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तीन सालों से अधूरा पड़ा करोड़ों की लागत का पुल: संवेदक पर कार्रवाई की मांग तेज

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गोईलकेरा के सारूगाड़ा-साउसाल-हिन्दूँग मार्ग पर दो पुलों के निर्माण में भारी लापरवाही, अधिकारियों के निर्देशों की उड़ रही धज्जियां, जनप्रतिनिधि ने की उच्च स्तरीय जांच की मांग

रिपोर्ट: शैलेश सिंह
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (PMGSY) के तहत फेज-XIV में पश्चिमी सिंहभूम जिले के गोईलकेरा प्रखंड के अंतर्गत सारूगाड़ा-साउसाल-हिन्दूँग मार्ग पर दो महत्वपूर्ण पुलों का निर्माण कार्य पिछले तीन वर्षों से अधूरा पड़ा है। पुल बन तो गए हैं, लेकिन उन तक पहुँचने के लिए आवश्यक एप्रोच रोड का काम अब तक शुरू नहीं किया गया है, जिससे ये निर्माण करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद बेकार साबित हो रहे हैं।

कार्यपालक अभियंता, ग्रामीण कार्य विभाग, चक्रधरपुर द्वारा संवेदक एम/एस राज यादव, मनोहरपुर को कई बार निर्देशित किया गया कि वह कार्य पूर्ण करें, लेकिन इसके बावजूद पुल के एप्रोच स्लैब और एप्रोच रोड का कार्य अब तक लंबित है।

NRIDA और JSRRDA ने दिया 15 दिनों का अंतिम अल्टीमेटम

राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना विकास एजेंसी (NRIDA), नई दिल्ली और राज्य ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण (JSRRDA), रांची द्वारा दोनों पुलों को 15 दिनों के भीतर पूर्ण करने का स्पष्ट निर्देश दिया गया है। बावजूद इसके, संवेदक द्वारा कार्य प्रारंभ नहीं किया गया है।

ग्रामीण कार्य प्रमंडल, चक्रधरपुर ने पत्रांक 358 दिनांक 24.03.2025 के माध्यम से संवेदक को कड़ी चेतावनी दी है कि यदि तय समय सीमा में कार्य पूर्ण नहीं किया गया, तो उनके फर्म का नाम डिबार सूची में डालते हुए अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी।

अधूरी परियोजना बना जनसमस्या का कारण

स्थानीय लोगों के अनुसार, चितिर से हिन्दूँग और पोसाइता से बलेया लेवेन्टा तक के ग्रामीण इन पुलों के अभाव में अब भी कीचड़ भरे नालों से होकर आवागमन को मजबूर हैं। खासकर बरसात के मौसम में यह स्थिति और भी गंभीर हो जाती है।

ग्रामीणों का आरोप है कि संवेदक द्वारा लगातार निर्माण कार्यों को अधूरा छोड़ देना अब एक आम बात हो गई है, जिससे योजनाएं अपनी उपयोगिता खो रही हैं।

सुशील बारला की तस्वीर

राजनीतिक प्रतिनिधियों की ओर से भी उठी आवाज

भारत आदिवासी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधानसभा प्रत्याशी सुशील बारला ने 18 फरवरी 2025 को उपायुक्त को पत्र भेजकर मांग की थी कि इस अधूरे निर्माण कार्य की उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए।

उन्होंने अपने पत्र (पत्रांक BAP/JHD-01/2024 दिनांक 10.12.2024) में लिखा था कि गोईलकेरा प्रखंड की सारूगाड़ा पंचायत के साउसाल-हिन्दूँग गांवों के बीच बन रहा यह पुल तीन वर्षों से अधूरा पड़ा है और जनता को कोई लाभ नहीं मिल रहा।

बारला ने इस पत्र के माध्यम से प्रखंड विकास पदाधिकारी, गोईलकेरा को भी प्रतिलिपि भेजी थी और संवेदक के विरुद्ध विधिसम्मत कार्रवाई की मांग की थी। लेकिन दो महीने बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

क्या कहता है विभागीय दस्तावेज

सरकारी दस्तावेज के अनुसार:

पैकेज संख्या JH22EG27B3: चितिर से हिन्दूँग मार्ग पर 6.15 किमी दूरी पर पुल निर्माण।

पैकेज संख्या JH22EG27B2: पोसाइता से बलेया लेवेन्टा मार्ग पर 5.65 किमी पर पुल निर्माण।
दोनों परियोजनाएं 25.05.2018 को संवेदक को आवंटित की गई थीं। निर्माण कार्य 83 माह बाद भी अधूरा है।

संवेदनशील इलाका, जोखिम में आमजन

यह क्षेत्र संवेदनशील और वनवासी बहुल इलाका है, जहाँ बुनियादी ढाँचा पहले से ही कमजोर है। ऐसे में इस तरह की अधूरी परियोजनाएं न केवल सरकारी धन की बर्बादी हैं, बल्कि आम जनता की सुरक्षा और सुविधा के साथ भी खिलवाड़ है।

जवाबदेही तय हो, ठोस कार्रवाई हो

अब सवाल यह है कि जब NRIDA और राज्यस्तरीय एजेंसियों ने भी अंतिम चेतावनी दे दी है, तब जिला प्रशासन और विभागीय अधिकारी संवेदक के विरुद्ध कोई कठोर कार्रवाई क्यों नहीं कर पा रहे हैं?

क्या स्थानीय राजनीतिक दबाव या विभागीय लापरवाही इसके पीछे जिम्मेदार है?

निष्कर्ष

तीन साल से अधूरी पड़ी करोड़ों की पुल परियोजना, विभागीय उदासीनता और संवेदक की लापरवाही की जीती-जागती मिसाल बन चुकी है। ग्रामीणों का सब्र अब जवाब दे रहा है और अब वे जवाबदेही की मांग कर रहे हैं। यदि समय रहते उचित कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मामला बड़े जनाक्रोश में बदल सकता है।

जिला प्रशासन से अपेक्षा है कि वह तुरंत उच्च स्तरीय जांच कराए और दोषी संवेदकों पर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करे, ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही न दोहराई जा सके।

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