‘सारंडा सुरक्षा समिति’ के बैनर तले हुआ आयोजन, स्थानीय ग्रामीण और मानकी-मुंडा रहे अनुपस्थित
रिपोर्ट: शैलेश सिंह
अत्यंत नक्सल प्रभावित छोटानागरा के साप्ताहिक हाट-बाजार में शनिवार को ‘सारंडा सुरक्षा समिति’ नामक एक अज्ञात संगठन द्वारा “माओवादी को हटाओ, सारंडा को बचाओ” नामक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। हालांकि इस कार्यक्रम में ना तो सारंडा के किसी ग्रामीण की भागीदारी रही, ना ही मानकी-मुंडा या बुद्धिजीवी वर्ग का कोई सदस्य इसमें शामिल हुआ। कार्यक्रम से ग्रामीणों ने पूरी तरह से दूरी बनाए रखी, जिससे स्पष्ट है कि इस आयोजन को लेकर क्षेत्र में संशय और भय का माहौल बना हुआ है।
संगठन का कोई स्पष्ट चेहरा नहीं, ग्रामीणों में भ्रम और भय
इस आयोजन को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह है कि ‘सारंडा सुरक्षा समिति’ आखिर है कौन? इस संगठन से कौन जुड़े हैं, इसकी संरचना क्या है और इसके पदाधिकारी कौन हैं—इन सवालों का कोई ठोस उत्तर अब तक सामने नहीं आया है। ना ही स्थानीय प्रशासन और ना ही पुलिस ने इस संगठन के अस्तित्व या उद्देश्य की कोई पुष्टि की है। ग्रामीणों का कहना है कि इस समिति से जुड़े लोग बाहरी हैं और सारंडा के किसी गांव से इनका कोई संबंध नहीं है।
नक्सल प्रभाव वाले क्षेत्र में बाहरी लोगों का आयोजन, सुरक्षा पर उठे सवाल
गौरतलब है कि इन दिनों छोटानागरा और जराईकेला के सीमावर्ती क्षेत्र सहित पूरे सारंडा जंगल में माओवादी गतिविधियों में वृद्धि हुई है। हाल ही में कई बार माओवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ हो चुकी है, जिसमें दोनों पक्षों को नुकसान हुआ है। माओवादी अब निर्दोष ग्रामीणों को पुलिस मुखबिर बताकर निशाना बना रहे हैं या फिर आईईडी विस्फोटों में उन्हें मार रहे हैं। ऐसे माहौल में नक्सल विरोधी कार्यक्रम आयोजित करने वाले लोगों की पहचान स्पष्ट ना होने से ग्रामीण खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
कार्यक्रम में नहीं जुटा जनसमर्थन, हाट-बाजार में पसरा सन्नाटा
‘सारंडा सुरक्षा समिति’ द्वारा प्रचारित किया गया था कि इस कार्यक्रम में किरीबुरु, गंगदा, रोवाम, मनोहरपुर सहित तमाम पंचायतों और गांवों से ग्रामीण भाग लेंगे। लेकिन कार्यक्रम स्थल पर एक भी ग्रामीण नजर नहीं आया। यहां तक कि मानकी-मुंडा भी नहीं पहुंचे। कार्यक्रम में केवल कुछ ग्रामीण बच्चे खिचड़ी खाने की लालच में पहुंचे, वहीं साप्ताहिक हाट-बाजार में भी आम दिनों की तुलना में लोगों की उपस्थिति बेहद कम रही। इससे यह भी संकेत मिलता है कि आयोजन को लेकर ग्रामीणों में डर गहराया हुआ है।
सांस्कृतिक टीम रही नाकाम, नुक्कड़ नाटक से भी नहीं मिला समर्थन
बताया जा रहा है कि कार्यक्रम में एक सांस्कृतिक टीम चाईबासा से बुलाई गई थी, जो नुक्कड़ नाटक के माध्यम से ग्रामीणों को माओवादियों के खिलाफ जागरूक करने का प्रयास कर रही थी। लेकिन इस प्रयास को भी ग्रामीणों का कोई समर्थन नहीं मिला और यह पहल पूरी तरह से असफल साबित हुई।
स्थानीय प्रतिनिधियों ने भी जताई असहमति, जमीन पर टेंट लगाने से नाराज
सारंडा पीढ़ के मानका लागुड़ा देवगम और पूर्व उप मुखिया देवेन देवगम ने साफ कहा कि उन्हें इस संगठन के बारे में कोई जानकारी नहीं है और ना ही कोई पदाधिकारी उनसे संपर्क में आया था। उन्होंने बताया कि आयोजन के लिए जब उनकी जमीन पर टेंट लगाया गया तो उन्होंने छोटानागरा पुलिस से उसे हटवाने का आग्रह किया, लेकिन टेंट नहीं हटाया गया। उनका कहना है कि यदि यह पुलिस या प्रशासन द्वारा आयोजित कार्यक्रम था, तो इसकी जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए थी, क्योंकि यह लोगों की जान से जुड़ा मामला है।
निष्कर्ष: पारदर्शिता की कमी और भय का वातावरण बना रहा रोड़ा
सारंडा जैसे संवेदनशील और नक्सल प्रभावित क्षेत्र में किसी भी प्रकार का नक्सल विरोधी कार्यक्रम तब तक सफल नहीं हो सकता, जब तक उसमें स्थानीय लोगों की भागीदारी और विश्वास ना हो। ‘सारंडा सुरक्षा समिति’ जैसे अज्ञात संगठनों द्वारा बिना पारदर्शिता के इस तरह के आयोजन न केवल विफल हो सकते हैं, बल्कि ग्रामीणों के लिए और अधिक खतरे पैदा कर सकते हैं। यह घटना प्रशासन के लिए भी एक संकेत है कि सारंडा जैसे क्षेत्रों में किसी भी प्रकार की पहल स्थानीय संवाद और सुरक्षा की ठोस योजना के बिना नहीं की जानी चाहिए।