पश्चिमी सिंहभूम पुलिस, CRPF और जगुआर की संयुक्त कार्रवाई से टला बड़ा खतरा, टोन्टो के जंगलों में माओवादी साजिश नाकाम
रिपोर्ट : शैलेश सिंह ।
झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र कोल्हान रिजर्व वन क्षेत्र में सुरक्षा बलों को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। पुलिस को मिली गुप्त सूचना के आधार पर टोन्टो थाना क्षेत्र के हुसिपी गांव के जंगली और पहाड़ी इलाके में चलाए गए संयुक्त सर्च ऑपरेशन के दौरान लगभग 18,000 डेटोनेटर बरामद किए गए हैं।
इन विस्फोटकों को नक्सलियों द्वारा सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए छुपाकर रखा गया था, जिसे मौके पर ही बम निरोधक दस्ते की मदद से सुरक्षित रूप से विनष्ट (नष्ट) कर दिया गया।
पुलिस-CRPF-जगुआर का संयुक्त ऑपरेशन, बड़ी साजिश हुई नाकाम
01 जुलाई 2025 को पश्चिमी सिंहभूम के पुलिस अधीक्षक चंदन कुमार को विश्वसनीय सूत्रों से जानकारी मिली कि प्रतिबंधित माओवादी संगठन भा.क.पा. (माओवादी) के शीर्ष नेता और उनका दस्ता हुसिपी जंगल क्षेत्र में भारी मात्रा में गोला-बारूद छिपाकर सुरक्षा बलों के खिलाफ विनाशकारी कार्रवाई की योजना बना रहे हैं।
सूचना मिलते ही चाईबासा पुलिस, CRPF 60 बटालियन और झारखंड जगुआर के संयुक्त बल ने त्वरित रूप से अभियान शुरू किया।
बरामद हुए 18,000 डेटोनेटर, बम निरोधक दस्ते ने किया नियंत्रित विस्फोट
सघन सर्च अभियान के दौरान संयुक्त बलों को टोन्टो थाना अंतर्गत हुसिपी के आसपास के पहाड़ी और घने जंगलों में जमीन के भीतर छुपाकर रखे गए लगभग 18,000 डेटोनेटर मिले।
ये संभावित आईईडी हमले या ब्लास्ट के लिए स्टॉक किया गया विस्फोटक सामग्री था, जिसे बम निरोधक दस्ते की टीम ने मौके पर नियंत्रित विस्फोट से नष्ट कर दिया।
नक्सल शीर्ष नेताओं की गतिविधियों पर कड़ी नजर
सूत्रों के अनुसार इस पूरे क्षेत्र में माओवादी संगठन के शीर्ष नेता मिसिर बेसरा, अनमोल, मोछु, अनल, असीम मंडल, अजय महतो, सागेन अंगरिया, अश्विन, पिंटु लोहरा, चंदन लोहरा, अमित हांसदा उर्फ अपटन, जयकांत, रापा मुंडा सहित अन्य लगातार सक्रिय हैं और सुरक्षा बलों के खिलाफ विध्वंसक कार्रवाई की फिराक में घूम रहे हैं।
झारखंड पुलिस, कोबरा, CRPF और झारखंड जगुआर की टीमें ऐसे सभी संभावित हमलों को विफल करने हेतु लगातार अभियान चला रही हैं।
पुलिस की सतर्कता और तत्परता से टला बड़ा हादसा
इस बरामदगी को पश्चिमी सिंहभूम पुलिस और केंद्रीय बलों की एक बड़ी सफलता माना जा रहा है।
यदि यह विस्फोटक सुरक्षा बलों या नागरिक क्षेत्रों में प्रयोग हो जाता, तो कई जाने जा सकती थीं।
एसपी चंदन कुमार ने इस पूरे अभियान में शामिल सभी जवानों की सराहना करते हुए कहा –
“हमारी प्राथमिकता है क्षेत्र में शांति बहाल रखना और माओवादियों की हर विध्वंसक कोशिश को विफल करना। इस सफलता ने हमारे मिशन को और मजबूत किया है।”
अभियान में शामिल बल
- चाईबासा जिला पुलिस
- CRPF – 60 बटालियन
- झारखंड जगुआर यूनिट
- बम निरोधक दस्ता (IED Disposal Team)
निष्कर्ष: सारंडा में माओवादियों के इरादों पर पुलिस की करारी चोट
यह ऑपरेशन साबित करता है कि झारखंड पुलिस और केंद्रीय बल माओवाद के खिलाफ पूरी तरह से मुस्तैद हैं।
सारंडा का जंगल अब नक्सलियों का गढ़ नहीं, बल्कि सुरक्षा बलों की रणनीतिक पकड़ वाला क्षेत्र बनता जा रहा है।
18,000 डेटोनेटर की बरामदगी और नष्ट करना न केवल एक बड़ी साजिश को विफल करना है, बल्कि यह भी संकेत है कि पुलिस का इंटेलिजेंस नेटवर्क और कार्रवाई दोनों अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच चुकी हैं।