरक्षा नियमों की अनदेखी” सामने आ रही है।
मजदूर संगठनों की चेतावनी: आंदोलन की तैयारी
घटना के बाद मजदूर संगठनों ने प्रबंधन को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि अगर चरण पूर्ति की मौत को लेकर निष्पक्ष जांच और उचित मुआवजा नहीं दिया गया तो वे उग्र आंदोलन करेंगे। संगठन ने यह भी मांग की है कि खदान में कार्यरत सभी मजदूरों के लिए सुरक्षा उपकरणों की अनिवार्यता, नियमित ट्रेनिंग और निगरानी की प्रणाली को मजबूत किया जाए।
क्या कहता है कानून?
खदान अधिनियम और औद्योगिक सुरक्षा मानक यह सुनिश्चित करते हैं कि किसी भी खतरनाक कार्य से पूर्व सुरक्षा उपकरणों और प्रक्रियाओं का पालन अनिवार्य हो। यदि यह प्रमाणित होता है कि कार्य के दौरान चरण पूर्ति को समुचित सुरक्षा नहीं दी गई थी, तो यह कार्मिक प्रबंधन और सुरक्षा विभाग की जवाबदेही तय करता है।
संवेदनशील सवाल: कब मिलेगा न्याय?
परिजनों और साथियों का सवाल यही है – “अगर खदान में सुरक्षा रहती तो क्या चरण पूर्ति की जान बच सकती थी?” इस सवाल का जवाब अब प्रबंधन और जांच एजेंसियों को देना होगा।
मांगें और अगला कदम
- मृतक के परिवार को विशेष मुआवजा
- परिजनों को स्थायी नौकरी
- घटना की उच्च स्तरीय जांच
- खदान में सुरक्षा व्यवस्था की व्यापक समीक्षा
निष्कर्ष
गुआ खदान में हो रही लगातार दुर्घटनाएं यह साफ करती हैं कि श्रमिकों की जान खतरे में है और सुरक्षा व्यवस्था केवल कागजों पर सिमट कर रह गई है। यह समय है जब प्रबंधन को जवाबदेही निभानी चाहिए और सरकार को श्रमिकों के जीवन की कीमत को समझते हुए कार्रवाई करनी चाहिए।
“अगर काम की जगह ही जानलेवा हो जाए, तो मजदूर किससे न्याय मांगे?” यह सवाल अब पूरे गुआ खदान क्षेत्र की जुबान पर है।