डायन-प्रथा, अंधविश्वास और असामाजिक गतिविधियों के खिलाफ “हो” समाज युवा महासभा ने चलाया सघन अभियान
रिपोर्ट : शैलेश सिंह
सदर प्रखंड के गुनाबासा गाँव में आदिवासी “हो” समाज युवा महासभा और अन्य सामाजिक संगठनों के संयुक्त प्रयास से रविवार को एक सशक्त सामाजिक जागरूकता अभियान चलाया गया। इस अभियान का उद्देश्य ग्राम स्तर पर डायन-प्रथा, अंधविश्वास, सामाजिक कुरीतियों और पर्व-त्योहारों की आड़ में हो रही असामाजिक गतिविधियों के खिलाफ ग्रामीणों को जागरूक करना था।
कार्यक्रम की शुरुआत ग्राम मुण्डा श्री गुनाराम देवगम की अध्यक्षता में हुई, जहाँ बड़ी संख्या में ग्रामीणों की भागीदारी देखी गई। इस मौके पर ग्रामीणों के सामने कई सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक विकृतियों के उदाहरण रखे गए और इन्हें रोकने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
जनप्रतिनिधियों से सवाल पूछें, केवल ‘मुख्य अतिथि’ न बनाएं : गब्बरसिंह हेम्ब्रम
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता और “हो” समाज युवा महासभा के राष्ट्रीय महासचिव श्री गब्बरसिंह हेम्ब्रम ने ग्रामीणों से एक स्पष्ट और ठोस अपील की। उन्होंने कहा –
“हमारे समाज द्वारा चुने गए विधायक, सांसद और मंत्री केवल फुटबॉल मैच, मुर्गा-पाड़ा या बुगी-बुगी डांस के ‘मुख्य अतिथि’ बनकर न रहें। उन्हें गाँव की असली समस्याओं – जैसे कि पेयजल, सिंचाई, सड़क, पुलिया, स्कूल और अस्पताल जैसे मूलभूत मुद्दों पर ज़िम्मेदारी से काम करने के लिए बाध्य करें।”
गब्बरसिंह ने ज़ोर देते हुए कहा कि सामाजिक विकास का पहला सीढ़ी जागरूकता है और इसके बिना न तो अधिकार सुरक्षित रहेंगे और न ही कोई विकास संभव होगा। उन्होंने समाज से यह भी आग्रह किया कि अब समय आ गया है जब स्थानीय हितों और आदिवासीयत से जुड़ी बातों को पॉलिसी ड्राफ्टिंग लेवल तक पहुँचाया जाए, नहीं तो आने वाले वर्षों में हर मुद्दे पर केवल संघर्ष और आंदोलन ही विकल्प रह जाएगा।
सामाजिक बुराइयों पर फोकस : हैंडबिल बाँटकर दी गई कानूनी जानकारी
इस अभियान को सफल बनाने में नेशनल आदिवासी रिवाइवल एसोसिएशन, सिंगी एंड सिंगी सोसाइटी तथा मिलन चैरिटेबल ट्रस्ट का भी विशेष योगदान रहा। इन संगठनों के प्रतिनिधियों ने गाँव-गाँव जाकर लोगों के बीच हैंडबिल बाँटे, जिनमें सामाजिक बुराइयों, आंतरिक कुरीतियों और अपराधिक घटनाओं से निपटने के लिए कानूनी प्रावधानों की जानकारी दी गई।
लोगों को बताया गया कि कई बार धार्मिक और पारंपरिक परंपराओं की आड़ में हो रही घटनाएं दरअसल सामाजिक विघटन और अपराध का रूप ले चुकी हैं, जिनके विरुद्ध जागरूकता ही सबसे कारगर हथियार है।
ग्रामीणों को संगठित और सशक्त बनने की अपील
सभी वक्ताओं और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने एक स्वर में ग्रामीणों से आग्रह किया कि वे सिर्फ आलोचना न करें बल्कि ग्राम स्तर पर संगठित होकर सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनें। इस दिशा में स्थानीय नेतृत्व को जागरूक करना, योजनाओं की जानकारी लेना और पारदर्शिता की माँग करना जरूरी है।
इस अभियान को केवल एक कार्यक्रम के रूप में न लेकर, एक जनआंदोलन की तरह देखने की ज़रूरत पर बल दिया गया। वक्ताओं ने कहा कि जब तक समाज खुद से अपनी समस्याओं के समाधान के लिए खड़ा नहीं होगा, तब तक बदलाव की उम्मीद करना व्यर्थ है।
उपस्थित गणमान्य एवं ग्रामीण
इस अवसर पर “हो” समाज युवा महासभा के कई वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख हैं –
शेरसिंह बिरूवा (जिलाध्यक्ष)
ओएबन हेम्ब्रम (सचिव)
सिकंदर तिरिया (पूर्व अनुमंडल सचिव)
विश्वजीत बिरूवा,
श्याम सुंदर देवगम, समीर देवगम, जामदार देवगम, महेन्द्रसिंह देवगम,
विनायक देवगम, इंद्रीजीत सिंह देवगम, मंटु पाड़ेया, सिंगराय देवगम,
दीकू देवगम, मेघपुष्पा देवगम, मुघी देवगम, शकुन देवगम, गीता देवगम,
पेरका गोप और सैकड़ों की संख्या में स्थानीय ग्रामीण।
निष्कर्ष : समाज को बदलने की शुरुआत गाँव से
गुनाबासा में चला यह जनजागरूकता अभियान सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि एक नए सामाजिक चेतना की शुरुआत है। जब समाज के लोग स्वयं अपने विकास और अधिकारों के लिए संगठित होकर आवाज उठाते हैं, तभी बदलाव की प्रक्रिया गति पकड़ती है। यह अभियान इसी दिशा में एक सशक्त कदम है, जो आने वाले समय में पश्चिमी सिंहभूम और आस-पास के गाँवों में सकारात्मक परिवर्तन का सूत्रपात कर सकता है।