रिपोर्ट: शैलेश सिंह
मेघाहातुबुरु उत्तरी पंचायत की मुखिया लिपि मुंडा और करमपदा की जागरूक महिलाओं के संयुक्त प्रयास से सारंडा के भनगांव निवासी एक बीमार और जख्मी मनोरोगी युवक को इलाज के लिए सेल अस्पताल, किरीबुरु में भर्ती कराया गया।
युवक की गंभीर स्थिति
भनगांव निवासी रघु सिधु (18 वर्ष), पिता रोया सिधु, बीते छह माह पूर्व एक दुर्घटना में गंभीर रूप से जल गया था। इलाज के बाद उसका घाव भर गया था, लेकिन हाल ही में उसी स्थान पर दोबारा जख्म हो गया। समुचित देखभाल और इलाज के अभाव में घाव में कीड़े पड़ गए, जिससे उसकी स्थिति बेहद खराब हो गई। वह चलने-फिरने में असमर्थ था और लगातार कमजोर होता जा रहा था।
महिला समिति की पहल
रघु की दयनीय स्थिति की जानकारी मिलने पर महिला समिति की सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता लक्ष्मी कुमारी ने त्वरित कदम उठाया। उन्होंने गांव की अन्य महिलाओं—वार्ड सदस्य सावित्री कोड़ा, सहिया अमृता देवी और उषा देवी—के साथ मिलकर पंचायत की मुखिया लिपि मुंडा से संपर्क किया। स्थिति की गंभीरता को समझते हुए लिपि मुंडा ने अपने खर्च पर तुरंत वाहन की व्यवस्था की।
इसके बाद सभी महिलाओं ने मिलकर रघु को वाहन में बैठाया और सेल अस्पताल, किरीबुरु पहुंचाया, जहां उसे भर्ती कर आवश्यक उपचार उपलब्ध कराया गया। इस दौरान पूर्व प्रमुख जीरेन सिंकु भी उपस्थित थीं और उन्होंने भी इस पहल में सहयोग दिया।
स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी
सारंडा के ग्रामीण इलाकों में चिकित्सा सुविधाओं की स्थिति बेहद दयनीय है। सरकारी स्तर पर किसी भी गांव में एम्बुलेंस या प्राथमिक चिकित्सा केंद्र की सुविधा नहीं है, जिससे मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता। सेल अस्पताल, किरीबुरु ही वर्षों से सारंडा के मरीजों के लिए एकमात्र जीवन रक्षक केंद्र बना हुआ है।
ग्रामीणों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने वर्षों से सरकार, सांसद, विधायक और प्रशासनिक अधिकारियों से सारंडा में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की है। हर पंचायत के लिए एक एम्बुलेंस सेवा की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही है, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
निराशा और अंधविश्वास
स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण ग्रामीण अक्सर अंधविश्वास और झाड़-फूंक का सहारा लेने को मजबूर हो जाते हैं, जिससे कई मरीजों की स्थिति और बिगड़ जाती है। इस घटना ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर सामुदायिक स्तर पर जागरूकता और पहल हो, तो कई जिंदगियों को बचाया जा सकता है।
समाज की एकजुटता ही समाधान
रघु सिधु को बचाने में महिलाओं की एकजुटता और मुखिया की तत्परता ने यह साबित कर दिया कि सामूहिक प्रयास से बड़े बदलाव संभव हैं। यदि प्रशासन सारंडा के गांवों में चिकित्सा सेवाओं को मजबूत करे और प्रत्येक पंचायत में एम्बुलेंस की सुविधा उपलब्ध कराए, तो कई और रघु समय पर इलाज पाकर स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।