छेरा-पहंरा की रस्म निभा मुख्य सेवकों ने की शुरुआत, जयकारों से गूंजे शहर, 5 जुलाई को होगा घूरती रथ का आयोजन
किरीबुरु/गुवा/बड़ाजामदा। शुक्रवार को किरीबुरु, गुवा एवं बड़ाजामदा में गुंडीचा रथयात्रा का भव्य आयोजन परंपरा, श्रद्धा और उल्लास के साथ संपन्न हुआ। तीनों नगरों के जगन्नाथ मंदिरों से भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की रथयात्रा गाजे-बाजे और जयघोष के साथ निकाली गई। यात्रा में भारी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए, और पूरा क्षेत्र भक्ति एवं उमंग के वातावरण से सराबोर हो उठा।
पूजा-अर्चना और प्राण-प्रतिष्ठा से हुई शुरुआत
रथयात्रा से पूर्व भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की विधिवत पूजा-अर्चना की गई। इसके पश्चात मंदिरों के पंडितों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ रथ का प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न कराया। यह धार्मिक क्रिया रथ को आध्यात्मिक ऊर्जा से संचारित करने हेतु की जाती है, जिससे देवविग्रह रथ पर आरूढ़ होकर यात्रा प्रारंभ कर सकें।
छेरा-पहंरा की रस्म: सेवा में समर्पित हुए अधिकारी
परंपरा के अनुसार, छेरा-पहंरा (झाड़ू लगाने की रस्म) की गरिमामयी परंपरा का निर्वहन मुख्य सेवकों के रूप में किया गया।
- किरीबुरु में SAIL के सीजीएम कमलेश राय
- गुवा में सीजीएम कमल भास्कर
इन दोनों वरिष्ठ अधिकारियों ने भगवान के समक्ष स्वयं को सेवक के रूप में प्रस्तुत करते हुए चंदन जल का छिड़काव कर और स्वर्ण झाड़ू लगाकर रथ के चारों ओर छेरा-पहंरा की रस्म निभाई। यह रस्म दर्शाती है कि भगवान के समक्ष सभी एक समान हैं – चाहे वे किसी भी पद या प्रतिष्ठा में हों।
श्रद्धालुओं में उमंग, रथ खींचने को उमड़ा जनसैलाब
रस्म अदायगी के बाद रथयात्रा शुरू हुई। भक्तों में रथ को खींचने का जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। महिलाएं, पुरुष, युवा और बुजुर्ग – सभी ने बढ़-चढ़ कर रथ खींचने में भाग लिया। जय जगन्नाथ के नारों और भजन-कीर्तन के साथ रथ सजीव प्रतीत हो रहा था। मुख्य सड़कों से होकर यात्रा मौसीबाड़ी तक पहुंची, जहां भगवान का ससम्मान स्वागत किया गया।
मौसीबाड़ी में साही सत्कार और भक्ति का उमंग
मौसीबाड़ी में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों का विशेष साही सत्कार किया गया। इस अवसर पर प्रसाद वितरण हुआ और श्रद्धालुओं ने दर्शन कर पुण्य लाभ प्राप्त किया। भजन-कीर्तन, ढोल-नगाड़े और संकीर्तन से पूरा वातावरण भक्तिमय बना रहा। कई सांस्कृतिक झांकियां भी इस अवसर पर आकर्षण का केंद्र रहीं।
प्रशासन और मंदिर समिति की रही सराहनीय भूमिका
रथयात्रा की सफलता में स्थानीय प्रशासन और मंदिर समिति के सदस्यों की सक्रिय भूमिका सराहनीय रही। यातायात व्यवस्था, सुरक्षा और श्रद्धालुओं की सुविधा का पूरा ख्याल रखा गया। किसी भी प्रकार की अव्यवस्था नहीं देखी गई, जिससे कार्यक्रम पूरे अनुशासन और गरिमा के साथ सम्पन्न हुआ।
5 जुलाई को संपन्न होगी घूरती रथ यात्रा
रथयात्रा के पश्चात भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा नौ दिनों तक मौसीबाड़ी में विश्राम करेंगे। इसके बाद 5 जुलाई को ‘घूरती रथ’ की रस्म संपन्न की जाएगी, जिसमें भगवान अपने भाई-बहन के साथ पुनः श्री मंदिर लौटेंगे। इन नौ दिनों में मौसीबाड़ी परिसर में प्रतिदिन विशेष पूजा-अर्चना, कथा, भजन एवं धार्मिक आयोजनों की श्रृंखला चलेगी।
लोक आस्था का जीवंत पर्व बना रथयात्रा
किरीबुरु, गुवा और बड़ाजामदा की यह रथयात्रा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि लोक आस्था, परंपरा और सामाजिक समरसता का प्रतीक बन चुकी है। इस आयोजन ने यह स्पष्ट किया कि आदिवासी अंचल भी अपनी संस्कृति और धार्मिक मूल्यों को पूरी श्रद्धा और भव्यता के साथ संजोए हुए है।
निष्कर्षतः
रथयात्रा के इस महान पर्व ने श्रद्धालुओं को प्रभु श्रीजगन्नाथ की सेवा और दर्शन का सौभाग्य प्रदान किया, साथ ही यह आयोजन सामाजिक एकता, अनुशासन और सांस्कृतिक चेतना का मजबूत उदाहरण बन कर उभरा है। आगामी 5 जुलाई को घूरती रथ यात्रा के साथ यह धार्मिक अनुष्ठान अपने पूर्ण रूप में संपन्न होगा।