मेघाहातुबुरु से दिखी प्रकृति की अद्भुत कलाकारी, जंगल-पहाड़ों के संग बादलों की मोहक लीला ने मोहा मन
रिपोर्ट : शैलेश सिंह
वर्षा के बाद जब सूर्य की किरणें बादलों को चीरती हुई धरती को छूती हैं, तब प्रकृति अपनी सबसे सुरम्य छटा में प्रकट होती है। ऐसी ही एक अलौकिक शाम देखने को मिली मेघाहातुबुरु के प्रसिद्ध सनसेट व्यू प्वाइंट से, जब पूरे सारंडा जंगल क्षेत्र ने हरियाली की ताज़गी और बादलों की सौंदर्य छाया में एक अनुपम दृश्य रचा।
बारिश के ठीक बाद, शुक्रवार की शाम आसमान में हल्के बादल और सूर्य की मद्धम रोशनी के साथ मौसम अत्यंत सुहावना हो गया। इस सुहावने मौसम ने पर्यटकों को खींच लाया सनसेट व्यू प्वाइंट, जो सारंडा की गहराइयों में फैले जंगलों, ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों और दूर-दूर तक फैली वादियों का ऐसा दृश्य प्रस्तुत करता है, मानो कोई सजीव चित्रकला हो।
बादलों की गोद में झूलता जंगल, प्रकृति ने खोला सौंदर्य का खजाना
सारंडा, जिसका अर्थ ही “सात सौ पहाड़ियों की घाटी वाला वन” है, अपने आप में एक जीवित कविता है। शुक्रवार को हुई बारिश के बाद जैसे ही सूरज की किरणें पहाड़ों के पीछे से निकलीं, वैसे ही समूचे क्षेत्र में हरियाली की चादर के ऊपर बादलों की परत तैरती दिखी। जंगल के बीच से उठते सफेद बादलों की धाराएँ किसी बहती नदी-सी प्रतीत हो रही थीं।
मेघाहातुबुरु के इस व्यू प्वाइंट से देखने पर, पर्यटक मंत्रमुग्ध हो उठे। कई ने अपने कैमरों से यह दृश्य कैद किया, जबकि कुछ प्रकृति की गोद में बैठकर इस शांत वातावरण को आत्मसात करते दिखे। चिड़ियों की चहचहाहट, ठंडी हवा की सरसराहट और दूर पहाड़ियों से टकरा कर लौटती बादलों की गूंज—हर चीज़ जैसे कोई सुरम्य संगीत रच रही थी।
बढ़ रही है पर्यटकों की आवाजाही, स्थानीय पर्यटन को मिल रहा बढ़ावा
पिछले कुछ दिनों से भारी संख्या में पर्यटक, खासकर चाईबासा, जमशेदपुर, राउरकेला और सुंदरगढ़ जैसे आसपास के इलाकों से पहुंच रहे हैं। इनमें परिवार, युवा ग्रुप और प्रकृति प्रेमी फोटोग्राफर भी शामिल हैं, जो सनसेट व्यू प्वाइंट से बादलों के खेल और जंगलों की गहराई को अपने कैमरे में कैद करने पहुंचते हैं।
स्थानीय दुकानदारों और गाइडों के मुताबिक, पिछले कुछ हफ्तों में पर्यटन गतिविधियों में अच्छी वृद्धि हुई है। खासतौर पर मॉनसून की शुरुआत के साथ ही पर्यटकों की संख्या बढ़ी है। हरे-भरे पेड़ों, पथरीली पगडंडियों और घाटियों के ऊपर तैरते बादलों का दृश्य लोगों के लिए किसी सपने से कम नहीं।
प्रकृति की गोद में विश्राम, दिल और दिमाग को सुकून देता सारंडा
सारंडा का यह क्षेत्र केवल भौगोलिक रूप से ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी लोगों को सुकून प्रदान करता है। यह इलाका अपने शांत वातावरण, स्वच्छ हवा और प्रकृति की निकटता के लिए जाना जाता है। मेघाहातुबुरु और किरीबुरु जैसे क्षेत्रों में लोगों के लिए ट्रैकिंग, पक्षी निरीक्षण (बर्ड वॉचिंग), और पारंपरिक आदिवासी संस्कृति से जुड़ाव जैसे कई आकर्षण मौजूद हैं।
पर्यावरणविदों की चेतावनी: इस सौंदर्य को बचाना होगा
हालाँकि, पर्यावरणविदों का कहना है कि सारंडा का यह प्राकृतिक सौंदर्य लगातार खनन, जंगलों की कटाई और बढ़ती मानवीय गतिविधियों के कारण खतरे में है। यदि इस क्षेत्र को संरक्षित नहीं किया गया, तो भविष्य में यह दृश्य केवल तस्वीरों और यादों तक ही सिमट कर रह जाएगा।
पूर्व मंत्री और पर्यावरणविद सरयू राय पहले ही सुझाव दे चुके हैं कि सारंडा को वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया जाना चाहिए, ताकि इसकी जैव विविधता और प्राकृतिक संतुलन सुरक्षित रह सके।
स्थानीय प्रशासन से मांग: पर्यटकों के लिए सुविधाएं बढ़ाई जाएं
स्थानीय पर्यटकों और व्यापारियों की यह भी मांग है कि सनसेट व्यू प्वाइंट जैसे स्थलों पर कुछ बुनियादी सुविधाएं—जैसे शौचालय, स्वच्छता, बैठने व ठहरने की व्यवस्था की आवश्यकता है। यदि इनपर काम किया जाए, तो यह स्थान राज्य के प्रमुख पर्यटक स्थलों में शामिल हो सकता है।
निष्कर्ष: सारंडा—प्रकृति का खुला आँगन
सारंडा की वादियों में बारिश के बाद का दृश्य किसी कविता की तरह होता है—नयनाभिराम, भावनाओं से भरा और मन को छू जाने वाला। सनसेट व्यू प्वाइंट, जहाँ से इस सौंदर्य को एक नये दृष्टिकोण से देखा जा सकता है, अब केवल एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव बन चुका है।
प्रकृति ने जो सौंदर्य हमें दिया है, उसे केवल देखने नहीं, बल्कि संरक्षित करने की जिम्मेदारी भी हमारी ही है। यदि हमने सारंडा को उसकी मौलिकता के साथ ज्यों का त्यों सहेज लिया, तो आने वाली पीढ़ियाँ भी इसी दृश्य के साथ अपने सपनों को जोड़ पाएँगी।
📸 नोट: यदि आप भी मेघाहातुबुरु की ओर यात्रा करने का विचार कर रहे हैं, तो मॉनसून का यह समय सबसे उपयुक्त है। एक छतरी, कैमरा और खुला दिल लेकर निकलें—सारंडा आपको बाँहें फैलाए स्वागत करता मिलेगा।