जोजो कुड़मा गांव में चैत्र पर्व पर सांस्कृतिक उत्सव
सरायकेला-
खरसावां प्रखंड अंतर्गत जोजो कुड़मा गांव में सोमवार को चैत्र पर्व के शुभ अवसर पर पारंपरिक छऊ नृत्य कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। ग्रामीण संस्कृति को समर्पित इस आयोजन में स्थानीय लोगों के साथ दूर-दराज़ से आए दर्शकों ने भी भाग लिया।
मुख्य अतिथि का पारंपरिक स्वागत
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि स्थानीय विधायक दशरथ गागराई थे। उनके साथ अन्य विशिष्ट अतिथियों का छऊ नृत्य कला मंदिर, जोजो कुड़मा के सदस्यों ने पारंपरिक ढोल-नगाड़ा और शहनाई की धुनों के साथ गर्मजोशी से स्वागत किया। इसके बाद विधायक गागराई ने फीता काटकर कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया।
छऊ नृत्य हमारी सांस्कृतिक पहचान: विधायक गागराई
सभा को संबोधित करते हुए विधायक दशरथ गागराई ने कहा, “छऊ नृत्य हमारे क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान है। ऐसे आयोजनों से ग्रामीणों में आपसी एकता और भाईचारा मजबूत होता है। यह परंपरा हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखने में मदद करती है।”
रंगारंग प्रस्तुति से दर्शक मंत्रमुग्ध
कार्यक्रम में छऊ नृत्य पिताकलंग मंडली और छऊ नृत्य कला मंदिर, जोजो कुड़मा के कलाकारों ने एक से बढ़कर एक आकर्षक प्रस्तुति दी। कलाकारों ने गणेश वंदना, सुभद्रा हरण, कालिया दामन, कश्मीर काली, जय माँ मंगला, कारगिल युद्ध, सावित्री-सत्यवान, और द्रौपदी स्वयंवर जैसे पारंपरिक व आधुनिक कथाओं पर आधारित नृत्य प्रस्तुतियों से दर्शकों का मन मोह लिया।
रातभर गूंजता रहा ढोल-नगाड़ों की थाप पर छऊ
कार्यक्रम पूरी रात चला और हर प्रस्तुति के साथ दर्शकों का उत्साह और तालियों की गूंज बढ़ती रही। छऊ कलाकारों की भाव-भंगिमा, पोशाक और नृत्य शैली ने ग्रामीण संस्कृति की गहराई और विविधता को उजागर किया।
समाज के गणमान्य लोग रहे मौजूद
कार्यक्रम में सुकरा महतो, बुधराम जामुदा, सुशील गागराई, यशवंत प्रधान, केदार प्रधान, दशरथ महतो, लखींद्र बेसरा, विश्वामित्र महली, मुरारी महतो, मनोज महली, मनहरी महली समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण एवं स्थानीय गणमान्य लोग उपस्थित थे।
ग्रामीण संस्कृति का उत्सव बना यादगार
यह आयोजन न केवल मनोरंजन का माध्यम बना, बल्कि क्षेत्रीय संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी साबित हुआ। ग्रामीणों ने इस आयोजन को हर वर्ष और भव्य रूप में मनाने की इच्छा जताई।