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सफलता की नई इबारत: आदिवासी अंचल के प्रतिभाशाली छात्रों ने लिखा इतिहास

मेधावी छात्र एसआर प्रेम

 

केन्द्रीय विद्यालय मेघाहातुबुरु ने CBSE परीक्षा में राँची रीजन में मारी बाज़ी, सीमित संसाधनों के बावजूद रचा गौरवशाली कीर्तिमान

रिपोर्ट : शैलेश सिंह।
सारंडा के घने जंगलों और पहाड़ी दुर्गमता के बीच बसे मेघाहातुबुरु से निकली शैक्षणिक उपलब्धियों की यह कहानी किसी मिसाल से कम नहीं है। वर्ष 2025 की केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की 12वीं और 10वीं की परीक्षा में केन्द्रीय विद्यालय मेघाहातुबुरु के दो छात्रों ने राँची रीजन के शैक्षणिक नक्शे पर विद्यालय का परचम लहराया है।

मेधावी छात्र प्रेम एसआर

12वीं में SR प्रेम ने पाया राँची रीजन में पहला स्थान

केन्द्रीय विद्यालय मेघाहातुबुरु के 12वीं (विज्ञान) कक्षा के छात्र प्रेम एसआर ने 500 में से 480 अंक (96%) अर्जित कर न केवल विद्यालय का गौरव बढ़ाया, बल्कि सीबीएसई राँची रीजन में पहला स्थान प्राप्त कर यह सिद्ध कर दिया कि समर्पण, अनुशासन और उचित मार्गदर्शन से किसी भी परिस्थिति में श्रेष्ठता हासिल की जा सकती है।

मेधावी छात्र अंकित कुमार प्रधान

10वीं में अंकित कुमार प्रधान ने रचा नया कीर्तिमान

वहीं 10वीं कक्षा के मेधावी छात्र अंकित कुमार प्रधान ने 483 अंक (96.6%) प्राप्त कर राँची रीजन में दूसरा स्थान हासिल किया है। यह सफलता केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणा है।

100% परिणाम और गुणवत्ता की बेमिसाल मिसाल

इस वर्ष विद्यालय का परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत रहा है, जो शिक्षकों की निष्ठा, छात्रों की मेहनत और प्रशासन के कुशल नेतृत्व का प्रमाण है। लेकिन केवल पास प्रतिशत ही नहीं, गुणवत्ता की दृष्टि से भी यह विद्यालय आज कई बड़े शहरों के स्कूलों को चुनौती दे रहा है।

चेयरमैन आर पी सेलबम

संसाधनों की कमी, पर हौसलों की उड़ान

सारंडा जैसे आदिवासी और पिछड़े क्षेत्र में, जहाँ बेहतर शिक्षा और कोचिंग संस्थानों का अभाव है, वहाँ यह सफलता और भी उल्लेखनीय हो जाती है। बच्चों को अतिरिक्त शैक्षणिक सहायता, ट्यूशन या इंटरनेट जैसी सुविधाएं नहीं मिल पातीं, फिर भी उन्होंने अपनी लगन और विद्यालय के मार्गदर्शन से यह असाधारण परिणाम हासिल किया।

प्राचार्य डा0 आशीष कुमार

प्रबंधन, नेतृत्व और शिक्षक–अभिभावक संवाद की भूमिका

विद्यालय के चेयरमैन आर. पी. सेलबम और प्राचार्य डा. आशीष कुमार के नेतृत्व में शैक्षणिक वातावरण को सशक्त बनाया गया है। प्राचार्य डा. कुमार की सक्रियता, नवाचारों में रुचि और शिक्षकों के साथ बेहतर तालमेल इस सफलता की रीढ़ है।

विद्यालय में शिक्षकों और अभिभावकों के बीच निरंतर संवाद, समय-समय पर फीडबैक और सुझावों का आदान-प्रदान, छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और शैक्षणिक जरूरतों का ध्यान – इन सभी बातों ने मिलकर इस उत्कृष्टता को संभव बनाया है।

प्रेरणा बनते छात्र और स्कूल

मेघाहातुबुरु के छात्र आज न केवल अपने क्षेत्र के लिए बल्कि पूरे झारखंड और देश के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गए हैं। यह सिद्ध हो चुका है कि जब समर्पित शिक्षक, जागरूक अभिभावक और मेहनती छात्र एक लक्ष्य की ओर अग्रसर हों, तो कोई भी बाधा राह नहीं रोक सकती।

निष्कर्ष

केन्द्रीय विद्यालय मेघाहातुबुरु ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि शिक्षा केवल सुविधा आधारित नहीं होती, बल्कि वह प्रतिबद्धता, परिश्रम और सकारात्मक नेतृत्व पर टिकी होती है। ऐसी सफलता न केवल विद्यालय के लिए गर्व की बात है, बल्कि पूरे सारंडा अंचल के लिए यह एक शैक्षणिक ऊर्जा बन चुकी है, जो आने वाली पीढ़ियों को नई दिशा देगी।

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