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बाहुड़ा रथयात्रा में उमड़ा श्रद्धा और भक्ति का सैलाब, लौहनगरी गुवा और बड़ाजामदा गूंजा ‘जय जगन्नाथ’ के जयघोष से

मौसीबाड़ी से जन्मवेदी की ओर लौटे भगवान जगन्नाथ, सीजीएम कमल भास्कर ने निभाया ‘प्रधान सेवक’ का दायित्व

गुवा संवाददाता।
शनिवार को लौहनगरी गुवा और सीमावर्ती बड़ाजामदा में परंपरागत बाहुड़ा रथयात्रा श्रद्धा, उल्लास और शांति के साथ भव्य रूप से संपन्न हुई। जगन्नाथ संस्कृति की अद्भुत झलक देखने को मिली, जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा का रथ उनकी मौसीबाड़ी से जन्मवेदी की ओर रवाना हुआ।

मौसीबाड़ी में विधिवत पूजा और यज्ञ

गुवा के विवेकनगर स्थित मौसीबाड़ी में सुबह से ही चतुर्द्धा मूरत की पूजा-अर्चना आरंभ हो गई। सेल गुवा के मुख्य महाप्रबंधक (सीजीएम) कमल भास्कर एवं महिला समिति की अध्यक्ष स्मिता भास्कर ने क्षेत्र की सुख-शांति और भाईचारे के लिए होम यज्ञ कर पूर्णाहुति अर्पित की। वैदिक मंत्रोच्चार और धार्मिक अनुष्ठानों के साथ पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।

रथ सज्जा, रथ प्रतिष्ठा और ‘छेरा पहंरा’ की परंपरा

पुजारी शुभरजीत पंडा और जितेंद्र पंडा ने भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को रथयात्रा के लिए पारंपरिक वस्त्रों और आभूषणों से भव्य रूप में सुसज्जित किया। रथ की प्रतिष्ठा के पश्चात जगन्नाथ संस्कृति की अमूल्य परंपरा ‘छेरा पहंरा’ का विधिवत आयोजन हुआ, जिसमें सीजीएम कमल भास्कर ने ‘प्रधान सेवक’ की भूमिका निभाते हुए सोने के झाड़ू से रथ के चारों ओर सफाई की।

भक्ति संगीत और जयघोष से गुंजा लौहनगरी

रथयात्रा के दौरान भजन-कीर्तन, शंखध्वनि और ‘जय जगन्नाथ’ के गगनभेदी जयघोष से गुवा की गलियां और मार्ग गुंजायमान हो उठे। श्रद्धालुओं की अपार भीड़ और बच्चों की टोलियों ने भगवान के रथ को खींचते हुए अपार श्रद्धा का परिचय दिया। इस धार्मिक आयोजन ने सामाजिक समरसता, पारिवारिक एकता और जन्मभूमि से प्रेम का गूढ़ संदेश भी प्रसारित किया।

बड़ाजामदा में रात्रि में खींचा गया रथ

वहीं सीमावर्ती बड़ाजामदा में भी रथ यात्रा की भव्यता कुछ कम नहीं रही। राम मंदिर स्थित मौसीबाड़ी से रथ यात्रा आरंभ होकर उड़ीसा बॉर्डर स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर तक पहुंची। देर रात तक श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव के साथ रथ को खींचा और भगवान के दर्शन कर पुण्य लाभ प्राप्त किया।

पुलिस प्रशासन रहा सतर्क

दोनों ही स्थलों—गुवा और बड़ाजामदा में रथ यात्रा को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने में पुलिस प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहा। चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा व्यवस्था तैनात थी और श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसका विशेष ध्यान रखा गया।

‘जय जगन्नाथ’ के उद्घोष से गूंज उठा बड़ाजामदा

पूरे बड़ाजामदा क्षेत्र में ‘जय जगन्नाथ’ के नारों से आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। श्रद्धालुओं ने न केवल भगवान के रथ को खींचकर पुण्य अर्जित किया, बल्कि इस सांस्कृतिक परंपरा को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का भी संकल्प लिया।


धार्मिक एकता, सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक बनी बाहुड़ा रथ यात्रा
गुवा और बड़ाजामदा की यह रथ यात्रा न केवल भगवान जगन्नाथ की भक्ति में एकाकार होने का अवसर रही, बल्कि यह स्थानीय समाज की धार्मिक एकता और सांस्कृतिक समरसता का भी जीवंत उदाहरण बनी। भगवान के लौटने की इस यात्रा ने यह संदेश दिया कि जीवन में सेवा, सामंजस्य और समर्पण ही सच्चे धर्म के मार्ग हैं।

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