महिलाओं के अधिकार, संरक्षण और सहायता सेवाओं की दी गई जानकारी, विभागीय समन्वय पर बल
रिपोर्ट: शैलेश सिंह।
पश्चिमी सिंहभूम जिला समाहरणालय स्थित जिला परिषद सभागार में आज घरेलू हिंसा अधिनियम-2005 विषय पर कार्यशाला एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिला दंडाधिकारी-सह-उपायुक्त श्री चंदन कुमार के निर्देशानुसार समाज कल्याण शाखा के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं के प्रति होने वाली घरेलू हिंसा को रोकना और उन्हें उनके अधिकारों एवं सरकारी सेवाओं के प्रति जागरूक करना रहा।
कार्यशाला में महिला थाना प्रभारी, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, डीपीएम-झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस), वन स्टॉप सेंटर के कर्मी, महिला पर्यवेक्षिका सहित विभिन्न विभागों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
अधिनियम की परिभाषा और अधिकारों की जानकारी
कार्यशाला को संबोधित करते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव श्री रवि चौधरी ने बताया कि “घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005” केवल शारीरिक हिंसा तक सीमित नहीं है। इसमें मानसिक, आर्थिक, यौन और भावनात्मक शोषण भी शामिल है। उन्होंने महिलाओं को अधिनियम के तहत उपलब्ध संरक्षण, परामर्श, आवास और विधिक सहायता जैसे अधिकारों की विस्तार से जानकारी दी।
महिला सुरक्षा और विभागीय योजनाओं पर चर्चा
जिला समाज कल्याण पदाधिकारी श्रीमती स्वेता भारती ने महिला सुरक्षा, सरकारी योजनाएं और विभाग द्वारा दी जा रही सेवाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि समाज कल्याण विभाग के माध्यम से महिलाओं को विभिन्न सहायता कार्यक्रम उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
महिला थाना प्रभारी ने घरेलू हिंसा की स्थिति में प्राथमिकी दर्ज कराने की प्रक्रिया और पुलिस द्वारा की जाने वाली कार्रवाई की जानकारी साझा की।
सीडीपीओ सुश्री मेविश मुण्डू ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से जमीनी स्तर पर महिलाओं की पहचान कर उन्हें सहायता दी जाती है।
आर्थिक आत्मनिर्भरता से जुड़े प्रयास
जेएसएलपीएस की डीपीएम ने कहा कि आजीविका कार्यक्रमों के जरिए महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे घरेलू हिंसा के चक्र को तोड़ा जा सके। उन्होंने गरीमा केंद्र और उसके कार्यों के बारे में भी जानकारी दी।
वन स्टॉप सेंटर की सेवाओं की जानकारी
वन स्टॉप सेंटर की केंद्र प्रशासक श्रीमती नालिनी गोप ने सेंटर की कार्यप्रणाली और प्रक्रिया को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, दहेज प्रताड़ना, बाल विवाह जैसी परिस्थितियों में पीड़ित महिलाओं को चिकित्सा, परामर्श, कानूनी सहायता और अस्थायी आश्रय “एक ही छत के नीचे” उपलब्ध कराया जाता है।
उन्होंने बताया कि महिलाएं सीधे वन स्टॉप सेंटर पहुँच सकती हैं या 112/181 हेल्पलाइन नंबर के माध्यम से संपर्क कर सहायता प्राप्त कर सकती हैं। सेंटर में काउंसलर, केस वर्कर, पुलिस प्रतिनिधि और विधिक सहायक मिलकर पीड़िता को तत्काल सहायता उपलब्ध कराते हैं। पीड़िता की गोपनीयता और आवश्यकता के अनुसार आश्रय गृह की व्यवस्था भी की जाती है।
विभागीय समन्वय पर जोर
कार्यक्रम में उपस्थित सभी प्रतिनिधियों ने घरेलू हिंसा की रोकथाम में विभागों के बीच समन्वय और सामूहिक प्रयास की आवश्यकता पर बल दिया। अंत में सभी प्रतिभागियों ने यह संकल्प लिया कि वे अपने-अपने स्तर पर महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा हेतु सतत प्रयास करते रहेंगे।
जिला प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य में ऐसे कार्यक्रम और जागरूकता अभियान नियमित रूप से आयोजित किए जाएंगे, ताकि अधिक से अधिक महिलाओं तक जानकारी और सहायता पहुंचाई जा सके।