चाईबासा पुलिस और सीआरपीएफ का संयुक्त ऑपरेशन, प्रतिबंधित माओवादी संगठन भाकपा (माओवादी) के खिलाफ बड़ी कार्रवाई
रिपोर्ट: शैलेश सिंह
प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा (माओवादी) के शीर्ष नेता मिसिर बेसरा, अनमोल, मोछू, अनल, असीम मंडल, अजय महतो, सागेन अंगारिया, अचिन्त, पिंटू लोहरा, चंदन लोहरा, अमित हासदा उर्फ अपटन, जयकांत, रापा मुंडा समेत कई अन्य माओवादी नेताओं की सक्रियता की सूचना मिलने के बाद सुरक्षाबलों ने सारंडा और कोल्हान क्षेत्र में एक बड़ा नक्सल विरोधी अभियान छेड़ दिया है।
विशेष सूचना पर हुई कार्रवाई, 5 बंकरों को किया गया ध्वस्त
प्राप्त सूचना के अनुसार, 4 मार्च 2025 से ही चाईबासा जिला पुलिस, झारखंड जगुआर, कोबरा 203 व 209 बटालियन और सीआरपीएफ की कई यूनिटों ने संयुक्त रूप से अभियान प्रारंभ किया था। यह अभियान छोटानागर थाना और जाराईकेला थाना की सीमावर्ती जंगली और पहाड़ी क्षेत्रों में चलाया जा रहा है।
अभियान के दौरान 10 अप्रैल 2025 को जाराईकेला थाना अंतर्गत वन क्षेत्र कुटुलचुक के आसपास सघन तलाशी अभियान में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता हाथ लगी। जंगल में माओवादियों द्वारा बनाए गए 5 गुप्त बंकरों को सुरक्षा बलों ने ध्वस्त कर दिया। इन बंकरों से माओवादी गतिविधियां चलाई जाती थी, माओवादी यहाँ शरण लेते थे।
जंगल-पहाड़ी इलाकों में चल रहा है गहन सर्च ऑपरेशन
सुरक्षाबलों का यह सघन अभियान कोल्हान के दुर्गम क्षेत्रों में चल रहा है, जहां माओवादी गुट अपने छुपने और योजनाओं को अंजाम देने के लिए बंकरों और सुरक्षित ठिकानों का उपयोग करते रहे हैं। अधिकारियों के मुताबिक, माओवादियों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है और भविष्य में भी ऐसे सघन अभियान जारी रहेंगे।
इन सुरक्षाबलों की टीम ले रही है भाग
अभियान में निम्नलिखित सुरक्षा एजेंसियों की टीमें शामिल हैं:
चाईबासा जिला पुलिस – स्थानीय स्तर पर माओवादियों की गतिविधियों की जानकारी रखने वाली प्रमुख एजेंसी।
झारखंड जगुआर – राज्य सरकार की विशेष नक्सल विरोधी बल।
कोबरा बटालियन 203 और 209 BN – केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की नक्सल मोर्चे पर विशेष इकाइयां।
सीआरपीएफ की विभिन्न बटालियनें – 26 BN, 60 BN, 134 BN, 174 BN, 193 BN, 197 BN।
सूचना तंत्र हुआ मजबूत, आगे भी जारी रहेगा ऑपरेशन
सूत्रों का कहना है कि माओवादी नेताओं की लगातार गतिविधियों की खुफिया जानकारी मिल रही है, जिनके आधार पर अभियान की दिशा तय की जा रही है। जंगलों में चल रहे इस ऑपरेशन को लेकर सुरक्षा बल पूरी सतर्कता के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
पुलिस अधीक्षक ने संकेत दिए हैं कि आने वाले दिनों में और भी ठिकानों पर कार्रवाई संभव है। इसके लिए स्थानीय ग्रामीणों से भी सहयोग मांगा गया है ताकि माओवादियों के खिलाफ जमीनी स्तर पर असरदार कार्रवाई हो सके।
नक्सलियों की कमर तोड़ने की रणनीति पर काम जारी
पिछले कुछ वर्षों में झारखंड सरकार और केंद्रीय सुरक्षा बलों की सख्त रणनीति के कारण माओवादियों के नेटवर्क को भारी नुकसान पहुंचा है। कई शीर्ष नेता या तो गिरफ्तार हुए हैं या मुठभेड़ों में मारे गए हैं। अब जंगलों में छुपे माओवादियों के अवशेष समूहों को खत्म करने के लिए यह निर्णायक अभियान चलाया जा रहा है।